इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान भूगोल के 1. (ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन (Shakti Urja Sansadhan class 10th solution) को पढ़ेंगे।
(ङ) शक्ति (ऊर्जा) संसाधन
शक्ति एवं उर्जा विकास की पूँजी हैं।
शक्ति संसाधन के प्रकारः
शक्ति संसाधन के वर्गीकरण के विविध आधार हो सकते हैं। उपयोग स्तर के आधार पर शक्ति के दो प्रकार हैं-
सतत् शक्ति एवं समापनीय शक्ति।
सौर किरणें, भूमिगत ऊष्मा, पवन, प्रवाहित जल आदि सतत् शक्ति स्रोत के हैं जबकि कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं विखण्डनीय तत्व समापनीय शक्ति स्रोत हैं।
उपयोगिता के आधार पर उर्जा के दो भागो में विभक्त किया जाता है।
पहला प्राथमिक ऊर्जा, जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि तथा दूसरा गौण ऊर्जा, जैसे- विद्युत, क्योंकि यह प्राथमिक ऊर्जा से प्राप्त किया जाता है।
स्रोत के स्थिति के आधार पर शक्ति को दो भागो में वर्गीकृत किया जाता है। पहला क्षयशिल शक्ति संसाधन जैसे- पेट्रोंलियम, कोयला, प्राकृतिक गैस तथा आण्विक खनिज आदि तथा दूसरा अक्षयशिल शक्ति संसाधन, जैसे- प्रवाही जल, पवन, लहरें, सौर शक्ति आदि।
संरचनात्मक गुणों के आधार पर ऊर्जा के दो स्त्रोत हैं। जैविक ऊर्जा स्त्रोत और अजैविक ऊर्जा स्त्रोत। मानव एवं प्राणी जैविक तथा जल शक्ति, पवन-शक्ति, सौर शक्ति तथा इंधन शक्ति आदि अजैविक ऊर्जा स्त्रोत हैं।
समय के आधार पर ऊर्जा को पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक स्त्रोतों में विभक्त किया गया है। कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस पारम्परिक तथा सूर्य, पवन, ज्वार, परमाणु ऊर्जा तथा गर्म झरने आदि गैर पारम्परिक शक्ति संसाधन के उदाहरण हैं।
Shakti Urja Sansadhan class 10th solution
पारम्परिक ऊर्जा स्रोतः- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस जैसे खनिज जो जीवाश्म ईंधन के नाम से भी जाने जाते हैं ये पारम्परिक शक्ति संसाधन हैं तथा ये समाप्य संसाधन है।
कोयलाः- कोयला शक्ति और ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्रोत है। भूगर्भिक दृष्टि से भारत के समस्त कोयला भण्डार को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता हैः-
1. गोंडवाना समूहः- इस समूह में भारत के 96 प्रतिशत कोयले का भण्डार है तथा कुल उत्पादन का 99 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है। गोंडवाना कोयला क्षेत्र मुख्यतः चार नदी-घाटियों में पाये जाते हैं- 1. दामोदर घाटी, 2. सोन घाटी, 3. महानदी घाटी तथा 4. वार्घा-गोदावरी घाटी।
2. टर्शियरी समूहः- गोडवाना समूह के बाद टर्शियरी समूह के कोयला का निर्माण हुआ। यह 5. 5 करोड़ वर्ष पुराना है। टर्शियरी कोयला मुख्यतः असम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैण्ड में पाया जाता है।
कोयले का वर्गीकरणः- कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला को चार वर्गों में रखा गया हैः
1. ऐंथासाइटः- यह सर्वोच्च्य कोटि का कोयला है जिसमें कार्बन की मात्रा 90% से अधिक होती है। जलने पर यह धुँआ नहीं देता है।
2. बिटुमिनसः- यह 70 से 90% कार्बन की मात्रा धारण किये हुए रहता है तथा इसे पारिष्कृत कर कोकिंग कोयला बनाया जा सकता है। भारत का अधिकतर कोयला इसी श्रेणी का है।
3. लिग्नाईटः- यह निम्न कोटि का कोयला माना जाता है जिसमें कार्बन की मात्रा 30 से 70% होता है। यह कम ऊष्मा तथा अधिक धुआँ देता है।
4. पीटः- इसमें कार्बन की मात्रा 30% से भी कम पाया जाता है। यह पूर्व के दलदली भागों में पाया जाता है।
गांडवाला समूह का कोयला क्षेत्रः-
झारखण्ड – कोयले के भण्डार एवं उत्पादन की दृष्टि से झारखण्ड का देश में पहला स्थान है। यहाँ देश का 30 प्रतिशत से भी अधिक कोयला का सुरक्षित भण्डार है। झरिया, बोकारो, गिरिडीह, कर्णपुरा, रामगढ़ इस राज्य के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र हैं। पश्चिम बंगाल के रानीगंज कोयला क्षेत्र का कुछ भाग इसी राज्य में पड़ता है।
छत्तीसगढ़ः- सुरक्षित भण्डार की दृष्टि से इस राज्य का स्थान तीसरा किन्तु उत्पादन में यह भारत का दूसरा बड़ा राज्य है। यहाँ देश का 15 प्रतिशत सुरक्षित भण्डार है लेकिन उत्पादन 16 प्रतिशत होता है।
उड़िसाः- उड़िसा में एक चौथाई कोयले का भण्डार है पर उत्पादन मात्र 14. 6 प्रतिशत ही होता है।
टर्शियरिय कोयला क्षेत्रः- टर्शियरी युग में बना कोयला नया एवं घटिया किस्म का होता है। यह कोयला मेघालय में दारगिरी, चेरापूँजी, लेतरिंग्यू, माओलौंग और लांगरिन क्षेत्र से निकाला जाता है। ऊपरी असम में माकुम, जयपुर, नजिरा आदि कोयले के क्षेत्र हैं। अरूणाचल प्रदेश में नामचिक और नामरूक कोयला क्षेत्र है। जम्मू और कश्मिर में कालाकोट से कोयला निकाला जाता हैं।
लिग्नाइट कोयला क्षेत्र :
यह एक निम्न कोटि का कोयला होता है। इसमें नमी ज्यादा तथा कार्बन कम होता है। इसलिए यह अधिक धुँआ देता है। लिग्नाइट कोयले का भण्डार मुख्य रूप से तमिलनाडु के लिग्नाइट वेसिन में पाया जाता है। जहाँ देश का 94 प्रतिशत लिग्नाइट कोयले का सुरक्षित भंडार है।
पेट्रोलियम :
पेट्रोलियम शक्ति के समस्त साधनों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं व्यापक रूप से उपयोगी संसाधन है। पेट्रोलियम से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ जैसे- गैसोलीन, डीजल, किरासन तेल, स्नेहक, कीटनाशक दवाएँ, दवाएँ, पेट्रोल, साबुन, कृत्रिम रेशा, प्लास्टिक आदि बनाए जाते हैं।
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तेल क्षेत्रों का वितरण :
भारत में मुख्यतः पाँच तेल उत्पादक क्षेत्र हैं :
1. उत्तरी-पूर्वी प्रदेश : यह देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है, जहाँ 1866 ई० में तेल के लिए खुदाई शुरू की गई थी। ऊपरी असम घाटी, अरूणाचल प्रदेश, नागालैण्ड आदि विशाल तेल उत्पादक क्षेत्र इसके अन्तर्गत आते हैं।
2. गुजरात क्षेत्र : यह क्षेत्र खम्भात के बेसिन तथा गुजरात के मैदान में विस्तृत है। यहाँ पहली बार 1958 में तेल का पता चला था। इसके मुख्य उत्पादक अंकलेश्वर, कलोल, नवगाँव, कोसांबा, मेंहसाना आदि हैं।
3. मुम्बई हाई क्षेत्र : यह क्षेत्र मुम्बई तट से 176 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिम दिशा में अरब सागर में स्थित है। यहाँ 1975 में तेल खोजने का कार्य शुरू हुआ। यहाँ समुद्र में सागर सम्राट नामक मंच बनाया गया है जो जलयान है और पानी के भीतर तेल के कुँए खोदने का कार्य करता है।
4. पूर्वी तट प्रदेशः- यह कृष्णा-गोदावरी और कावेरी नदियों के बेसिन तथा मुहाने के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है।
5. बारमेर बेसिनः- इस बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र से सितम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हो गया हैं। यहाँ प्रतिदिन 56000 बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है। 2012 तक यह क्षेत्र भारत का 20 प्रतिशत पेट्रोलियम उत्पन्न करेगा।
तेल परिष्करणः- कुओं से निकाला गया कच्चा तेल अपरिष्कृत एवं अशुद्ध होता हैं। अतः उपयोग के पूर्व उसे तेल शोधक कारखानो में परिष्कृत किया जाना आवश्यक होता है। उसके बाद ही डिजल, किरासन तेल, स्नेहक पदार्थ तथा अन्य कई वस्तुएँ प्राप्त होती है।
प्राकृतिक गैसः- प्राकृतिक गैस हमारे वर्तमान जीवन में बड़ी तेजी से एक महत्वपूर्ण ईंधन बनता जा रहा है। इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में मशीन को चलाने में, विद्युत उत्पादन में, खाना पकाने में तथा मोटर गाड़ियाँ चलाने में किया जा रहा है।
विद्युत शक्तिः- विद्युत शक्ति उर्जा का एक महत्वपूर्ण स्त्रोत है। वर्तमान विश्व में विद्युत के प्रतिव्यक्ति उपभोग को विकास का एक सुचकांक माना जाता है। जब विद्युत के उत्पादन में कोयला, पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस से प्राप्त ऊष्मा का उपयोग किया जाता है तो उसे ताप विद्युत कहते हैं। इसके अतिरिक्त विद्युत का उत्पादन आण्विक खनिजों के विखण्डन से भी किया जाता है। जिसे परमाणु विद्युत कहते हैं।
जल विद्युतः- जल विद्युत उत्पादन के लिए सदावाहिनी नदी में प्रचुर जल की राशि, नदी मार्ग में ढाल, जल का तीव्र वेग, प्राकृतिक जल प्रपात का होना अनुकूल भौतिक दशाएँ हैं जो पर्वतीय एवं हिमानीकृत क्षेत्रों में पाया जाता हैं। भारत में सन् 1897 ई० में दार्जिलिंग में प्रथम जल विद्युत संयंत्र की स्थापना हुई थी। इसके बाद कर्नाटक के शिवसमुद्रम् में काबेरी नदी के जलप्रपात पर दूसरे जल विद्युत संयंत्र की स्थापना हुई।
1947 तक भारत में 508 मेगावाट बिजली की उत्पादन की जाने लगी।
भारत के मुख्य बहुउद्देशीय परियोजनाएँ
बहुउद्देशीय परियोजना- ऐसी परियोजना जिससे एक साथ अनेक लाभ के प्राप्त की जा सके, उसे बहुउद्देशीय परियोजना कहते हैं।
अर्थात्
ऐसी परियोजना जिससे एक साथ कई उद्देश्य प्राप्त करने के लिए स्थापित किए जाते हैं, उसे बहुउद्देशीय परियोजना कहते हैं।
1. भाखड़ा-नंगल परियोजना- भाखड़ा नंगल बाँध विश्व की ऊँची बाँधों में से एक है, जो हिमालय क्षेत्र में सतलज नदी पर है। जिसकी ऊँचाई 225 मीटर है। यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है। इससे 7 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न किया जाता है।
2. दामोदरघाटी परियोजना- यह परियोजना दामोदर नदी पर झारखंड और पश्चिम बंगाल को बाढ़ से बचाने के लिए किया गया है। इससे 1300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।
3. कोशी परियोजना- नेपाल स्थित हनुमान नगर में कोशी नदी पर बाँध बनाकर इस परियोजना से 20000 किलोवाट बिजली उत्पन्न किया जाता है।
4. रिहन्द परियोजना- इस परियोजना को सोन की सहायक नदी रिहन्द पर उत्तर प्रदेश में 934 मीटर लंबा बाँध बनाकर किया गया है। इससे 30 लाख किलोवाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
5. हीराकुंड परियोजना- उड़ीसा के महानदी पर विश्व का सबसे लंबा बाँध बनाकर 2.7 लाख किलोवाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
6. चंबल घाटी परियोजना- चंबल नदी पर राजस्थान में तीन बाँध गाँधी सागर, राणाप्रताप सागर और कोटा में स्थापित कर तीन शक्ति गृहों की स्थापना कर 2 लाख मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
7. तुंगभद्रा परियोजना- यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी-घाटी परियोजना है, जो कृष्णा नदी की सहायक नदी तुंगभद्रा नदी पर बनाई गई है।
ताप शक्ति
तापीय विद्युत का उत्पादन करने के लिए ताप शक्ति संयंत्रों में कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है। जल विद्युत की तरह यह प्रदुषण रहित नहीं है।
परमाणु शक्ति- जब उच्च अणुभार वाले परमाणु विखंडित होते हैं तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है। यूरेनियम परमाणु ऊर्जा का कच्चा माल है। भारत में यूरेनियम का विशाल भंडार झारखण्ड के जादूगोड़ा में है।
भारत में 1955 में प्रथम आण्विक रियेक्टर मुम्बई के निकट तारापुर में स्थापित किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य उद्योग एवं कृषि को बिजली प्रदान करना था।
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देश में अब तक छः विद्युत परमाणु विद्युत गृह स्थापित किए गए हैं।
- तारापुर परमाणु विद्युत गृह- यह एशिया का सबसे बड़ा परमाणु विद्युत गृह है।
- राणाप्रताप सागर परमाणु विद्युत गृह- यह राजस्थान के कोटा में स्थापित है। यह चंबल नदी के किनारे है।
- कलपक्कम परमाणु विद्युत गृह- यह तमिलनाडु में स्थित है।
- नरौरा परमाणु विद्युत गृह- यह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पास स्थित है।
- ककरापारा परमाणु विद्युत गृह- यह गुजरात राज्य में समुद्र के किनारे स्थित है।
- कैगा परमाणु विद्युत गृह- यह कर्नाटक राज्य के जागवार जिला में स्थित है।
गैर-पारम्परिक शक्ति के स्त्रोत
अधिक दिनों तक हम शक्ति के पारम्परिक स्त्रोतों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं क्योंकि यह समाप्य संसाधन है। इसलिए गैर-पारम्परिक शक्ति संसाधनों से ऊर्जा के विकास बहुत ही अधिक आवश्यक है। ऊर्जा के गैर पारम्परिक स्त्रोतों में बायो गैस, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा एवं जैव ऊर्जा महत्वपूर्ण हैं।
सौर ऊर्जा- यह कम लागत वाला पर्यावरण के अनुकूल तथा निर्माण में आसान होने के कारण अन्य ऊर्जा स्त्रोतों की अपेक्षा ज्यादा लाभदायक है।
राजस्थान और गुजरात में सौर ऊर्जा की ज्यादा संभावनाएँ हैं।
पवन ऊर्जा- पवन चक्कियों से पवन ऊर्जा की प्राप्ति की जाती है। भारत विश्व का सबसे बड़ा पवन ऊर्जा उत्पादक देश है। देश में पवन ऊर्जा की संभावित उत्पादन क्षमता 50000 मेगावाट है। गुजरात के कच्छ में लाम्बा का पवन ऊर्जा संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र है। दूसरा बड़ा संयंत्र तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्थित है।
ज्वारीय ऊर्जा तथा तरंग ऊर्जा- समुद्री ज्वार और तरंग के कारण गतिशील जल से ज्वारीय और तरंग ऊर्जा प्राप्त किया जाता है।
भूतापीय ऊर्जा- यह ऊर्जा पृथ्वी के उच्च ताप से प्राप्त किया जाता है।
बायो गैस एवं जैव ऊर्जा- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित्र अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपयोग हेतु बायो गैस उपयोग की जाती है। जैविक पदार्थों के अपघटन से बायो गैस प्राप्त की जाती है।
जैविक पदार्थों से प्राप्त होनेवाली ऊर्जा को जैविक ऊर्जा कहते हैं। कृषि अवशेष, नगरपालिका, औद्योगिक एवं अन्य अपशिष्ट पदार्थ जैविक पदार्थों के उदाहरण है।
शक्ति संसाधनों का संरक्षण :
ऊर्जा संकट विश्व व्यापी संकट बन चूका है। इस परिस्थिति में समस्या के समाधान की दिशा में अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
- ऊर्जा के प्रयोग में मितव्ययीता : ऊर्जा संकट से बचने के लिए ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययीता जरूरी है। इसके लिए तकनीकी विकास आवश्यक है। ऐसे मोटर गाड़ीयों का निर्माण हो जो कम तेल में ज्यादा चलते हैं। अनावश्यक बिजली को रोककर हम ऊर्जा की बचत बड़े स्तर पर कर सकते हैं।
- ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की खोज- ऊर्जा संकट समाधान के लिए परम्परागत ऊर्जा के नये क्षेत्रों का खोज किया जाए। वैसे जगहों का पता लगाया जाए जहाँ पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैसों का भंडार हो।
- ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक साधनों का उपयोग- वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत में जल-विद्युत, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि के विकास कर उपभोग कर शक्ति के संसाधन को संरक्षित किया जा सकता है।
- अंतराष्ट्रीय सहयोग- ऊर्जा संकट से बचने के लिए सभी राष्ट्र को आपसी भेद-भाव को भुलकर ऊर्जा समाधान हेतु आम सहमति से नीति निर्धारण करना चाहिए।
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोतों के तीन-तीन उदाहरण लिखिये।
उत्तर- पारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस।
गैर-पारम्परिक स्त्रोत- सौर-ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा
प्रश्न 2. गोण्डवाना समूह के कोयला क्षेत्रों के नाम लिखियें।
उत्तर-गोण्डवाना समूह के कोयला क्षेत्र मुख्य चार नदी-घाटियों में पाये जाते है।
(1) दामोदर घाटी
(2) सोन घाटी
(3) महानदी घाटी
(4) वार्धा-गोदावरी घाटी।
प्रश्न 3. झारखण्ड राज्य के मुख्य कोयला उत्पादक क्षेत्रों के नाम अंकित कीजिये।
उत्तर- झारखण्ड राज्य के प्रमुख कोयला क्षेत्र निम्न हैं।
(1) झरिया
(2) बोकारो
(3) गिरीडीह
(4) कर्णपुरा
(5) रामगढ़
प्रश्न 4. कोयले के विभिन्न प्रकारों के नाम लिखिये।
उत्तर-कोयले के विभिन्न प्रकार निम्न है।
(1) ऐंथासाइट
(2) बिटुमिनस
(3) लिग्नाईट
(4) पीट
प्रश्न 5. पेट्रोलियम से किन-किन वस्तुओं का निर्माण होता है।
उत्तर- पेट्रोलियम के निम्नलिखित वस्तुओं का निर्माण होता है।
(1) गैसोलीन
(2) डीजल
(3) किरासन तेल
(4) स्नेहक
(5) कीटनाशक दवाऍ
(6) पेट्रोल
(7) साबुन
(8) कृत्रिम रेशा
(9) प्लास्टिक आदि।
प्रश्न 6. सागर सम्राट क्या है?
उत्तर- सागर सम्राट मुम्बई हाई पेट्रोलियम उत्खनन क्षेत्र में एक जलयान है। जो समुद्री क्षेत्र में जल के भीतर तेल-कूप की खुदाई का कार्य करता है।
प्रश्न 7. किन्हीं चार तेल शोधक कारखानें का स्थान निर्दिष्ट कीजिए।
उत्तर-भारत में स्थित चार तेल शोधक कारखानें निम्न है—
(1) डिगबोई
(2) तारापुर
(3) बरौनी
(4) हल्दियाँ
प्रश्न 8. जल विद्युत उत्पादन के कौन-कौन से मुख्य कारक है?
उत्तर- जल विद्युत उत्पादन के प्रमुख कारक है।
(1) सदावाहिनी नदी में प्रचुर जल की राशि
(2) नदी मार्ग में ढ़ाल
(3) जल का तीव्र वेग
(4) प्राक्रृतिक जल-प्रपात
(5) पर्याप्त पूँजी निवेश
(6) परिवहन के साधन
(7) प्रौद्योगिकी ज्ञान
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प्रश्न 9. नदी घाटी परियोजनाओं को बहुउद्देशीय क्यों कहा जाता है?
उत्तर- नदी घाटी परियोजनाओं का विकास विविध उद्देश्यों के लिए किये जाते हैं। जैसे- जल विद्युत उत्पादक, सिंचाई की आपूर्ति, जल-कृषि, मत्स्य-पालन, पेय जलापूर्ति, परिवहन के साधन का विकास आदि। इतनी सारी उद्देश्यों की पूर्ति करने वाली इस परियोजना को बहुउद्देशीय परियोजना कहते हैं।
प्रश्न 10. निम्नलिखित नदी घाटी परियोजनाएँ किन-किन राज्यों में अवस्थित है— हीराकुंड, तुंगभद्रा एवं रिहन्द।
परियोजना अवस्थित राज्य
(1) हीराकुंड- उड़ीसा
(2) तुंगभद्रा- आंध्रप्रदेश
(3) रिहन्द- उत्तर प्रदेश
प्रश्न 11. ताप शक्ति क्यों समाप्य संसाधन है?
उत्तर- तापीय विद्युत का उत्पादन करने के लिए ताप शक्ति संयंत्रों में कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस का उपयोग होता है। जो समाप्त हो जाने वाला है। इसलिए ताप शक्ति समाप्य संसाधन है। जल विद्युत की तरह यह प्रदूषण रहित नहीं है।
प्रश्न 12. परमाणु शक्ति किन-किन खनिजों से प्राप्त होता है?
उत्तर-परमाणु शक्ति निम्न खनिजों से प्राप्त होती है।
(1) इल्मेनाइट
(2) बैनेडियम
(3) एंटीमनी
(4) ग्रेफाइट
(5) यूरेनियम
(6) मोनाजाइट
प्रश्न 13. मोनाजाइट भारत में कहाँ-कहाँ उपलब्ध है ?
उत्तर- मोनाजाइट केरल राज्य में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त तमिलनाडू, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा आदि राज्य में उपलब्ध है।
प्रश्न 14. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है?
उत्तर- सौर ऊर्जा के उत्पादन में फोटोवोल्टोइक सेलों में विस्थापित सूर्य की किरणों को ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है, तो सौर ऊर्जा का उत्पादन होता है। जिससे हीटरों, कुलर्स, पंखा, लाइट जैसे उपकरण चलाये जा सकते हैं।
प्रश्न 15. भारत में किन-किन क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के लिए अनुकुल परिस्थितियाँ है?
उत्तर- भारत में निम्नलिखित क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के अनुकुल परिस्थितियाँ है।
(1) तमिलनाडू
(2) राजस्थान
(3) गुजरात
(4) महाराष्ट्र
(5) कर्नाटक
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. शक्ति संसाधन का वर्गीकरण विभिन्न आधारों के अनुसार सोदाहरण स्पष्ट कीजिये?
उत्तर- शक्ति संसाधन के विभिन्न वर्गीकरण के आधार हो सकते है—
सत्-त शक्ति एवं समापनीय शक्ति – सौर किरणें, भूमिगत ऊष्मा, पवन, प्रवाहित जल आदि सत्-त शक्ति स्रोत के हैं, जबकि कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस एवं विखण्डनीय तत्व समापनीय शक्ति स्रोत है।
उपयोगिता के आधार पर –ऊर्जा के दो भागों में विभक्त किया जाता है पहला प्राथमिक ऊर्जा जैसे- कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस आदि तथा दूसरा गौण ऊर्जा, जैसे- विद्युत, क्योंकि यह प्राथमिक ऊर्जा से प्राप्त किया जाता हैं।
Shakti Urja Sansadhan class 10th solution
स्रोत के स्थिति के आधार पर- शक्ति को दो भागो में वर्गीकृत किया जाता है पहला क्षयशिल शक्ति संसाधन जैसे- पेट्रोलियम, कोयला, प्राकृतिक गैस तथा आण्विक खनिज आदि तथा दूसरा अक्षयशिल शक्ति संसाधन जैसे-प्रवाही जल, पवन, लहरें, सौर शक्ति आदि।
संरचनात्मक गुणों के आधार पर- ऊर्जा के दो स्त्रोत है। जैविक ऊर्जा स्त्रोत और अजैविक ऊर्जा स्त्रोत। मानव एवं प्राणी जैविक तथा जल शक्ति, पवन-शक्ति, सौर शक्ति तथा ईंधन शक्ति आदि अजैविक ऊर्जा स्त्रोत हैं।
समय के आधार पर- ऊर्जा को पारम्परिक तथा गैर पारम्परिक स्त्रोतों में विभक्त किया गया है। कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस पारम्परिक तथा सूर्य, पवन, ज्वार, परमाणु ऊर्जा तथा गर्म झरनें आदि गैर पारम्परिक शक्ति संसाधन के उदाहरण है।
प्रश्न 2. भारत में पारम्परिक शक्ति के विभिन्न स्त्रोतों का विवरण प्रस्तुत कीजिए?
उत्तर- कोयला शक्ति और ऊर्जा का महत्वपूर्ण स्त्रोत है। भूगर्भिक दृष्टि से भारत के समस्त कोयला भण्ड़ार को दो मुख्य भागों में बाँटा गया है।
(1) गोंडवाना समूह- इस समूह में भारत के 96 प्रतिशत कोयले का भण्ड़ार है तथा कुल उत्पादन का 99 प्रतिशत भाग प्राप्त होता है। गोडवाना कोयला क्षेत्र मुख्य चार नदी-घाटी में पाएं जाते हैं।
(1) दामोदर घाटी
(2) सोन घाटी
(3) महानदी घाटी
(4) वार्धा-गोदावरी घाटी
(2) टर्शियरी समूह- गोंडवाना समूह के बाद टर्शियरी समूह के कोयला का निर्माण हुआ। यह 5.5 करोड़ वर्ष पुराना है। टर्शियरी कोयला मुख्य रूप से असम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय और नागालैण्ड में पाया जाता है।
प्रश्न 3. गोंडवाना काल के कोयले का भारत में वितरण पर प्रकाश डालिये।
उत्तर-भारत में 96 प्रतिशत कोयला गोंडवाना समूह के कुल उत्पादन में 99 प्रतिशत भूमिका है। इस समूह में कोयले का सर्वाधिक निक्षेप (30 प्रतिशत) झारखंड में है। जो झरिया, बोकारो, रामगढ़ में संचित है, उड़ीसा में 25 प्रतिशत कोयला भंडार है, महाराष्ट्र में 7 प्रतिशत कोयले का भंडार है। छतीसगढ़ में 15 प्रतिशत कोयले का भण्ड़ार सुरक्षित है। चिरिमिरि, कुरसिया, विश्रामपुर, सोनहाट, लखनपुर जैसे, यहाँ प्रमुख कोयला खादान है। प० बंगाल का महत्वपूर्ण कोयला भंडार एवं उत्पादन वाला राज्य है।
प्रश्न 4. कोयले का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिये?
उत्तर- कार्बन की मात्रा के आधार पर कोयला को चार वर्गों में बाँटा गया है।
(1) ऐंथ्रासाइट- यह सर्वोच्च कोटि का कोयला है जिसमें कार्बन की मात्रा 90 प्रतिशत से अधिक होता है। जलने पर यह धुँआ नहीं देता है।
(2) बिटुमिनस – यह 70 से 90 प्रतिशत कार्बन की मात्रा धारण किये हुए रहता है तथा इसे परिष्कृत कर कोकिंग कोयला बनाया जा सकता है। भारत का अधिकतर कोयला इसी श्रेणी का है।
(3) लिग्नाईट- यह निम्न कोटी का कोयला माना जाता है जिसमें कार्बन की मात्रा 30 से 70 प्रतिशत होता है। यह कम ऊष्मा तथा अधिक धुआँ देता है।
(4) पीट- इसमें कार्बन की मात्रा 30 प्रतिशत से भी कम पाया जाता है यह पूर्व के दलदली भागों में पाया जाता है।
प्रश्न 5. भारत में खनिज तेल के वितरण का वर्णन कीजिये?
उत्तर- भारत में मुख्य पाँच तेल उत्पादक क्षेत्र है।
(1) उत्तरी-पूर्वी प्रदेश- यह देश का सबसे पुराना तेल उत्पादक क्षेत्र है जहाँ 1866 ई. में तेल के लिए खुदाई शुरू की गई थी। ऊपरी असम घाटी, अरूणाचल प्रदेश, नागालैण्ड आदि विशाल तेल उत्पादक क्षेत्र इसके अन्तर्गत आते हैं।
(2) गुजरात क्षेत्र- यह क्षेत्र खम्भात के बेसिन तथा गुजरात के मैदान में विस्तृत है। यहाँ पहली बार 1958 में तेल का पता चला था। इसके मुख्य उत्पादक अंकलेश्वर, कलोल, नवगाँव, कोसांबा, मेंहसाना आदि।
(3) मुम्बई हाई क्षेत्र- यह क्षेत्र मुम्बई तट से 176 किलोमीटर दूर उत्तर-पश्चिमी दिशा में अरब सागर में स्थित है। यहाँ 1975 में तेल खोजने का कार्य शुरू किया। यहाँ समुद्र में सागर सम्राट नामक मंच बनाया गया है जो जलयान है और पानी के भीतर तेल के कुएँ खोदने का कार्य करता है।
Shakti Urja Sansadhan class 10th solution
(4) पूर्वी तट प्रदेश- यह कृष्णा-गोदावरी और कावेरी नदियों के बेसिन तथा मुहाने के समुद्री क्षेत्र में फैला हुआ है।
(5) बारमेर बेसिन- इस बेसिन के मंगला तेल क्षेत्र से सितम्बर 2009 से उत्पादन शुरू हो गया है। यहाँ प्रतिदिन 56000 बैरल तेल का उत्पादन हो रहा है। 2012 तक यह क्षेत्र भारत का 20 प्रतिशत प्रट्रोलियम उत्पादन होगा।
प्रश्न 6. जल विद्युत उत्पादन हेतु अनुकुल भौगोलिक एवं आर्थिक कारकों की विवेचना कीजिये?
उत्तर-जल विद्युत उत्पादक हेतु अनुकुल कारक हैं—
(1) प्रचुर जल राशि
(2) नदी मार्ग में ढ़ाल का होना
(3) जल का तीव्रतम वेग
(4) प्राकृतिक जल प्रपात इत्यादि।
आर्थिक कारक
(1) सघन औद्योगिक आबाद क्षेत्र
(2) बाजार
(3) पर्याप्त पूँजी निवेश
(4) परिवहन के साधन
(5) प्रौद्योगिकी ज्ञान
(6) अन्य ऊर्जा स्त्रोतों का अभाव।
प्रश्न 7. संक्षिप्त भौगोलिक टिप्पणी लिखिये— भाखड़ा-नंगल परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना, कोसी परियोजना, हीराकुंड परियोजना, रिहन्द परियोजना और तुंगभद्रा परियोजना।
उत्तर- (1) भाखडा-नंगल परियोजना- भाखड़ा नंगल बाँध विश्व की ऊँची बाँधों में से एक है, जो हिमालय क्षेत्र में सतलज नदी पर है। जिसकी ऊँचाई 225 मीटर है। यह भारत की सबसे बड़ी परियोजना है। इससे 7 लाख किलोवाट विद्युत उत्पन्न किया जाता है।
(2) दामोदर घाटी परियोजना- यह परियोजना दामोदर नदी पर झारखंड और पश्चिम बंगाल को बाढ़ से बचाने के लिए किया गया है। इससे 1300 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है।
(3) कोशी परियोजना- नेपाल स्थित हनुमान नगर में कोशी नदी पर बाँध बनाकर इस परियोजना से 20000 किलोवाट बिजली उत्पन्न किया जाता है।
(4) रिहन्द परियोजना- इस परियोजना को सोन की सहायक नदी रिहन्द पर उत्तर प्रदेश में 934 मीटर लंबा बाँध बनाकर किया गया है। इससे 30 लाख किलोवाट बिजली उत्पादन किया जाता हैं।
(5) हीराकुंड परियोजना- उड़ीसा के महानदी पर विश्व का सबसे लंबा बाँध बनाकर 2.7 लाख किलोवाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
(6) चंबल घाटी परियोजना- चंबल नदी पर राजस्थान में तीन बाँध गाँधी सागर, राणाप्रताप सागर और कोटा में स्थापित कर तीन शक्ति गृहों की स्थापना कर 2 लाख मेगावाट बिजली उत्पादन किया जाता है।
(7) तुंगभद्रा परियोजना- यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी-घाटी परियोजना है, जो कृष्णा नदी की सहायक नदी तुगंभद्रा नदी पर बनाई गई है।
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प्रश्न 8. भारत के किन्हीं चार प्रमाणु विद्युत गृह का उल्लेख कीजिये तथा उनकी विशेषताओं को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर- भारत में प्रमाणु चार विद्युत गृह निम्न है।
(1) तारापुर प्रमाणु विद्युत गृह- यह एशिया का सबसे बड़ा प्रमाणु विद्युत गृह है जो मुम्बई के तारापुर में स्थित है। इसकी स्थापना 1975 में संयुक्त राज्य अमेरिका के सहयोग से किया गया था।
(2) राणा प्रताप सागर विद्युत ग्रह- यह राजस्थान के कोटा में स्थापित है। यह चंबल नदी के किनारे है।
(3) कलपक्कम प्रमाणु विद्युत गृह- यह तमिलनाडू में स्थित है।
(4) नरौरा प्रमाणु विद्युत गृह- यह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के पास स्थित है।
प्रश्न 9. शक्ति (ऊर्जा) संसाधनों के संरक्षण हुतु कौन-कौन कदम उठाये जा सकते है? आप उसमें कैसे मदद पहुँचा सकते है?
उत्तर-शक्ति संसाधनों के संरक्षण में निम्न कदम उठाये जा सकते हैं—
(1) ऊर्जा के प्रयोग में मितव्ययीता- ऊर्जा संकट से बचने के लिए ऊर्जा के उपयोग में मितव्ययीता जरूरी है। इसके लिए तकनीकी विकास आवश्यक है ऐसे मोटर गाड़ीयों का निर्माण हो जो कम तेल में ज्यादा चलते हैं।
(2) ऊर्जा के नवीन क्षेत्रों की खोज- ऊर्जा संकट संसाधन के लिए परम्परागत ऊर्जा के नये क्षेत्रों का खोज किया जाए। वैसे जगहों का पता लगाया जाए जहाँ पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैसों का भंडार हो।
(3) ऊर्जा के नवीन वैकल्पिक संधनो का उपयोग- वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत में जल-विद्युत, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैव ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा आदि के विकास कर उपभोग कर शक्ति के संसाधन को संरक्षित किया जा सकता है।
(4) अंतराष्ट्रीय सहयोग- ऊर्जा संकट से बचने के लिए सभी राष्ट्र को आपसी भेद-भाव को भूलकर ऊर्जा समाधान हेतु आम सहमति से नीति निर्धारण करना चाहिए।
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