इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्दी के पाठ 7 ‘परंपरा का मूल्यांकन (Parampra Ka Mulyankan Class 10 Solution Notes)’ के व्याख्या और सभी ऑब्जेक्टिव प्रश्नों के उत्तर को पढ़ेंगे।
7. परंपरा का मूल्यांकन
लेखक का नाम- रामविलास शर्मा
लेखक परिचय
जन्म- 10 अक्टूबर 1912 ई०, उन्नाव जिला के ऊँचा गाँव सानी में
मृत्यु- 30 मई 2000 ई०
इन्होनें अंग्रजी विषय में लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी विषय में एम० ए० तथा पी० एच० डी० की उपाधि प्राप्त की।
इन्होनें कुछ समय तक कन्हैया लाल, माणिकलाल मुंशी हिंदी विद्यापीठ, आगरा में निदेशक पद को सुशोभित किया।
रचनाएँ- निराला की साहित्यसाधना, भारतेन्दु हरिश्चंद्र, प्रेमचंद और उनका युग, भाषा और समाज, भारत में अंग्रेजी और मार्क्सवाद, इतिहास दर्शन, घर की बात आदि।
पाठ परिचय
इस नाम से संकलित पाठ ‘परंपरा का मूल्यांकन’ एक पुस्तक से लिया गया है। लेखक ने समाज, साहित्य और परंपरा से संबंधित सैद्धान्तिक और व्यावहारिक मीमांसा पर विचार किए हैं। यह निबंध परंपरा के ज्ञान, समझ और मूल्यांकन के विवेक को जगाते हुए साहित्य की सामाजिक विकास में क्रांतिकारी भूमिका को स्पष्ट करता है। इसलिए, यह निबंध नई पीढ़ी में परंपरा और आधुनिकता को अनुकूलित नई समझ में विकसित करने में सहयोग प्रदान करता है।
Parampra Ka Mulyankan Class 10 Solution Notes
पाठ का सारांश
प्रस्तुत पाठ ‘परम्परा का मूल्यांकन’ नामक टेक्स्ट रामविलास शर्मा द्वारा लिखा गया है, जो एक प्रगतिशील रचनाकारों के विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए साहित्यिक परंपरा के महत्व को बताते हुए कहते हैं कि साहित्य-परंपरा का ज्ञान प्रगतिशील साहित्य-रचनाकारों के लिए आवश्यक है। साहित्यिक-परंपरा के ज्ञान से ही प्रगतिशील आलोचना का विकास होता है और साहित्य की धारा बदली जा सकती है। इससे नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण संभव होता है। साहित्य विचारधारा से अधिक है, क्योंकि मनुष्य अपने आर्थिक जीवन के साथ-साथ एक प्राणी के रूप में भी जीवन व्यतीत करता है।
साहित्य का विकास समाज के विकास के साथ होता रहता है। 19वीं और 20वीं सदी के कवि अपने पूर्ववर्तियों की रचनाओं का मनन करते हैं, उनसे सीखते हैं और नई परंपराओं को जन्म देते हैं। दूसरों के साहित्य की नकल करने वाला साहित्य अधम कोटि का होता है और सांस्कृतिक असमर्थता का प्रतीक होता है। उत्तम साहित्य अन्य भाषाओं में अनुवाद करने पर अपना कलात्मक सौंदर्य खो देता है। इससे कला की आवृति नहीं होती। अमेरिका और रूस ने एटम बम बनाया, लेकिन इंग्लैंड में शेक्सपियर के नाटकों जैसी कला नहीं लिखी गई।
19वीं सदी में शेली तथा वायरन ने उन यूनानी लोगों के सहयोग किया जो अपनी स्वाधीनता के लिए लड़ रहे थे, ताकि एकात्मकता की पहचान हो सके। भारतीयों ने भी अपने स्वाधीनता संग्राम के दौरान इस एकात्मकता को पहचाना।
मानव समाज बदलता है और अपनी अस्मिता कायम रखता है, क्योंकि मानव समुदाय को जाति के रूप में संगठित करने वाले तत्वों से सम्बंधित है। साहित्य परंपराओं के ज्ञान के कारण ही पूर्वी और पश्चिमी बंगाल के लोग सांस्कृतिक रूप से एक हैं। कोई भी देश बहुजातिय और बहुभाषी होने के बावजूद, जब उस देश को मुसीबत का सामना करना पड़ता है, तो राष्ट्रीय अस्मिता लोगों को मुसीबत से लड़ने में सहयोग करने का संदेश देती है।
हिटलर के आक्रमण के समय रूसी जाति ने बार-बार अपनी साहित्य परंपरा को याद किया। टॉल्स्टाय सोवियत समाज में पढ़े जाने वाले महान साहित्यकार हैं, जो रूसी जाति का अस्मिता सुदृढ़ और पुष्ट करते हैं।
1917 ई0 के रूसी क्रांति से पहले रूसी और गैर-रूसी लोग थे, लेकिन इस क्रांति के बाद रूसी और गैर-रूसी जातियों के संबंधों में बड़ा परिवर्तन हुआ। सभी जातियों ने एक हो गई, लेकिन सोवियत संघ का इतिहास भारत के जैसा नहीं है।
यूरोप के लोग यूरोपियन संस्कृति की बात करते हैं, लेकिन यूरोप कभी राष्ट्र नहीं बना।
राष्ट्रीयता के दृष्टिकोण से भारत ही ऐसा देश है जहां एक जाति दूसरी जाति पर थोपी नहीं गई है, बल्कि वह संस्कृति और इतिहास का संग्रह है।
इस संस्कृति के निर्माण में देश के कवियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रामायण और महाभारत इस देश की संस्कृति के एक अहम अंग हैं। इनके बिना भारतीय साहित्य कि एकता भंग हो जाएगी।
समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है, क्योंकि लेखक का तर्क है कि जैसे जारशाही रूस समाजवादी व्यवस्था को बनाए रखने से नवीन राष्ट्र उत्पन्न हो सकता है, ठीक उसी तरह समाजवादी व्यवस्था को बनाए रखने से भारत में राष्ट्रीय अस्मिता मजबूत होगी।
समाजवादी व्यवस्था ही पूँजीवादी व्यवस्था से शक्ति का अपवाह करती है और देश के साधनों का समुचित उपयोग भी समाजवादी व्यवस्था में ही हो सकता है।
जब देश की निरक्षर और निर्धन जनता साक्षर होगी, तब वह रामायण और महाभारत की नहीं, बल्कि उत्तर भारत के लोग दक्षिण भारत की कविताओं को और दक्षिण भारत के लोग उत्तर भारत की कविताओं को बड़े चाव से पढ़ेंगे, जिससे बहुत बड़े स्तर पर सांस्कृतिक आदान-प्रदान होगा और अंग्रेजी भाषा जगह जाकर ज्ञानार्जन की भाषा बनेगी।
हम अंग्रेजी के साथ-साथ यूरोप की अनेक भाषाओं का भी अध्ययन करेंगे। हम एशिया के भाषाओं के साहित्य के माध्यम से भारतीय साहित्य की गौरवशाली परंपराओं को समझेंगे और मानव संस्कृति की विशाल धारा में इसका नवीन योगदान होगा।
परंपरा का मूल्यांकन Subjective Questions
प्रश्न 1. साहित्य सापेक्ष रूप से स्वाधीन क्यों होता है? (2018C)
उत्तर-साहित्य स्वतंत्र होता है क्योंकि यह मनुष्य और परिस्थितियों के द्वन्द्वात्मक सम्बन्ध पर निर्भर करता है और किसी एक पर नहीं।
प्रश्न 2. लेखक के अनुसार आदर्श समाज में किस प्रकार की गतिशीलता होनी चाहिए ? (2018A)
उत्तर- लेखक के अनुसार, आदर्श समाज में उतनी गतिशीलता होनी चाहिए जिससे कि समाज के किसी भी कोने से दूसरे कोने तक वांछित परिवर्तनों का संचार संभव हो सके।
प्रश्न 3. परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ? (पाठ्य पुस्तक, 2015A,2015C,2016C,2014C)
उत्तर- साहित्य में युग परिवर्तन करना चाहने वाले, क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उन्हें साहित्य की परंपरा का ज्ञान अवश्य चाहिए। साहित्य की परंपरा से प्रगतिशील आलोचना का ज्ञान प्राप्त होता है जिससे साहित्य की धारा को मोड़कर नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है।
प्रश्न 4. किस तरह समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है? इस प्रसंग में लेखक के विचारों पर प्रकाश डालें। (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- लेखक का कहना है कि पूँजीवादी व्यवस्था में शक्ति का अपव्यय होता है। देश के साधनों का सबसे अच्छा उपयोग समाजवादी व्यवस्था में ही संभव होता है। अनेक छोटे-बड़े राष्ट्रों ने समाजवादी व्यवस्था कायम करने के बाद पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हो गए हैं। भारत की राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास समाजवादी व्यवस्था में ही संभव होगा। वास्तव में समाजवाद हमारी राष्ट्रीय आवश्यकता है।
प्रश्न 5. परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानता है? (Text Book)
उत्तर- लेखक के अनुसार साहित्य के मूल्यांकन में वर्गीय आधार का ज्ञान महत्वपूर्ण है। हम उस साहित्य का मूल्यांकन करते हैं जो शोषक वर्गों के विरुद्ध जनता के हितों को प्रतिविम्बित करता है और उस साहित्य पर ध्यान देते हैं जिसकी रचना का आधार शोषित जनता का श्रम है।
प्रश्न 5. परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानता है? (Text Book) उत्तर- परंपरा के मूल्यांकन में साहित्य के वर्गीय आधार का ज्ञान बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके दृष्टिकोण से, हम सबसे पहले उस साहित्य का मूल्य निर्धारित करते हैं जो शोषक वर्गों के विरुद्ध जनता के हितों को प्रतिविम्बित करता है। इसके साथ ही, हम उस साहित्य पर ध्यान देते हैं जिसकी रचना शोषित जनता के श्रम पर आधारित होती है।
प्रश्न 6. साहित्य का कौन सा पक्ष अपेक्षाकृत स्थायी होता है ? इस संबंध में लेखक की राय स्पष्ट करें। (Text Book,2011C)
उत्तर- साहित्य मनुष्य के पूर्ण जीवन से जुड़ा हुआ होता है। जीवन के साथ-साथ, वह एक प्राणी के रूप में भी जीता है। साहित्य में उसकी कई आदिम भावनाएं दिखाई देती हैं, जो उसे प्राणी मात्र से नहीं बल्कि मानव होने के साथ जोड़ती हैं। साहित्य केवल विचारधारा नहीं है, बल्कि उसमें मनुष्य की भावनाएं और इन्द्रिय बोध भी व्यक्त होते हैं। इसलिए, साहित्य का यह पहलू अटल होता है।
प्रश्न 7. – बहुजातीय राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुकाबला क्यों नहीं कर सकता? (Text Book,2017C)
उत्तर- इतिहास की नजर में भारत को देखा जाए तो संसार के कोई भी देश बहुजातीय राष्ट्र के स्तर पर उससे मुकाबला नहीं कर सकता। इस देश में राजनीतिक प्रभुत्व एक जाति द्वारा दूसरी जातियों पर स्थापित नहीं हुआ है, बल्कि यहाँ राष्ट्रीयता संस्कृति और इतिहास की देन है। भारत की साहित्य परंपरा का मूल्यांकन महत्वपूर्ण होता है, जो अन्य देशों में इस तरह से नहीं होता है। भारत में कवियों को सामाजिक विकास में विशेष भूमिका मिलती है।
Parampra Ka Mulyankan Class 10 Solution Notes
प्रश्न 8. राजनीतिक मूल्यों से साहित्य के मूल्य अधिक स्थायी कैसे होते हैं ? (Text Book)
उत्तर- लेखक दावा करते हैं कि साहित्य का महत्व राजनीतिक मूल्यों की तुलना में अधिक स्थायी होता है। यह सत्यता टेनिसन नामक एक अंग्रेज़ कवि द्वारा बताई गई है जिन्होंने लैटिन कवि वर्जिल की एक कविता का उल्लेख किया है। उस कविता में रोमन साम्राज्य का अंत हो गया होता है, लेकिन वर्जिल के काव्य सागर की श्लोक आज भी हमें याद हैं और हमारे हृदय को आनंदित करते हैं।
प्रश्न 9. भारत की बहुजातीयता मुख्यतः संस्कृति और इतिहास की देन है। कैसे? (Text Book)
उत्तर- भारत में कवियों ने सामाजिक विकास में विशेष भूमिका निभाई है, जैसे व्यास और वाल्मीकि। महाभारत और रामायण ने भारतीय साहित्य की एकता को स्थापित किया है। इस देश में कई जातियों को अस्मिता के साथ संस्कृति का निर्माण किया गया है। भारत में विभिन्न जातियों का समरसता से मिला-जुला इतिहास रहा है जिसने राष्ट्रीयता की जड़ को मजबूत किया है।
परंपरा का मूल्यांकन Objective Questions
प्रश्न 1. निराला की साहित्य साधना किसकी रचना है?
(क) अमरकांत
(ख) रघुवीर सहाय
(ग) रामविलास शर्मा
(घ) हजारी प्रसाद द्विवेदी
उत्तर- (ग) रामविलास शर्मा
प्रश्न 2. इस कहानी के लेखक रामविलास शर्मा का जन्म कब हुआ?
(क) 10 अक्टूबर 1912
(ख) 12 अक्टूबर 1914
(ग) 14 अक्टूबर 1916
(घ) 16 अक्टूबर 1918
उत्तर- (क) 10 अक्टूबर 1912
प्रश्न 3. इस कहानी के लेखक रामविलास शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?
(क) नन्द गाँव, मथुरा
(ख) हरनौत बिहार
(ग) उच्च गाँव, सानी
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ग) उच्च गाँव, सानी
Parampra Ka Mulyankan Class 10 Solution Notes
प्रश्न 4. रामविलास शर्मा को किस कृति के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ है?
(क) प्रेमचंद और उनका युग
(ख) नयी कविता और अस्तित्ववाद
(ग) निराला की साहित्य साधना
(घ) भारतेन्दु हरिश्चन्द
उत्तर- (ग) निराला की साहित्य साधना
प्रश्न 5. साहित्य की परम्परा का पूर्ण ज्ञान किस व्यवस्था में संभव है?
(क) सामंतवादी व्यवस्था
(ख) पूँजीवादी व्यवस्था
(ग) समाजवादी व्यवस्था
(घ) इनमें सभी
उत्तर- (ग) समाजवादी व्यवस्था
प्रश्न 6. परम्परा का ज्ञान किनके लिए आवश्यक है?
(क) जो लकीर के फकीर है
(ख) जो उपयोगी साहित्य की रचना करे
(ग) जो लकीर के फकीर न होकर क्रांतिकारी साहित्य की रचना करें
(घ) जो उपयोगी साहित्य की रचना ना करें
उत्तर- (ग) जो लकीर के फकीर न होकर क्रांतिकारी साहित्य की रचना करें
प्रश्न 7. भारती के राष्ट्रीय क्षमता का पूर्ण विकास किस व्यवस्था में संभव है?
(क) सामंतवादी व्यवस्था
(ख) पूँजीवादी व्यवस्था
(ग) समाजवादी व्यवस्था
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) पूँजीवादी व्यवस्था
प्रश्न 8. लेखक रामविलास शर्मा के गाँव का क्या नाम था?
(क) ऊँचका सानी
(ख) ऊँचगाँव सानी
(ग) उचका गाँव सैनी
(घ) उच्चा गाँव सैनी
उत्तर- (ख) ऊँचगाँव सानी
प्रश्न 9. भौतिकवाद का अर्थ भाग्यवाद नहीं है किस निबंध की पंक्ति है?
(क) नागरी लिपि
(ख) परम्परा का मूल्यांकण
(ग) श्रम-विभाजन और जाति प्रथा
(घ) भारत से हम क्या सींखें
उत्तर- (ख) परम्परा का मूल्यांकण
प्रश्न 10. परम्परा का मूल्यांकन शिर्षक पाठ साहित्य की कौन विधा है?
(क) कहानी
(ख) निबंध
(ग) व्यंग्य
(घ) रेखाचित्र
उत्तर- (ख) निबंध
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