उषा का संपूर्ण व्‍याख्‍या | Usha Class 12th Hindi Solution Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्‍दी के पद्य भाग के पाठ आठ ‘उषा (Usha Class 12th Hindi Solution Notes)’ को पढ़ेंगे।

Usha Class 12th Hindi Solution Notes

8. उषा
कवि – शमशेर बहादुर सिंह

लेखक-परिचय
जन्म : 13 जनवरी 1911
मृत्यु- 1993
जन्म-स्थान : देहारादून, उत्तराखंड
माता-पिता : प्रभुदेई और तारीफ सिंह

शिक्षा: 1928 में हाई स्कूल, 1931 में इंटर, 1933 में बी.ए, 1938 में एम.ए
कृतियाँ: चुका भी नहीं हूँ मैं (1975), इतने पास अपने (1980), उदिता (1980) बात बोलेगी (1981), काल तुझसे होड़ है मेरी (1982)

प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे
भोर का नभ
राख से लीपा हआ चौका
[अभी गीला पड़ा है ]

प्रस्‍तुत पंक्तियाँ शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित ‘उषा’ शीर्षक कविता से ली गई हैं जिसमें कवि ने प्रातः कालीन दृश्य का वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि सूर्योदय से पहले का आसमान नीले शंख की तरह दिखता है। भोर के आसमान की तरह जो कि अभी तक गीला है, वह राख से ढका हुआ चौका होता है। कवि कहते हैं कि प्रभात काल सौंदर्य की साम्राज्ञी होती है।

बहत काली सिल जरा से लाल केसर से
कि जैसे धूल गई हो
स्लेट पर या लाल खड़िया चाक
मल दी हो किसी ने

प्रस्‍तुत पंक्तियाँ उषा शीर्षक कविता से ली गई हैं, जिसमें कवि ने प्रातः कालीन दृश्य के बारे में बताया है। कवि कहते हैं कि भोर का आसमान राख से ढके हुए चौके की तरह होता है। ऐसा लगता है जैसे किसी ने लाल केसर वाली सिल को धो दिया हो, लेकिन वह अभी भी केसर के रंग से चमक रही हो। कभी-कभी ऐसा भी लगता है जैसे कोई लाल रंग का खड़िया चाक स्लेट पर मल दिया हो।

नील जल में या किसी की
गौर झिलमिल देह
जैसे हिल रही हो।

प्रस्‍तुत पंक्तियाँ शमशेर बहादुर सिंह द्वारा रचित ‘उषा’ नामक कविता से उद्धृत हैं जिसमें कवि ने प्रात: कालीन दृश्यों की विविधता का वर्णन किया है। इस कविता में कवि बताते हैं कि सूर्योदय से पहले का आसमान नीले जल की भांति दिखता है और सूर्य उसमें ऐसे प्रतीत होता है जैसे कोई सुंदरी नीले जल से बाहर आ रही हो जिसके गोरे रंग की आभा चारों तरफ फैल रही हो।

और …..
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है |

प्रस्‍तुत पंक्तियाँ शमशेर बहादुर द्वारा रचित उषा नामक कविता से ली गई हैं जिसमें कवि ने प्रातः काल के साथ-साथ उषा की सुंदरता को भी दर्शाया है। कवि कहते हैं कि प्रातः काल के समय वातावरण सतरंगी होता है और आकाश राख से लिपे हुए चौके की तरह दिखता है लेकिन सूर्योदय के बाद उषा की लालिमा और नीलिमा वाली शोभा नष्ट हो जाती है और उषा का जादू खत्म हो जाता है।

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