BSEB Class 10 Hindi Ch 3 माँ | Maa Class 10th Solution Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी के वर्णिका भाग-2 के पाठ तीन ‘माँ (Maa Class 10th Solution Notes)’ के Book solution और सभी ऑब्‍जेक्टिव प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Maa Class 10th

3. माँ
लेखक- ईश्वर पेटलीकर

लेखक परिचय
वास्तविक नाम- ईश्वर मोतीभाई पटेल

जन्म- पेटलाड के समीप पेटली ग्राम में (गुजरात), 9 मई 1916 ई0

मृत्यु- 22 नवंबर 1983 ई.

हिन्दी अनुवाद- गोपाल दास नागर

यह गुजराती भाषा के अति लोकप्रिय कथाकार हैं। श्री पेटलीकर साहित्य के अतिरिक्त सामाजिक और राजनीतक जीवन में भी सक्रिय रह हैं।

पाठ परिचय

यह कहानी एक माँ की ममता को बहुत ही सुंदर ढंग से दर्शाती है। माँ के लिए हर बच्चा समान और प्रिय होता है, लेकिन माँ का प्यार सबसे छोटे बच्चे के प्रति अधिक होता है। इस माँ की चार संतान हैं, जिनमें दो बड़े पुत्र शहर में नौकरी करते हैं और एक बेटी की शादी हो चुकी है। छोटी बेटी मंगु पागल है लेकिन माँ उसे बहुत प्यार करती है और उसे अस्पताल में भर्ती नहीं कराती है। लोग मंगु को अस्पताल में भर्ती करने की सलाह देते हैं, लेकिन माँ कहती है कि जो लाड़-प्यार मैं मेरी बेटी से करती हूँ, वो कोई अस्पताल में नहीं कर सकता। उनकी सेवा देख लोग दंग रह जाते हैं।

माँ मंगु को दिये ध्यान से कमाऊ पुत्रों और शादी-शुदा पुत्री से कम नहीं होता। लेकिन जब गाँव की लड़की कुसुम ठीक होकर वापस आती है तो माँ भी अपनी पागल पुत्री को अस्पताल में भर्ती कराने को राजी हो जाती है। लेकिन पुत्री अलग होते ही उसकी स्थिति वही रह जाती है, जैसी उसकी पहले थी। इस कहानी से कहानीकार ने साबित करना चाहा है कि सच्चा प्रेम माँ की ममता है, जिसके प्रति अधिक ममता होती है, उससे अलग होने पर उसका दिल टूट जाता है।

पाठ का सारांश

जब लोग मंगु को पागलों की अस्पताल में भर्ती कराने की सलाह देते थे, तो उसकी माँ एक ही जवाब देती थी – “माँ होकर सेवा नहीं कर सकती तो अस्पताल वाले क्या करेंगे?” सभी माँ उस तरह से जन्मजात पागल और गूंगी मंगु को पालती थीं जिससे सभी उनकी प्रशंसा करते थे। माँ के अलावा तीन संतानें थीं – दो पुत्र और एक पुत्री। बेटी ससुराल चली गई थी और पुत्र पढ़-लिखकर शहरी हो गए थे जिनके बच्चे थे। जब सभी गांव आते तो माँ उन्हें भी प्यार करती थी, किन्तु बहुओं को संतोष नहीं होता था और वे जलने लगती थीं। वह कहती थी, “मंगु को झूठा प्यार-दुलार कर माँ ने ही अधिक पागल बना दिया है।”

यदि आदत डाली होती तो पाखाना-पेशाब का ध्यान रखती। डाँट से पशु भी सीखते हैं। बेटी भी ऐसी ही बातें सुनाती है। पुत्र माँ के भाव को समझते थे, इसलिए कुछ नहीं कहते थे।

इसी बीच कुसुम अस्पताल गई और दूसरे महीने ही ठीक हो गई। फिर भी डॉक्टरों के कहने पर एक महीना और रुकना पड़ा। जब गाँव आई तो सभी उसे देखने दौड़े। अब लोग उसे कहने लगे- ‘माँ जी, एक बार मंगु को अस्पताल में भर्ती करा के देखो जरूर अच्छी हो जाएगी‘ इस बार माँ ने विरोध नहीं किया। बड़े बेटे को चिट्ठी भेजवाई। लेकिन रात की नींद उड़ गई, मन का चैन छिन गया। मंगु को अस्पताल में कैसे रखेंगे? इसे कुछ भी सौंर नहीं होगा। बड़ा बेटा चिट्ठी लेने आ गया। मजिस्ट्रेट से जरूरी कागजात तैयार करवाए।

माँ को लगा कि बेटा मंगु से छुटकारा चाहता है, वो जल्दी-जल्दी करवा रहा है। जाने का दिन आ गया। उस रात माँ को नींद नहीं आई। जब मंगु बाहर निकलने लगा तो माँ को ब्रह्माण्ड का बोझ लगा।

माँ भारी कदमों से अस्पताल में दाखिल हुई। मुलाकात का समय आया। एक पागल अपने पति से लिपट गई। उसने कहा- ‘ई भूतनियाँ मुझे अच्छे कपड़े नहीं देतीं।’ उसकी परिचारिका ने हँसकर कहा- ‘खा लो, मैं सब दुँगी।’ माँ को विश्वास हो गया कि ये सब लोग दयालु हैं।

डॉक्टर और मेट्रन आए। मंगु का कागज देखा। बेटे ने कहा- ‘मेरी मंगु का ठीक से ख्याल रखिएगा।’ मेट्रन ने कहा- ‘आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।’ बीच में माँ ने कहा- ‘बहन! यह एकदम पागल है, कोई न खिलाए तो खाती नहीं, टट्टी की भी सुध नहीं, रोशनी में उसे नींद नहीं आती।’ कहते-कहते माँ रो पड़ी।
सभी लोग उसकी रूलाई से गंभीर हो गए।
मेट्रन ने कहा, “धीरज रखें। यह भी कुसुम की तरह ठीक हो जाएगी।”
यहाँ रात को चार-पाँच बार विचार की जाती है कि क्या कोई विछावन के दौरान नहीं सोता है। जो सोते नहीं, उन्हें दवा देकर सुलाया जाता है और जो खुद नहीं खाते, उन्हें मुँह में खिलाया जाता है।
माँ की बेकली के आगे मेट्रन की शक्ति लुप्त हो गई।
मां-बेटे ने जब बाहर आए तो उनके चेहरे पर शोक के बादल थे। रास्ते भर मां रोती रहीं। रात भर मां यही सोचती रहीं कि मंगु क्या कर रही होगी ? इतनी ठंड में किसी ने उसे कुछ ओढ़ाया होगा या नहीं ? मंगु के बिना आज माँ का विचार सुना लगा। बेटे को भी नींद नहीं आ रही थी। सोच रहा था कि मैं मंगु को अच्छी तरह पालूँगा।
सुबह जब चक्की की आवाज शुरू हुआ तो एक चिख सुनाई पड़ी-‘दौड़ो रे दौड़ो ! मेरे मंगु को मार डाला।‘ बेटा चारपाई से उछल पड़ा। माँ को मालूम हुआ कि मंगु भी उस श्रेणी में है।

Maa Class 10th

Subjective Questions

प्रश्न 1. मंगु के प्रति मां और परिवार के अन्य सदस्यों के व्यवहार में जो फर्क है उसे अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर- मंगु एक पागल और गूंगी बालिका थी जो कि उसकी माँ के लिए कोई भी संतान हो, उसकी वात्सल्यता फूट ही जाती थी। मंगु की माँ अपनी पुत्री और ईश्वर से कोई शिकायत नहीं करती थी जो उसकी देख-रेख करती थी और उसका समर्पण अपनी पुत्री को हो जाता था। वह अपने सुख को भूलकर सदैव अपनी बच्ची के लिए सोचती रहती थी और अनमने-सा दुःखी रहती थी। मंगु के अलावा, माँ के लिए तीन और संतानें भी थीं जो उसके व्यवहार से अनमने-सा दुःखी रहते थे।

माँ के लिए मंगू के अलावा अन्य संतानों से भी लगाव है, परन्तु स्थिति यह है कि माँ के जीवन में मंगू के बिना कुछ अधूरा है। घर में दो बेटों के साथ उनकी बहुएँ और पोते-पोतियाँ होते हैं। एक अन्य पुत्री ससुराल चली गई है। छुट्टियों में जब पोते-पोतियाँ आते हैं तो वे दादी माँ के प्यार की आशा लगाते हैं, लेकिन माँ का समग्र मातृत्व मंगू के परिणाम से निचले स्तर पर पहुँच गया है। मातृत्व के स्नेह में खिंची बहुएं माँ जी के प्रति अन्याय का दुख भी झेलती हैं। परिवार के अन्य सदस्य मंगू को पागलखाना में भेजने की योजना बनाते हैं, लेकिन माँ इसके विरोध में खड़ी रहती हैं।

प्रश्न 2. माँ मंगु को अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती? विचार करें?

उत्तर- माँ का मन अस्पताल की व्यवस्था से विचलित हो जाता था। उन्होंने अस्पताल को गौशालाओं की तुलना में बताया। मंगु अस्पताल में बाथरूम का इस्तेमाल कर देती थी और खाने के लिए खाना मंगवाती थी। माँ जी को भरोसा था कि अस्पताल के डॉक्टर और नर्स उनकी देखभाल करेंगे। लेकिन बिस्तर बदलने और कपड़े बदलने का काम कौन करेगा? माँ जी को इस तरह के सवालों से परेशानी होती थी। इसी कारण वह मंगु को अस्पताल में भर्ती नहीं कराना चाहती थी।

प्रश्न 3.कुसुम के पागलपन में सुधार देख मंग के प्रति माँ परिवार और समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें।

उत्तर- कुसुम एक शिक्षित लड़की है और उसकी माँ बीमार है। अचानक, माँ जी भी अनुदेशक व्यवहार करने लगती हैं और उन्हें टट्टी-पेशाब करने का ध्यान नहीं रहता है। जब कुसुम को अस्पताल में भर्ती होने की बात सुनाई देती है, तब माँ जी को लगता है कि अगर वह जीवित होती तो उन्हें अस्पताल में भर्ती नहीं करने देती। फिर भी, कुसुम अस्पताल में भर्ती कराई जाती है और वह डॉक्टर और नर्स की देखभाल में धीरे-धीरे ठीक होती जाती है। जब वह ठीक होती है, तो घर लौटती है और सभी उससे मिलने जाते हैं। विशेष रूप से, माँ जी उससे मिलने जाती हैं।

माँ जी की बातों से कुसुम की मां का मन बदल जाता है। उन्हें भी अस्पताल के प्रति श्रद्धा होती है। गांव के लोग माँ जी को समझाते हैं कि एक बार अस्पताल में भर्ती कराके देखें। यदि ठीक नहीं हुई तो मंगू को वापस बुला लेंगी। अंत में माँ जी ने भर्ती कराने का फैसला किया। उन्होंने अपने बड़े पुत्र को पत्र लिखा। पत्र लिखते ही उनका बड़ा पुत्र आ गया और माँ जी के साथ मंगू को लेकर अस्पताल गया। माँ जी ने अस्पताल में भर्ती कराई और फिर लौट आईं।

प्रश्न 4. कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें।

उत्तर- किसी भी कहानी का शीर्षक उसकी कहानी के मुख्य विचार, लघुता और भाव-व्यंजना पर निर्भर करता है। इसी तरह, आलोच्य कहानी का शीर्षक भी उसकी मूल विषय-वस्तु से जुड़ा होता है। इस कहानी का मुख्य विषय मातृत्व है जिसे माँ जी ने समझौते और भावनात्मक समर्पण के साथ संभाला है। इस कहानी में, माँ जी को उनकी पागल बेटी के साथ रहने में कोई शर्म नहीं है, बल्कि उन्होंने अपनी ममता की पूर्ति करते हुए उसे समर्पित हो दिया है। इस रूप में, यह कहानी मातृत्व के महत्व को उजागर करती है।

पढ़ने-लिखने वाली कुसुम जब पागल की तरह आचरण करने लगती है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया जाता है तो मन-ही-मन दुःखी हो जाती है। वह सोचती है कि मातृहीन कुसुम विवश हो गई है। अगर उसकी माँ होती तो शायद वह उसे अस्पताल में भर्ती नहीं कराती। कुसुम को ठीक होने और गांव के लोगों के कहने-सुनने माँजी की अंततः मंगू को अस्पताल में भर्ती करा देती है किंतु स्वयं पागल हो जाती है। एक माँ ही अपनी संतान को समझ सकती है। संतान कैसी भी हो, किन्तु उसकी ममता में कहीं कोई कमी नहीं आती है। वास्तव में, इन उदाहरणों से स्पष्ट होता है कि यह कहानी का शीर्षक सार्थक और समकालीन है।

Maa Class 10th

प्रश्न 5. मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है, उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहार कुशल हैं या संवेदनशील? विचार करें।

उत्तर- मंगु के भर्ती होने वाले अस्पताल के कर्मचारी संवेदनशील हैं। उनका काम मरीजों के साथ अच्छे से व्यवहार करना और सेवा करना होता है। लेकिन यहाँ के कर्मचारी कुशल होने के साथ-साथ संवेदनशील भी हैं। अस्पताल में अनेक मरीज आते हैं, उन्हें परिजनों से क्या प्रयोजन? मंगु तो अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज हैं, लेकिन माँ जी के वात्सल्य और ममत्व से वे प्रभावित हो जाते हैं। वे अपनी बंटी को कोई कष्ट नहीं होगा ऐसा आश्वस्त करते हुए घर भेजना चाहते हैं। डॉक्टर, मेट्रन और परिचारिकाओं का हृदय रूदन को देखकर भर गया। उन्होंने सोचा कि किसी पागल का ऐसा स्वजन अभी तक नहीं आया है। एक अधेड़ परिचारिका उसे अपनी बेटी मान बैठी। इस तरह का व्यवहार संवेदनशील ही कर सकता है कोई कर्मचारी न‍हीं संवेदनशील ही कर सकता है।

प्रश्न 6. माँ का चरित्र-चित्रण कीजिए।

माँ जी कहानी की मुख्याध्यापिका एवं संयमित महिला हैं। वह सभी काम करती हैं और यदि लोग उन्हें आलोचना भी करते हैं तो चुपचाप सुनती हैं, कुछ नहीं कहती। वह निरंतर सेवा करने वाली हैं। अपनी पागल पुत्री की देखभाल उन्होंने लगन से की है, वह उसे सुलाती हैं, नहलाती-धुलाती हैं, खिलाती हैं और उसका मल मूत्र भी खुशी-खुशी साफ करती हैं। वह थकी नहीं होती हैं अपितु उसकी जुदाई की आशंका से व्याकुल हो जाती हैं। वह अपने सभी बच्चों से बहुत प्यार करती हैं। माँ व्यवहार-कुशल भी हैं।

वह अपनी बहुओं की शिकायतों से अवगत है, लेकिन वह परिवार को टूटने से बचाने के लिए कुछ नहीं कहती। उसका व्यवहार सभी के साथ सहानुभूतिपूर्ण है। माँ बहुत ममतापूर्ण है। ममता के अतिरेक में, वह मंगु की जुदाई को सहन नहीं कर पाती और उसे बहुत याद करती है।

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. मंगु कौन थी?
उत्तर- मंगु एक पागल और गूंगी लड़की थी।

प्रश्न 2. मंगु की देख-रेख कौन और कैसे करता था?
उत्तर- मंगु की देखभाल उसकी माँ बड़ी लगन से करती थी, वह उसे अपने पास सुलाती, खिलाती और मल-मूत्र साफ करती थी।

प्रश्न 3. मंगु की माँ उसे अस्पताल में क्यों नहीं भर्ती कराना चाहती थी?
उत्तर- मंगु की माँ सोचती थी कि अस्पताल में मंगु की देखभाल ठीक से नहीं होगी, इसलिए वह उसे भर्ती कराना नहीं चाहती थी।

प्रश्न 4. अस्पताल में भर्ती कराकर आने के बाद मंगु के भाई ने क्या प्रण किया ?
उत्तर- अस्पताल में भर्ती होने के बाद, मंगु के भाई ने वादा किया कि वह मंगु की देखभाल करेगा। वह सोचता था कि अगर उसकी भाभी मल-मूत्र न धोती हो तो वह खुद ही धो लेगा।

प्रश्न 5. मंगु को अस्पताल में भर्ती करा कर आने के बादं माँ की क्या दशा हई?
उत्तर- मंगु को अस्पताल में भर्ती कराकर लौटने के बाद, माँ रात भर रोती रही और सुबह चीखती रही। परिवार और पड़ोस के लोग उसकी चीखें सुनकर उसे देखने आए। सभी ने देखा कि मंगु की माँ खुद पागल हो गई हैं।

Maa Class 10th

प्रश्न 6. ईश्वर पेटलीकर कौन हैं?
उत्तर- ईश्वर पेटलीकर गुजराती का जाना-माना कथाकार हैं।

प्रश्न 7. ईश्वर पेटलीकर के साहित्य की क्या विशेषता है ?
उत्तर- ईश्वर पेटलीकर की रचनाओं में गुजरात की समाजिक स्थिति, मूल्यों, दर्शन आदि स्पष्ट दर्शाई जाती है।

प्रश्न 8. मंगु की माँ उसे अस्पताल में भर्ती कराने को कैसे राजी हुई ?
उत्तर- कुसुम गांव की लड़की थी जिसे पागलपन का रोग था। जब यह बीमारी ठीक हो गयी तो मंगु की माँ ने अस्पताल में उसका भर्ती कराने से सहमत हो गई।

प्रश्न 9. मंगु को अस्पताल ले जाने के समय माँ की स्थिति कैसी थी?
उत्तर- अस्पताल ले जाने से पहले रात में माँ को नींद नहीं आई। जब वह अस्पताल जाने लगी, तब उसे लगा कि वह बहुत थक गई है और उसे अपने ऊपर भार का एहसास हो रहा है। उसे भारी बारिश का भी अहसास हो रहा था।

3. माँ Objective Questions
सही विकल्प चुनें

प्रश्न 1. माँकहानी है
(क) राजस्थानी
(ख) गुजराती
(ग) तमिल      
(घ) उड़िया

उत्तर-(ख) गुजराती

प्रश्न 2. माँकहानी के रचनाकार हैं
(क) साँवर दइया        
(ख) श्रीनिवास
(ग) ईश्वर पेटलीकर    
(घ) सुजाता

उत्तर- (ग) ईश्वर पेटलीकर

प्रश्न 3. मंगु जन्म से ही …………. है।
(क) अंधी
(ख) बहरी

(ग) पागल
(घ) गूंगी

उत्तर- (ग) पागल

प्रश्न 4. मां की ………….संतानें थीं।
(क) तीन
(ख) दो
(ग) पाँच
(घ) चार

उत्तर- चार

प्रश्न 5. मंगू को अस्पताल ले जाते समय माँ …………..थीं।
(क) प्रसन्न
(ख) उदास
(ग) पागल

(घ) उद्विग्न

उत्तर- (घ) उद्विग्न

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