BSEB Class 10 Hindi Ch 4 नाखून क्यों बढ़ते हैं | Nakhun Kyon Badhte Hain Class 10th Solution Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिंदी के पाठ 4 ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं ( Nakhun Kyon Badhte Hain Class 10th Soludtion Notes)’ के Book solution को पढ़ेंगे। Class 10th Soludtion Notes

Nakhun Kyon Badhte Hain Class 10th Soludtion Notes 4.नाखून क्यों बढ़ते हैं

लेखक परिचय
लेखक का नाम- हजारी प्रसाद द्विवेदी
जन्म- 19 अगस्त 1907 ई0, उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के ‘आरत दूबे का छपरा’ नामक गाँव में हुआ था।
मृत्यु- 19 मई 1979 ई0
पिता- श्री अनमोल द्विवेदी
माता- श्रीमति ज्योतिष्मती

इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही संस्कृत के माध्यम से हुई। उच्च शिक्षा के लिए ये काशी हिन्दु विश्वविद्यालय गए। वहाँ से इन्होनें ज्योतिषाचार्य की उपाधि प्राप्त की। कबीर पर गहन अध्ययन करने करने के कारण 1949 ई0 में लखनऊ विश्वविद्यालय ने इन्हें पी० एच० डी० की मानक उपाधि से सम्मानित किया। 1957 ई0 में भारत सरकार के द्वारा इन्हें पद्मभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया।
साहित्यिक रचनाएँ- अशोक के फूल, कुटज, कल्पलता, वाणभट्ट की आत्म कथा, पुर्ननवा, चारुचन्द्रलेख, अनामदास का पोथा, हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकाश, हिन्दी साहित्य की भूमिका आदि।

पाठ परिचय

लेखक के अनुसार नाखुनों का बढ़ना मनुष्य की पाशवी वृति का प्रतिक है और उन्हें काटना या नहीं बढ़ने देना मानवता का ही एक संकेत है। वनमानुष के जमाने में नाखून अस्त्र थे। आज अनेक अस्त्र-शस्त्रों के निमार्ण से मनुष्य उनके प्रयोग से सुरक्षित हुआ है। इसलिए नाखून बढ़ते हैं तो कोई बात नहीं, पर उन्हें काटना मानवता का एक संकेत होता है। हमें अपने भीतर के पशुता के चिन्हों को त्याग देने चाहिए और उसके स्थान पर मानवता को अपनाना चाहिए। इससे हम मानवता के संकेत को बढ़ावा देंगे।

पाठ का सारांश

Nakhun Kyon Badhte Hain Class 10th Soludtion Notes

‘नाखून क्यों बढ़ते हैं‘ नामक पाठ हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखा गया है। इसमें लेखक ने नाखूनों के माध्यम से मनुष्य के आदिम बर्बर प्रवृति का वर्णन करते हुए उसे बर्बरता त्यागकर मानवीय गुणों को अपनाने का संदेश दिया है। एक दिन लेखक की पुत्री ने प्रश्न पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं? इस प्रश्न से लेखक को हतप्रभ हो गए। उन्होंने मानव-सभ्यता के विकास पर अपना विचार प्रकट करते हुए बताया कि लाखों वर्ष पूर्व जब मनुष्य जंगली अवस्था में था, तब उसे अपनी रक्षा के लिए हथियारों की आवश्यकता थी। इसके लिए मनुष्य ने अपनी नाखूनों को हथियार स्वरूप प्रयोग करने के लिए बढ़ाना शुरू किया। नाखूनों को हथियार के रूप में उपयोग करने से बाद में पत्थर, पेड़ की डाल आदि का व्यवहार होने लगा। इस प्रकार मानव सभ्यता का विकास होता गया और मनुष्य ने अपने हथियारों को भी विकसित करना शुरू किया।

वह इस बात से हैरान होता है कि आज लोग नाखून नहीं काटने पर अपने बच्चों को डांटते हैं, लेकिन प्रकृति फिर भी उनके नाखून बढ़ाती है। अब मानव के पास कई शक्तिशाली हथियार हैं, इसलिए वह नाखून नहीं बढ़ाना चाहता है।

लेखक सोचता है कि मनुष्य किस दिशा में बढ़ रहा है – मानवता की दिशा में या पशुता की दिशा में? अस्त्र-शस्त्र को बढ़ाने की दिशा में या उन्हें कम करने की दिशा में? आज के युग में नाखून पशुता के अवशेष हैं तथा अस्त्र-शस्त्र पशुता के निशान हैं।

इसी तरह, भाषा में विभिन्न शब्द विभिन्न रूपों के प्रतिक होते हैं। उदाहरण के लिए, “इंडिपेंडेंस” शब्द का अर्थ होता है “अनाधीनता” या “किसी की अधीनता की अभाव”, किन्तु हमने इसका अर्थ “स्वाधीनता”, “स्वतंत्रता” और “स्वराज” से जोड़ा है।

आज की परिस्थितियाँ उलझनों की मात्रा बढ़ गई हैं और उपकरण नए हो गए हैं, लेकिन मूल समस्याएँ अधिक नहीं बदली हैं। पुराने के मोह के बंधन में रहना जरूरी नहीं होता है, नएपन को अपनाना चाहिए, लेकिन नये की खोज में सर्वस्व को न खो देना चाहिए। कालिदास ने कहा है कि ‘सब पुराने अच्छे नहीं होते और सब नए खराब नहीं होते।‘ इसलिए, दोनों को जाँचकर जो हितकर हो उसे ही स्वीकार करना चाहिए।

मनुष्य और पशु दोनों में आहार-निद्रा आदि की दृष्टि से समानता है, लेकिन मनुष्य पशु से भिन्न है। मनुष्य में संयम, श्रद्धा, त्याग, तपस्या तथा दूसरे के सुख-दुःख के प्रति संवेदना का भाव होता है, जो पशु में नहीं होता। मनुष्य लड़ाई-झगड़ा को अपना आर्दश नहीं मानता, उसे क्रोधी एवं अविवेकी को बुरा समझता है।

मनुष्य की स्थिति में सुख प्राप्त करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि देश के नेताओं की सलाह उत्पादन बढ़ाने के लिए वस्तुओं की कमी के बारे में बताती है, लेकिन बूढ़े आत्मावलोकन के ओर ध्यान दिलाने का महत्व भी बताया है। लेखक ने प्रेम की महत्वता को भी बताया है, जो हमारे अंतर्द्वंद्व में होता है।

इस निबंध में लेखक मानवता को उजागर करते हुए महाविनाश से मुक्ति की ओर ध्यान खींचते हुए हैं।

नाखून क्यों बढ़ते हैं Subjective Questions

प्रश्न 1. नाखून क्यों बढ़ते हैं ? यह प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- एक दिन लेखक की छोटी लड़की ने पूछा कि नाखून क्यों बढ़ते हैं? उस दिन से यह प्रश्न लेखक की सोचने का विषय बन गया।

प्रश्न 2. ’स्वाधीनता’ शब्द की सार्थकता लेखक क्या बताता है? (पाठ्य पुस्तक, 2013C)
उत्तर- लेखक कहते हैं कि स्वाधीनता शब्द का अर्थ है ‘अपने ही अधीन रहना’। यहाँ के लोगों ने अपनी आजादी के जितने भी नामकरण किये हैं जैसे स्वतंत्रता, स्वराज और स्वाधीनता, लेकिन उनमें स्व का बंधन अवश्य है।

प्रश्न 3. लेखक के अनुसार सफलता और चरितार्थता क्या है? (2018A)
उत्तर- सफलता और चरितार्थ में लेखक ने अंतर बताया है। सफलता उस प्रकार होती है जब हम बल, छल या बुद्धि का प्रयोग करके सफल हो जाते हैं। लेकिन चरितार्थता वह भाव है जो प्रेम, मैत्री, त्याग और जनकल्याण का भाव रखते हुए जीवन में आगे बढ़ने को कहते हैं।

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प्रश्न 4. लेखक की दृष्टि में हमारी संस्कृति की बड़ी भारी विशेषता क्या है? स्पष्ट कीजिए। (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- लेखक के अनुसार, हमारी संस्कृति की बड़ी विशेषता यह है कि हम अपने आपको स्वतंत्रता से नहीं बल्कि अपने आपके द्वारा लगाया गया बंधन से बांधते हैं। भारतीय लोगों का मनस्थिति अधिकतर स्वाधीनता की तुलना में अनधिकृतता के स्थान पर स्वाधीनता के बारे में सोचता है। यह भारतीय संस्कृति की विशेषता है जो हमारे दीर्घकालीन संस्कारों से आती है। इसलिए, स्वतंत्रता के बंधन को छोड़ना आसान नहीं होता है।

प्रश्न 5. मनुष्य की पूँछ की तरह उसके नाखून भी एक दिन झड़ जाएंगे। प्राणिशास्त्रियों के इस अनुमान से लेखक के मन में कैसी आशा जगती है? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- प्राणीशास्त्रियों का मानना है कि एक दिन मनुष्य के नाखून भी उसकी पूंछ की तरह झड़ जाएँगे। लेखक के मन में इस बात के आधार पर आशा है कि भविष्य में मनुष्य के नाखूनों का बढ़ना बंद हो जाएगा और मनुष्य अपने अनावश्यक अंगों को त्याग कर पूर्णतः मानवता को अपनाएगा, जिस तरह उसकी पूंछ झड़ गई।

प्रश्न 6.लेखक द्वारा नाखनों को अस्त्र के रूप में देखना कहाँ तक संगत है ? (2013A,2016A)
कुछ लाख वर्ष पहले मनुष्य जंगली था और नाखून उसके लिए बहुत जरूरी थे। नाखून आत्मरक्षा और भोजन के लिए बहुत अहम थे। उन दिनों प्रतिद्वंदियों को पछाड़ने के लिए नाखूनों की जरूरत थी। वह अस्त्र के रूप में उपयोगी थे क्योंकि उस समय लोहे या कारतूस वाले अस्त्र नहीं थे।

प्रश्न 7. लेखक ने किस प्रसंग में कहा है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट करें। (पाठ्य पुस्तक, 2013C)
लेखक ने जीवनयापन करने के संदर्भ में रूढ़िवादी विचारधारा और प्राचीन संवेदनाओं को छोड़कर बताया है कि बंदरिया मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती। इसका मतलब है कि जो बंदरियाँ मरे बच्चे को गोद में दबाकर बचाती हैं, वे मनुष्य के आदर्श नहीं हो सकती। इससे स्पष्ट होता है कि केवल प्राचीन विचारधारा या रूढ़िवादी विचारधारा विकासवाद के लिए उपयुक्त नहीं हो सकती। व्यक्ति को बुद्धिजीवी होने के नाते परिस्थिति के अनुसार साधन का प्रयोग करना चाहिए।

प्रश्न 8. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटते हैं । (पाठ्य पुस्तक, 2015A)
उत्तर- मनुष्य सभ्यता के लिए हमेशा प्रयासरत रहा है। प्रारंभ में मानव और पशु एक जैसे थे और नाखून उनके अस्त्र थे। लेकिन मानवीय विकास की धारा अग्रसर होते हुए, मनुष्य अपने आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति और अस्त्र-शस्त्र में नवीनता लाता गया। वह पुरानी जीवन-शैली को बदलता गया जो नाखूनों को सौंदर्य का रूप देता हुआ पशु से भिन्न बनाता गया। नाखूनों को मनुष्य काटकर, नयापन लाया जाता है ताकि उन्हें सँवारा जा सके।

प्रश्न 9. निबंध में लेखक ने किस बूढ़े का जिक्र किया है ? लेखक की दृष्टि में बूढ़े के कथनों की सार्थकता क्या है? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर – लेखक ने महात्मा गांधी को बूढ़े के प्रतीक रूप में उल्लेख किया है। लेखक के अनुसार, महात्मा गांधी के वचनों में सत्य, सौंदर्य और विश्वसनीयता के साथ-साथ जो पाशविक प्रवृत्ति है, उसे उजागर करते हुए उन्होंने समस्त जनसमुदाय को हिंसा, क्रोध, मोह और लोभ से दूर रहने की सलाह दी। वे गंभीरता को धारण करने की सलाह देते थे, लेकिन उनके उपदेश बुद्धिजीवी वर्ग के लिए भी थे।

प्रश्न 10. बढ़ते नाखूनों द्वारा प्रकृति मनुष्य को क्या याद दिलाती है! (पाठ्य पुस्तक, 2015C)
उत्तर- प्राचीन काल में मनुष्य जंगली था जैसा कि वनमानुष की तरह। उस समय वह अपने नाखून का उपयोग करके जीवन की सुरक्षा करता था। आज नखधर मनुष्य अत्याधुनिक हथियारों पर भरोसा करता हुआ आगे बढ़ता है, पर उसके नाखून अभी भी बढ़ते हैं। ये बढ़ते नाखून प्रकृति से यह समझाते हैं कि तुम अब भी अपने अस्त्रों के बिना वंचित नहीं हो। तुम्हारे नाखून भुलाए नहीं जा सकते। तुम वहीं प्राचीनतम नख एवं दंत पर आधारित जीव हो, जिसके पास पशु की समानता अभी भी मौजूद है।

प्रश्न 11. सुकुमार विनोदों के लिए नाखून को उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसे शुरू किया? लेखक ने इस संबंध में क्या बताया है ? (पाठ्य पुस्तक,2012C)
उत्तर- लेखक ने बताया है कि पशुता से सभ्यता की उत्पत्ति के समय नाखून काटने की प्रवृत्ति पनपी। इस प्रवृत्ति को कलात्मक रूप दिया गया। कामसूत्र से पता चलता है कि दो हजार वर्ष पहले भारतवासियों में नाखूनों को सजाने की परिपाटी विकसित हुई थी। यह कला मनोरंजन के साथ-साथ विविध आकृतियों के नाखून बनाने में बढ़िया साधन थीं।

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प्रश्न 12. नख बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहजात वृत्तियाँ हैं? इनका क्या अभिप्राय है। (पाठ्य पुस्तक)
मानव शरीर में कुछ ऐसी सहज वृत्तियाँ होती हैं जो अनायास ही अपने आप काम करती हैं। नाखून बढ़ना उनमें से एक है। इन सहज वृत्तियों को सहजात स्मृतियों कहा जाता है। नख बढ़ने की सहज वृत्ति मनुष्य में निहित पशुत्व का प्रमाण है। उन्हें काटने की जो प्रवृति है वह मनुष्यता की निशानी है। मानव पशुता को छोड़ चुका है क्योंकि पशु बनकर वह आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए पशुता की पहचान नाखून को मनुष्य काट देता है। यह सहज वृत्ति दीर्घकालीन आवश्यकता बन गई है जो मानव शरीर में विद्यमान रही है।

प्रश्न 1. सब पूराने अच्‍छे नहीं होते और सब नये खराब नहीं होते ऐसा किसने कहा?
(क) पतंजली ने     (ख) कालीदास ने
(ग) वात्‍स्‍यायन ने  (घ) कबीर ने

उत्तर- (ख) कालीदास ने

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नाखून क्यों बढ़ते हैं Objective Questions

प्रश्न 1. सब पूराने अच्‍छे नहीं होते और सब नये खराब नहीं होते ऐसा किसने कहा?
(क) पतंजली ने    

(ख) कालीदास ने
(ग) वात्‍स्‍यायन ने 
(घ) कबीर ने

उत्तर- (ख) कालीदास ने

प्रश्न 2. द्विवेदी जी ने निर्लज्ज अपराधी किसे कहा है?
(क) नाखून को  

(ख) चोर
(ग) गुण्‍डा         
(घ) बदमाश

उत्तर- (क) नाखून को

प्रश्न 3. हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित पाठ है?
(क) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं 
(ख) मछली
(ग) बहादुर                   
(घ) आविन्‍यों

उत्तर- (क) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं

प्रश्न 4.ललित निबंध है?
(क) मछली 

(ख) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं
(ग) बहादुर   
(घ) जनतंत्र का जन्‍म

उत्तर- (ख) नाखून क्‍यों बढ़ते हैं

प्रश्न 5. पुराने का मोह सब समय वांछनिय ही नही होता किस लेखक की पंक्ति है?
(क) मैक्‍समूलर              

(ख) रामविलाश शर्मा
(ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी 
(घ) महात्‍मा गाँधी

उत्तर- (ग) हजारी प्रसाद द्विवेदी

प्रश्न 6. दधीचि की हड्डी से क्‍या बना था?
(क) तलवार      

(ख) त्रिशुल
(ग) इंद्र का वज्र  
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (ग) इंद्र का वज्र

प्रश्न 7. हजारी प्रसाद द्विवेदी का जन्‍म कब हुआ?
(क) 1905 

(ख) 1907
(ग) 1909  
(घ) 1911

उत्तर- (ख) 1907

प्रश्न 8. नख (नाखून) किसका प्रतिक है?
(क) मानव का 
(ख) पशुता का
(ग) दोनों        
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (ख) पशुता का

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प्रश्न 9. लेखक के अनुसार मनुष्‍य के नाखून किसके जीवंत प्रतिक है?
(क) मनुष्‍यता के      

(ख) सभ्‍यता के
(ग) पाशवी वृति के  
(घ) सौंदर्य के

उत्तर- (ग) पाशवी वृति के

प्रश्न 10. सहजात वृतियाँ किसे कहते हैं?
(क) अस्‍त्रों के संचयन को

(ख) अनजान स्‍मृतियों को
(ग) स्‍व के बंधन को       
(घ) उपयुक्‍त सभी

उत्तर- (ख) अनजान स्‍मृतियों को

प्रश्न 11.द्विेवेदी से किसने पूछा था नाखून क्‍यों बढ़ते हैं?
(क) लड़के ने    

(ख) लड़की ने
(ग) पत्नी ने       
(घ) नौकर ने

उत्तर- (ख) लड़की ने

प्रश्न 12. नाखून क्‍यों बढ़ते हैं पाठ में बुढ़े ने सबसे बड़ी चीज किसे माना है?
(क) प्रेम      

(ख) क्रोध
(ग) भय       
(घ) घृणा

उत्तर- (क) प्रेम

प्रश्न 13. किस देश के लोग बड़े-बड़े नख पसंद करते हैं?
(क) अंगदेश के    

(ख) गंधार के
(ग) कैकय देश के 
(घ) गौर देश के

उत्तर- (घ) गौर देश के

प्रश्न 14. अनामदास का पोथा उपन्‍यास किस लेखक की कृति है?
(क) हजारी प्रसाद द्विवेदी   

(ख) अमरकांत
(ग) यतीन्‍द्र मिश्र             
(घ) रामधारी सिंह दिनकर

उत्तर- (क) हजारी प्रसाद द्विवेदी

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