2. उसने कहा था
‘उसने कहा था’ कहानी का लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी हैं। यह कहानी लेखक की अमर रचना है, जो हिन्दी कहानी के विकास में मील का पत्थर मानी जाती है।
इनका जन्म 7 जुलाई, 1883 में जयपुर, राजस्थान में हुआ था तथा मृत्यु 12 सितंबर, 1922 ई० को हुई थी।
इनका मूल निवास गुलेर नामक गाँव (हिमाचल प्रदेश) है। बचपन में यह संस्कृत से शिक्षा ग्रहण किए और 1903 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी०ए० किए। यह बाद में प्रोफेसर के रूप में कार्य किए। यह काशी नगरी और काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका का संपादन भी किया।
इनकी प्रमुख कहानीयाँ ‘सुखमय जीवन’, ‘बुद्धू का कांटा’ और ‘उसने कहा था’ है। इन्हीं तीन कहानीयों के बल पर यह हिंदी कहानीकार के रूप में अमर हो गए।
पाठ परिचय- प्रस्तुत कहानी ‘उसने कहा था’ चंद्रधर शर्मा गुलेरी की अमर रचना है। यह हिंदी कहानी के विकास में ‘मील का पत्थर’ मानी जाती है। इस कहानी में लहना सिंह के त्याग और बलिदान की कहानी को बताया गया है। लहना सिंह, जो वादा करता है उसे पूरा करने में अपने जान तक गंवा देता है।
उसने कहा था
प्रस्तुत पाठ ‘उसने कहा था‘ चन्द्रधर शर्मा गुलेरी के द्वारा लिखा गया है। इस पाठ का नायक ‘लहना सिंह’ है। इस पाठ में लहना सिंह के सच्चा प्रेम तथा उसके वीरता को बताया गया है। जिसमें आठ वर्ष की लड़की जिसका नाम होराँ होता है और बारह वर्ष का लड़का लहना सिंह होता है। वे दोनों अपने-अपने मामा के घर रहते हैं।
इस कहानी की शुरूआत अमृतसर के भीड़-भरे बाजार से होती है। लहना सिंह और होराँ की मुलाकात अमृतसर के बाजार में होती है। एक अपने मामा के केश धोने के लिए दही लेने आया था और एक रसोई के लिए बड़ियाँ लेने आयी थी।
लड़का, लड़की को टांगे के नीचे आने से बचा लेता है। दोनों समान लेकर अपना परिचय करते हुए चल देते हैं। लड़का कुछ दूर जाकर मुस्कुराते हुए लड़की से पूछता है कि क्या तेरी कुड़माई हो गई है। लड़की आँखें चढ़कार धत् कहकर दौड़ जाती है और लड़का मुँह देखता रहता है। उसके बाद दूसरे-तीसरे दिन सब्जीवाले के यहाँ, दूधवाले के यहाँ अचानक मिल जाते। लड़का हमेशा यहीं पूछता है कि क्या तेरी कुड़माई हो गई है। लड़की हमेशा की तरह धत् कहकर चली जाती है।
एक दिन लड़का चिढ़ाने के लिए पूछा तब लड़की, लड़का के संभावना के खिलाफ बोली कि हाँ हो गई।
यह सुनकर लहना सिंह का दिल टूट जाता है। साथ ही साथ वह अपना शुद्ध-बुद्ध खो बैठता है। इसलिए घर वापस आते समय एक लड़के को नाले में ढकेल दिया। एक कुत्ता को पत्थर मारा और शब्जी वाले पर दूध उड़ेल दिया। एक औरत टकराकर अंधे की उपाधि पाया अर्थात् एक औरत से टकरा गया। तब कहीं घर पहुँचा।
लहना सिंह उस लड़की से बहुत प्यार करता था, लेकिन ये बात सच थी कि लहना सिंह को उसका प्रेम नहीं मिल सका। फिर भी वे अपने हृदय में उसे बसाए रखा। लड़की का विवाह सुबेदार हजारा सिंह से हो गया था।
उसके बाद लहना सिंह फौज में भर्ती हो जाता है। लहना सिंह प्रथम विश्व युद्ध के मोर्चे पर भारत की तरफ से जर्मनी से युद्ध लड़ने के लिए जाता है। वहाँ उसकी मुलाकात सुबेदार हजारा सिंह, बोधा सिंह और वजिरा सिंह से होता है।
एक समय लहना सिंह एक जमीन के मुकदमे के सिलसिले में घर आता है, इतना में लाम पर जाने के लिए पत्र भेजा जाता है। हजारा सिंह पत्र भेजता है कि लाम पर जाते समय मेरे घर से होते हुए चलना क्योंकि सुबेदार हजारा सिंह का घर रास्ते में पड़ता था।
सुबेदार के घर जाने पर हजारा सिंह की पत्नी सुबादारीन होराँ लहना सिंह को देखकर पहचान जाती है। सुबेदार कहता है कि मेरी पत्नी तुमको जानती है जाकर उससे मिल लो, वह बुला रही है।
सुबेदारनी वहीं लड़की थी, जिससे लहना सिंह बचपन में बार-बार पूछा करता था कि क्या तुम्हारी कुड़माई (सगाई) हो गयी है। वह लहना सिंह को बुलाकर कहती है कि मेरा पति और एक ही बेटा है। मेरे बेटे के फौज में शामिल हुए एक वर्ष ही हुए हैं। वह आगे कहती है कि जिस तरह तुमने बचपन में मेरी जान बचायी थी उसी तरह मेरे पति और बेटे की रक्षा करना। उसके बाद सुबेदारनी होराँ रोने लगती है। सुबेदारीन के पति का नाम हजारा सिंह तथा बेटा का नाम बोधा सिंह था।
लहना सिंह ने इमान्दारी से उस वचन को निभाने का कसम खाया। प्रथम विश्व युद्ध के मोर्चे पर इंगलैंड की ओर से लहना सिंह, उसका दोस्त वजिरा सिंह, सुबेदार हजारा सिंह तथा बोधा सिंह युद्ध लड़ने के लिए जाते हैं। जर्मनी की सेना उनलोगों पर हमला कर देती है। लहना सिंह अपने जान पर खेलकर जर्मन सैनिक से बहादुरी से लड़कर उसे हरा देता है और इनलोगों की रक्षा करता है। लहना सिंह बुरी तरह घायल हो जाता है। युद्ध के दौरान हजारा सिंह और बोधा सिंह भी घायल हो जाते हैं।
एम्बुलेंस इनलोगों को लेने आती है। एम्बुलेंस में कम सीटें होने के कारण लहना सिंह घायल अवस्था में एम्बुलेंस पर खुद न बैठकर बोधा सिंह और हजारा सिंह को बैठा देता है। जब सुबेदार हजारा सिंह एम्बुलेंस में अपने बेटा के साथ जाने लगे, तो उनसे कहा कि सुबेदारनी को पत्र लिखकर कह देना कि ‘उसने जो कहा था’, वह मैंने पूरा कर दिया।
गाड़ी के जाते ही लहना सिंह लेट गया और अपने दोस्त को पानी पिलाने तथा कमर बंद खोलने को कहा। पच्चीस वर्ष बीत गए। लहना सिंह न०77 राइफल्स में जमादार हो गया है। लहना सिंह अपने अंतिम क्षण में आता है, उसको अपने बारह वर्ष की अवस्था की याद आने लगती है। कैसे एक लड़की से पूछा करता था कि क्या तुम्हारी कुड़माई हो गई है, बदले में वह धत् कहकर भाग जाती थी। मृत्यु नजदिक आने पर लहना सिंह को सबकुछ याद आ रही थी। वह वजिरा सिंह से बार-बार पानी पिलाने के लिए कहता है। लहना सिंह की त्याग की भावना देखकर वजिरा के आँसु टप्-टप् टपक रहे थे।
अगले दिन अखबार से पता चला कि फ्रांस और बेल्जियम- 68वीं सूची- मैदान में सिख राइफल्स नं० 77 जमादार लहना सिंह धावों से मर गया। इस तरह से लहना सिंह अपनी जान गँवाकर अपना वादा निभाया।
- उसने कहा था : चनद्रधर शर्मा गुलेरी
प्रश्न 1. हिन्दी कहानी के विकास में मील का पत्थर कौन-सी कहानी मानी जाती हैं ? .
(क) उसने कहा था
(ख) पंच परमेश्वर
(ग) पुरस्कार
(घ) मंगर
उत्तर- (क) उसने कहा था
प्रश्न 2. ‘तेरी कुड़माई हो गई’ का किस कहानी से संबंध हैं ?
(क) रोज
(ख) उसने कहा था
(ग) तिरिछ
(घ) जूठन
उत्तर- (ख) उसने कहा
प्रश्न 3. ‘उसने कहा था’ शीर्षक कहानी के रचयिता का क्या नाम हैं ?
(क) चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
(ख) अज्ञेय
(ग) मोहन राकेश
(घ) उदय प्रकाश
उत्तर- (क) चन्द्रधर शर्मा गुलेरी
प्रश्न 4. ‘उसने कहा था’ किस वर्ष की रचना हैं ?
(क) 1915
(ख) 1920
(ग) 1922
(घ) 1925
उत्तर- (क) 1915
प्रश्न 6. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म कब हुआ था ?
(क) जबलपुर, मध्य प्रदेश
(ख) इटारसी, मध्य प्रदेश
(क) जयपुर, राजस्थान
(घ) लमही, वाराणसी
उत्तर- (क) जयपुर, राजस्थान
प्रश्न 7. चनद्रधर शर्मा गुलेरी का निधन कब हुआ था ?
(क) 11 सितम्बर, 1921 ई.
(ख) 12 सितम्बर, 1922 ई.
(ग) 13 सितम्बर, 1923 ई.
(घ) 14 सितम्बर, 1924 ई.
उत्तर-(ख) 12 सितम्बर, 1922 ई.
प्रश्न 8. चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का मूल निवास स्थल कहाँ था ?
(क) लमही, वाराणसी
(ख) कदमकुआँ, पटना
(ग) सिमरिया, बेगूसराय बिहार
(घ) गुलेर, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश
उत्तर- (घ) गुलेर, काँगड़ा, हिमाचल प्रदेश
प्रश्न 9. ‘उसने कहा था’ कहानी आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी द्वारा संपादित पत्रिका ‘सरस्वती’ में कब प्रकाशित हुई थी ?
(क) अप्रैल , 1915
(ख) मई, 1915
(ग) जून, 1915
(घ) जुलाई, 1915
उत्तर- (ग) जून, 1915
प्रश्न 10. गुलेरी जी की प्रमुख कहानियों का नाम बताएँ-
(क) सुखमय जीवन
(ख) बुद्ध का काँटा
(ग) उसने कहा था
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर-(घ) उपर्युक्त तीनों
प्रश्न 11. किन विषयों पर गुलेरी जी ने लेखन किया ?
(क) प्राच्यविद्या, इतिहास
(ख) पुरातत्व, भाषाविज्ञान
(ग) समसामयिक विषय
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर- (घ) उपर्युक्त तीनों
प्रश्न 12. गुलेरी जी के प्रमुख निबंधों के नाम बताएँ-
(क) कछुआ धरम, डिंगल, संस्कृत की टिपरारी
(ख) मारेसि मोहिं कुठाँव, पुरानी हिन्दी
(ग) देवानां प्रिय
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 13. किस पाठ में यह उक्ति आयी हैं- ‘मृत्यु के कुछ समय पहले स्मृति बहुत साफ हो जाती हैं।’
(क) उसने कहा था
(ख) सुखमय जीवन
(ग) बुद्ध का काँटा
(घ) भोगे हुए दिन
उत्तर- (क) उसने कहा था
प्रश्न 14. ‘उसने कहा था’ कहानी की क्या विशेषता है ?
(क) दिव्य प्रेम कहानी
(ख) युद्ध कहानी
(ग) प्रेम पर बलिदान की कहानी
(घ) उपर्युक्त तीनों
उत्तर- (घ) उपर्युक्त तीनों
प्रश्न 15. ‘उसने कहा था’ किस प्रकार की कहानी है ?
(क) कर्मप्रधान
(ख) भाव प्रधान
(ग) चरित्र प्रधान
(घ) धर्म प्रधान
उत्तर- (ग) चरित्र प्रधान
प्रश्न 16. गुलेरी जी ने किन पत्रिकाओं का सम्पादन किया ?
(क) समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका
(ख) धर्मयुग
(ग) साप्ताहिक हिन्दुस्तान
(घ) वागर्थ
उत्तर-(क) समालोचक, काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका