History Ch 2 समाजवाद एवं सम्यवाद Samajwad evam samyavad class 10th solutions

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ दो समाजवाद एवं सम्यवाद (Samajwad evam samyavad class 10th) के Book Solutions पढ़ेंगे।

Samajwad evam samyavad class 10th solutions

2. समाजवाद एवं सम्यवाद

अति लघु उत्तरीय प्रश्न :-

1. पूंजीवादी क्या है?
उत्तर :- पूंजीवादी एक आर्थिक व्यवस्था है। जिसमें उत्पादन में,साधनों पर निजी व्यक्ति का स्वामित्व (अधिकार) होता है।

2. खूनी रविवार क्या है?
उत्तर :- 9 जनवरी 1905 को लोगों का समूह “रोटी दो” के नारे के साथ सड़कों से सेंट पतिस्वर्ग महल की ओर जा रहे थे।परंतु जार की सेना ने इस निहत्थे लोगों पर गोलियां बरसाईं, जिसमें हजारों लोग मारे गए इस दिन रविवार था। इसलिए उसे खूनी रविवार कहते हैं। उसे (लाल रविवार) के नाम से भी जाना जाता है।

3. अक्टूबर क्रांति क्या है?
उत्तर :- 7 नवंबर 1917 ईस्वी को बोल्शेविका ने पेट्रोग्राड के रेलवे स्टेशन,बैंक, डाकघर, टेलीफोन केंद्र, कचहरी,तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया केरेंसीकी  रूस छोड़ कर भाग गया। इसे अक्टूबर क्रांति कहते हैं।

4. सर्वहारा वर्ग किसे कहते हैं?
उत्तर :- समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, मजदूर और आम गरीब लोग शामिल हो उसे सर्वहारा वर्ग कहते हैं।

5. क्रांति से पूर्व रूसी किसानों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर :- 1861 ई. में जार इलेक्टजेंड द्वितीय के द्वारा कृषि दास्तां समाप्त कर दिया। उसे किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं था। उनके खेत बहुत छोटे – छोटे थे। जिन पर वे पुराने ढंग से खेती करते थे। उनके पास पैसा भी नहीं था। तो तथा काम का दबाव भी था। किसानों के पास क्रांति के सिवा कोई चारा न  था।

Samajwad evam samyavad class 10th solutions

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।
उत्तर :- रूसी क्रांति के किन्ही दो कारण निम्नलिखित हैं।
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन  :- 1917 ईस्वी से रुसी राजतंत्र छोड़ने के लिए तैयार नहीं था। उसे लोगों की सुख-दुख का चिंता नहीं था। जार ने जो अफसरशाही व्यवस्था बनाई थी,वह जड़ और कुशल थी।
(ii) मजदूरों की दयनीय स्थिति :- रूस में मजदूरों की स्थिति कमजोर थी। उन्हें काम अधिक करना पड़ता था। उनकी मजदूरी काफी कम थी। उन लोगों के पास कोई राजनीतिक अधिकार न था।

2. रूसी करण की नीति क्रांति हेतु कहां तक उत्तरदाई थी?
उत्तर :-  रुसीकरण की नीति क्रांति में स्वाल जाति के लोग रहते थे। पिन, पोल, जर्मन, यहूदी,जाति के लोग भी थे। वे लोग भिन्न-भिन्न भाषा बोलते थे। उन लोग का रस्म रिवाज भी भिन्न-भिन्न था, और उसके अल्पसंख्यक समूह जार निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गई। जाने सभी लोगों पर रुसी भाषा, शिक्षा और संस्कृति, लाने का कोशिश किया इससे अल्पसंख्यको में हलचल मच गई।

3. साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे?
उत्तर :-  1917 ई. से पूर्व रूस में रोम नोव राजवंश का शासन था। रूस के सम्राट को ‘जार’ कहा जाता था। किसान, मजदूर और सामान्य लोगों का जीवन दयनीय था। 1917 ई.  में लेनिन के नेतृत्व में क्रांति हुई। सत्ता की बागडोर सर्वहारा (कृषक, मजदूर, और जनसामान्य) के हाथों में आ गया, और पूरे समाज का अधिकार हो गया। इसलिए साम्यवाद एक नई आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था थी।

4. नई आर्थिक नीति मार्क्सवादी सिद्धांतों के साथ समझौता था। कैसे?
उत्तर :- लेनिन एक कुशल सामाजिक चिंतक तथा व्यवहारिक राजयनितीज्ञ  था। उसने समाजवादी व्यवस्था लागू करना या एक साथ सारी पूंजीवादी दुनिया से टकराना संभव नहीं है, जैसे ट्रॉटस्की चाहता था। 1921 ईस्वी में उसने एक नई नीति की घोषणा की,जिसमें मार्क्सवादी मूल्यों से समझौता करना पड़ा। लेकिन वास्तव में पीछे अनुभवों से सीख कर व्यवहारिक कदम उठाना ही उस नीति का लक्ष्य था।.

5. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया। कैसे ?
उत्तर :- प्रथम विश्वयुद्ध 1914 से 1918 ईस्वी तक चला। युद्ध में रूस भी रास्ट्रो की ओर से शामिल था। इस युद्ध में सम्मिलित होने का एकमात्र उद्देश्य था। युद्ध में चारों तरफ रूसी के सेना के हार हो रही थी। ना उनके पास अच्छे हथियार थे,एवं नाही प्राप्त भोजन की सुविधा थी। जार की सेना ने कमान अपने हाथों में ले लिया। प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।

Samajwad evam samyavad class 10th solutions

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

1. रूसी क्रांति के कारणों की विवेचना करें।
उत्तर :- रूसी क्रांति के निम्नलिखित कारण हैं।
(i) जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन :- क्रांति से पूर्व रूस के सम्राट को “जार” कहा जाता था। जार निकोलस II शासनकाल में क्रांति हुआ।इसे लोगों के सुख-दुख का कोई प्रभाव नहीं था।
(ii) रूस की दयनीय स्थिति  :- रूस की बहुसंख्यक कृषक एवं लोगों की स्थिति दयनीय थी। तथा काम में बोझ से दबे थे, किसानों के पास क्रांति के सिवा कोई चारा नहीं था।
(iii) मजदूरों की दयनीय स्थिति  :- रूस में मजदूरों की स्थिति दयनीय थी। उन्हें अधिक काम करना पड़ता था। उन लोगों का मजदूरी काफी कम था।
(iv) औद्योगिकरण की समस्या  :- रूसी औद्योगिकीकरण पश्चिमी पूंजीवादी से भिन्न था। क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उद्योग था। आर्थिक शोषण को बढ़ावा दे रहे थे।
(V) रूसी करण की नीती :- जार निकोलस द्वितीय द्वारा जारी की गई रुसी करण की नीति से परेशान था। जार ने देश के सभी लोगों पर रूसी, भाषा,शिक्षा और संस्कृति लदने का प्रयास किया।

2. नई आर्थिक नीति क्या है ?
उत्तर :- लेनिन ने 1921 ईस्वी में एक नई नीति की घोषणा मार्क्सवाद मूल्यों से कुछ हद तक समझौता करना पड़ा। नई आर्थिक नीति में निम्नलिखित प्रमुख बातें थी।
(i) किसानों से अनाज लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया।
(ii) यधपी यह सिद्धांत में कायम रखा गया,कि जमीन राज्य की है। फिर भी व्यवहार में जमीन किसान की हो गई।
(iii) 20 से कम कर्मचारियों वाले उद्योगों को व्यक्तिगत रुप से चलाने का अधिकार मिल गया।
(iv) विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गए।
(iv) उद्योगों का वीकेंद्रीकरण कर दिया गया
(v) ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।

3. रूसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें ।
उत्तर :- (i) क्रांति के पश्चात सर्वहारा वर्ग की सता रूस में स्थापित हुई। बहुत से क्षेत्रों में आंदोलन की प्रोत्साहन दिया।
(ii) साम्यवादी विश्व एवं पूंजीवादी विश्व यूरोप भी दो भागों में विभाजित हो गया। इस तरह विभाजन नहीं देखा गया था ।
(iii) द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात पूंजीवाद विश्व तथा सोवियत रूस के बीच शीत युद्ध की शुरुआत हुई।
(iv) पूंजीवादी देशों ने भी परिवर्तित रूप में मॉडल को अपना लिया। पूंजीवाद में भी परिवर्तन आ गया।
(v) सोवियत रूस की साम्यवादी सरकार ने एशिया और अफ्रीका के देशों में होने वाले राष्ट्रीय आंदोलन को प्रदान किया।

4. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।
उत्तर :- कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 ई. को जर्मनी की राष्ट्रीय नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। कार्ल मार्क्स के पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे। उन्होंने बाद में चलकर ईसाई धर्म ग्रहण कर लिया था। मार्क्स ने बोन विश्वविद्यालय में विधि की शिक्षा प्राप्त की। 1836 ई.में बर्लिन विश्वविद्यालय चले आए,जहां उनकी जीवनी को एक नया मोड़ मिला। 1843 ई. में उसने बचपन के मित्र जेनी से विवाह किया। राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मोंटेस्कयु तथा दूसरों के विचार का गहन किया। मार्क्स की मुलाकात पेरिस में 1844 ई. में फ्रेंडरिक एंगेल्स से हुई। 1848 ई.  में ‘सम्यवादी घोषणा’ पत्र प्रकाशित किया। उसमें ‘दास कैपिटल’ नामक पुस्तक की रचना की जिसे समाजवादियों की बाइबिल कहा जाता है।

मार्क्स के सिद्धांत  –
(i) द्वद्वआत्मक भौतिकवाद का सिद्धांत।
(ii) वर्ग – संघर्ष का सिद्धांत।
(iii) इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या।
(iv) मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत।
(v) राज्य हिना  व वर्ग हीन समाज की स्थापना।

5. यूरोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें।
उत्तर :- प्रथम यूरोपियन समाजवादी विचारधारा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। फ्रांसीसी सेंट साइमन था। उसने घोषित किया ‘प्रत्येक की क्षमता के अनुसार’ तथा ‘प्रत्येक को उसके कार्य को अनुसार’। आगे यहीं समाजवाद का मूलभूत नारा बन गया।
एक महत्वपूर्ण यूरोपियन विचारक चार्ल्स फैरियर था। वह आधुनिक औद्योगिकवाद का विरोधी थे। उसका मानना था, कि श्रमिकों को छोटे नगर कस्बों में काम करना चाहिए। उस ने किसानों के लिए एक प्लग्स बनाए जाने की योजना रखी यह योजना और असफल हुआ।
फ्रांसीसी यूरोपियन में एकमात्र व्यक्ति राजनीतिक में भी हिस्सा ली, लूई ब्ला उसके सुधार कार्यक्रम अधिक व्यवहारिक थे।उसका मानना था, कि आर्थिक सुधारों को प्रभावकारी बनाने के लिए पहले राजनीतिक सुधार अवश्यक है।
फ्रांस से बाहर सबसे महत्वपूर्ण यूरोपियन चिंतक ब्रिटिश उद्योगपति रॉबर्टो ओवन था। उसने  फैक्ट्री के श्रमिकों को अच्छी वेतन दिया, और उसने ऐसा महसूस की  मुनाफा कम होने के बजाय और भी बढ़ गया था। वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि संतुष्ट  श्रमिक ही वास्तविक श्रमिक है।

Samajwad evam samyavad class 10th solutions

Read More – click here
YouTube Video – click here

Leave a Comment