BSEB Class 10 Social science Geography 1. (घ) खनिज संसाधन | Khanij Sansadhan class 10th solutions

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान भूगोल के 1 (घ) खनिज संसाधन (Khanij Sansadhan class 10th solutions) को पढ़ेंगे। 

Khanij Sansadhan class 10th solutions

(घ) खनिज संसाधन

खनिजः पृथ्वी की परत में विद्यमान धातुयुक्त ठोस पदार्थ को खनिज कहते हैं। जैसे- सोडियम क्लोराइड, कैल्शियम कार्बोनेट, जिंक सल्फाइड आदि।

खनिज संसाधन आधुनिक सभ्यता एवं संस्कृति के आधार स्तंभ हैं। भारत में लगभग 100 से अधिक खनिज मिलते हैं।

खनिजों के प्रकार : खनिज सामान्यतः दो प्रकार के होते हैंः-

1. धात्विक खनिजः इन खनिजों में धातु होता है। जैसे- लौह अयस्क, तांबा, निकल, मैंगनीज आदि। पुनः इसे दो भागों में विभक्त किया जा सकता हैः-

(क) लौहयुक्त खनिजः जिन धात्विक खनिजों में लोहे का अंश अधिक पाया जाता है वे लौह युक्त खनिज कहलाते हैं, जैसे- मैंगनीज, निकल, टंगस्टन आदि।

(ख) अलौहयुक्त खनिजः जिन धात्विक खनिजों में लोहे का अंश न्यून होता है या नहीं होता है। वे अलौहयुक्त खनिज कहलाते हैं, जैसे- सोना, चांदी, शीशा, बॉक्साइट, टिन, तांबा, आदि।

2. अधात्विक खनिजः इन खनिजों में धातु नहीं होते हैं, जैसे- चुना-पत्थर, डोलोमाइट, अभ्रक, जिप्सम आदि। अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते हैं-

(क) कार्बनिक खनिजः इसमें जीवाश्म होते हैं। ये पृथ्वी में दबे प्राणी एवं पादप जीवों के परिवर्तित होने से बनते हैं। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम आदि।

(ख) अकार्बनिक खनिजः इनमें जीवाश्म नहीं होते हैं, जैसे- अभ्रक, ग्रेफाइट आदि।

धात्विक एवं अधात्विक खनिज में अंतरः

1. धात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त होता है जबकि अधात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त नहीं हो सकता।

2. धात्विक खनिज कठोर एवं चमकीले होते हैं जबकि अधात्विक खनिजों की अपनी चमक नहीं होती है।

3. धात्विक खनिज प्रायः आग्नेय चट्टानों में मिलते हैं जबकि अधात्विक खनिज प्रायः परतदार चट्टानों में मिलते हैं।

4. धात्विक खनिज को पीटकर तार बनाया जा सकता है। ये पीटने पर टूटता नहीं है जबकि अधात्विक खनिज को पीटकर तार नहीं बनाया जा सकता। ये पीटने पर चूर-चूर हो जाते हैं।

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लौह एवं अलौह खनिजों में अंतरः

1. जिन खनिजों में लोहे का अंश पाया जाता है तथा जिनका उपयोग लोहा एवं इस्पात बनाने में किया जाता है; लौह खनिज कहलाते हैं। जैसे- लौह अयस्क, निकिल, टंगस्टन, मैंगनीज आदि। जबकि जिन खनिजों में लोहे का अंश न्यून या बिलकुल नहीं होता है वे अलौह खनिज कहलाते हैं, जैसे- सोना, शीशा, अभ्रक आदि।

2. लौह खनिज स्लेटी, धूसर, मटमैला आदि रंग के होते हैं जबकि अलौह खनिज अनेकों रंग के हो सकते हैं।

3. लौह खनिज रवेदार चट्टानों में पाये जाते हैं जबकि अलौह खनिज सभी प्रकार के चट्टानों में मिल सकते हैं।

लौह-अयस्कः लोहा आधुनिक सभ्यता की रीढ़ है। यह उद्योगों की जननी है। लोहा खान से शुद्ध रूप में नहीं मिलता बल्कि लौह अयस्क के रूप में निकलता है।

शुद्ध लोहे की मात्रा के आधार पर भारत में पाये जाने वाले लौह अयस्क तीन प्रकार के होते हैं- हेमेटाइट, मैग्नेटाइट और लिमोनाइट।

भारत में पूरे विश्व के लौह भंडार का एक चौथाई भाग आंकलित है।

भारत में लौह अयस्क प्रायः सभी राज्यों में पाया जाता है परंतु यहाँ के कुल भंडार का 96 प्रतिशत- कर्नाटक, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, गोवा, झारखंड राज्यों में सीमित है।

कर्नाटक राज्य भारत का लगभग एक चौथाई लोहा उत्पादन करता है। यहाँ बेल्लारी, हासपेट, संदूर आदि क्षेत्रों में लौह अयस्क की खाने हैं।

छत्तीसगढ़ देश का दूसरा उत्पादक राज्य है जो देश का करीब 20 प्रतिशत लोहा उत्पन्न करता है। दांतेवाड़ा जिले का बैलाडिला तथा दुर्ग जिले के डल्ली एवं राजहरा प्रमुख उत्पादक हैं। रायगढ़ बिलासपुर तथा सरगुजा अन्य उत्पादक जिले हैं।

उड़ीसा देश का 19 प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है। यहाँ की प्रमुख खाने- गुरू महिषानी, बादाम पहाड़ (मयूरगंज) एवं किरीबुरू हैं।

गोवा देश का चौथा बड़ा लोहा उत्पादक राज्य है और देश का 16 प्रतिशत लोहा यहीं से प्राप्त होता है। यहाँ की प्रमुख खानें- साहक्वालिम, संग्यूम, क्यूपेम, सतारी, पौंडा एवं वियोलिम में स्थित हैं।

झारखंड देश का पांचवा बड़ा लौह अयस्क उत्पादक राज्य है और 15 प्रतिशत से अधिक लोहे का उत्पादन करता है। यहाँ के पूर्वी तथा पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, प्लामू, धनबाद, हजारीबाग, लोहरदगा तथा राँची मुख्य उत्पादक जिले हैं।

महाराष्ट्र में लौह अयस्क की खानें चंद्रपुर, रत्नागिरी और भण्डारा जिलों में स्थित है।

आंध्रप्रदेश के करीमनगर, बारंगल, कुर्नूल, कड़प्पा आदि जिले लौह अयस्क उत्पादक हैं।

तमिलनाडु की तीर्थ मल्लई पहाड़ियों (सलेम) एवं यादपल्ली (नीलगिरी) क्षेत्र में लोहे के भण्डार हैं।

मैंगनीज अयस्कः मैंगनीज के उत्पादन में भारत का स्थान विश्व में रूस एवं दक्षिण अफ्रीका के बाद तीसरा है। मैंगनीज का उपयोग शुष्क बैटरियों के निर्माण, फोटोग्राफी, चमड़ा एवं माचिस उद्योग में भी होता है। साथ ही इसका उपयोग पेंट तथा कीटनाशक दवाओं के बनाने में भी किया जाता है। भारत के कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत मैंगनीज का उपयोग मिश्र धातु बनाने में किया जाता है।

विश्व में जिम्बाबे के बाद भारत में ही मैंगनीज का सबसे बड़ा संचित भंडार है जो विश्व के कुल भंडार का 20 प्रतिशत है।

उड़ीसा भारत में मैंगनीज के उत्पादन में अग्रणी है। यहाँ देश के कुल उत्पादन का 37 प्रतिशत मैंगनीज उत्पादन होता है।

महाराष्ट्र भारत के कुल उत्पादन का लगभग एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन करता है।

धात्विक खनिज (अलौह) : इसके अंतर्गत बॉक्साइट, सोना, चाँदी, तांबा, टिन, शीशा, जस्ता आदि आते हैं।

बॉक्साइटः भारत में बॉक्साइट का इतना भंडार है, कि एल्यूमिनियम में हम आत्मनिर्भर हो सकते हैं। इसका बहुमुखी उपयोग वायुयान निर्माण, विद्युत उपकरण निर्माण, घरेलू साज-सज्जा के सामानों का निर्माण, बर्तन बनाने, सफेद सीमेंट तथा रासायनिक वस्तुएँ बनाने में किया जाता है।

बॉक्साइट का वितरणः बॉक्साइट भारत के अनेक क्षेत्रों में मिलता है किंतु मुख्य रूप से इसका भंडार उड़ीसा, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं उत्तर प्रदेश में अवस्थित है। देश का आधा से अधिक बॉक्साइट का भंडार उड़ीसा राज्य में है। उड़ीसा भारत के कुल उत्पादन 42 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता है।

तांबाः तांबा एक अति उपयोगी अलौह धातु है। यह बिजली का अच्छा संचालक है जिससे इसका ज्यादा उपयोग विद्युत उपकरण बनाने में किया जाता है। इससे बर्तन एवं सिक्के भी बनाए जाते हैं। भारत में तांबा का अभाव है।

झारखंड का पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम जिले तांबा का सबसे बड़ा उत्पादक है।तांबा राजस्‍थान के खेतड़ी में भी पाया जाता है।

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अधात्विक खनिज

अभ्रकः भारत विश्व में शीट अभ्रक का अग्रणी उत्पादक है। प्राचीन काल से अभ्रक का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं के लिए किए जाते रहे हैं लेकिन विद्युत उपकरण में इसका खास उपयोग होता है क्योंकि यह विद्युत रोधक होने के कारण उच्च विद्युत शक्ति को सहन कर सकता है।

भारत में उत्पादन की दृष्टि से, अभ्रक निक्षेप की तीन पेटियां हैं, जो बिहार, झारखंड, आंध्रप्रदेश तथा राजस्थान राज्यों के अंतर्गत आती है। बिहार, झारखंड में उत्तम कोटि के रूबी अभ्रक का उत्पादन होता है। बिहार झारखंड भारत का 80 प्रतिशत अभ्रक उत्पादन करता है। राजस्थान देश का तीसरा अभ्रक उत्पादक राज्य है। संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय अभ्रक का मुख्य आयातक है।

चूना पत्थरः भारत के चूना पत्थर का 76 प्रतिशत सीमेंट 16 प्रतिशत लौह इस्पात तथा 4 प्रतिशत रासायन उधोग में उपयोग किया जाता है। देश का 35 प्रतिशत चूना पत्थर मध्य प्रदेश में पाया जाता है।

खनिजों का आर्थिक महत्व

पृथ्वी पर जैसे जल और थल अति महत्वपूर्ण खजाने हैं। ठीक उतने ही महत्वपूर्ण खनिज संसाधन भी हैं। खनिज संसाधन के अभाव में देश के औधोगिक विकास को गति एवं दिशा नहीं दे सकते। फलतः देश का आर्थिक विकास अवरूद्ध हो सकता हैं। खनिज संसाधन का संबंध हमारे वर्तमान और भविष्य से हैं इसलिए खनिजों के संरक्षण की अति आवश्यकता है।

खनिज संसाधनों का संरक्षण

खनिज क्षयशील और अनवीकरणीय संसाधन हैं। इसकी मात्रा सिमित है इसका फिर से निर्माण असंभव हैं। उद्योगों में अधिक खनिजों के दोहन और उपयोग के कारण इसके अस्तित्व संकट में पड़ गया है इसलिए खनिजों का संरक्षण आवश्यक है। खनिज संसाधन के विवेकपूर्ण उपयोग करने से खनिज संकट से बचा जा सकता हैं। खनिज संसाधन के विवेकपूर्ण उपयोग तीन बातों पर निर्भर करता है- खनिजों के लगातार दोहन पर नियंत्रण, उनका बचतपूर्वक उपयोग तथा कच्चे माल के रूप में सस्ते विकल्पों की खोज।

खनिजो के संरक्षण के साथ-साथ उसके प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए तो खनिज संकट से निपटा जा सकता हैं।

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लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. खनिज क्या है?

उत्तर- पृथ्वी के परत में विद्यमान धातुयुक्त ठोस प्रदार्थ को खनिज कहते है। जैसे-सोडियम क्लोराइड, कैल्शियम कार्बोनेट, जिंक सल्फाइड आदि

प्रश्न 2. धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान क्या है?

उत्तर- धात्विक खनिज के दो पहचान निम्न हैं।

(1) धात्विक खनिज के प्रगलन से धातु की प्राप्ति होती है।

(2) धात्विक खनिज को पीट कर तार बनाया जा सकता है।

प्रश्न 3. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- खनिज संसाधन आधुनिक सभ्यता एवं संस्कृति के आधार स्तम्भ है। भारत में लगभग 100 से अधिक खनिज मिलते हैं।

प्रश्न 4. लौह अयस्क के प्रकार के नाम लिखिए।

उत्तर- लौह अयस्क के तीन प्रकार है।

(1) हेमाटाइट

(2) मैग्नेटाइट

(3) लिमोनाइट

प्रश्न 5. लोहे के प्रमुख उत्पादक राज्यों के नाम लिखिए।

उत्तर- लोहे के प्रमुख राज्य है। कर्नाटक, छतीसगढ़, उड़ीसा, गोवा, झारखंड आदि।

प्रश्न 6. झारखंड के मुख्य लौह उत्पादक जिलों के नाम लिखिए।

उत्तर- झारखण्ड के लौह उत्पादक जिले के नाम निम्न है। सिंहभूम, सरायकेला, पलामू, धनबाद, हजारीबाग, लोहरदगा, एवं राँची।

प्रश्न 7. मैंगनीज के उपयोग पर प्रकाश डालिए।

उत्तर- मैंगनीज का उपयोग शुष्क बैट्रीयों के निर्माण, फाटोग्राफी चमड़ा एवं माचिस उद्योग में भी होता है। इसका उपयोग पेंट तथा कीटनाशक दवाओं के बनाने में भी किया जाता है। भारत में कुल उत्पादन का 85 प्रतिशत मैंगनीज का उपयोग मिश्र धातु बनाने में किया जाता है।

प्रश्न 8. अल्यूमिनियम के उपयोग का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- अल्यूमिनियम का उपयोग वायुयान निर्माण, विद्युत उपकरण निर्माण, साज-सज्जा के सामानों के निर्माण, बर्तन निर्माण, जहाज निर्माण सहित रासायनिक वस्तुओं के निर्माण में होता है।

प्रश्न 9. अभ्रक का उपयोग क्या है?

उत्तर -भारत अभ्रक में अग्रणी उत्पादक है प्राचीन काल से अभ्रक का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं के लिए किया जाता है लेकिन विद्युत उपकरण में इसका खास उपयोग होता है क्योंकि यह विद्युत रोधक होने के कारण उच्च विद्युत शक्ति को सहन कर सकता है।

प्रश्न 10. चूना-पत्थर की क्या उपयोगिता है?

उत्तर- भारत के चूना पत्थर का 76 प्रतिशत सीमेंट 16 प्रतिशत लौह इस्पात तथा 4 प्रतिशत रसायन उद्योग में उपयोग किया जाता है। शेष 4 प्रतिशत का उपयोग उर्वरक, कागज एवं चीनी उद्योग में होता है। देश का 35 प्रतिशत चूना पत्थर मध्यप्रदेश में पाया जाता हैं।

प्रश्न 11. खनिजों की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर- खनिज संसाधन आधुनिक सभ्यता एवं संस्कृति के आधार स्तम्भ है। भारत में लगभग 100 से अधिक खनिज मिलते हैं। चट्टान खनिजों के संयोग से बनी है। 2000 से अधिक खनिजों की पहचान की जा चूकी है। इसमें 30 खनिज ही आर्थिक दृष्टि से महत्‍वपूर्ण है।

प्रश्न 12. खनिजों के संरक्षण एवं प्रबंधन से क्या समझते है?

उत्तर- खनिज अनवीकरणीय संसाधन है, जिसके निर्माण में लाखों वर्ष लग जाते है, इसके भंडार को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया संरक्षण कहलाता है। संरक्षण के उद्देश्य से निर्मित कार्यक्रम या कार्य-रूप रेखा प्रबंधन कहलाते है। बिना प्रबंधन के संरक्षण की आपेक्षा संभव नहीं है।

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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. खनिज कितने प्रकार के होते है? प्रत्येक का सोदाहरण परिचय दीजियें।

उत्तर- खनिज दो प्रकार के होते है

(1) धात्विक खनिज

(2) अधात्विक खनिज

(1) धात्विक खनिज- इन खनिजों में धातु होता है। जैसे- लौह अयस्क, तांबा, निकिल, मैंगनीज आदि। पूनः इसे दो भागों में विभक्त किया जाता सकता है।

(क) लौहयुक्त खनिज- जिन धात्विक खनिजो में लोहे का अंश न्यून होता है या नहीं होता है उसे अलौहयुक्त खनिज कहते है जैसे- सोना, चाँदी, शीशा, बॉक्साइट टीन, ताँबा आदि।

(ख) अलौह युक्त खनिज- जिन धात्विक खनिजों में लोहे का अंश न्‍यून होता है या नहीं होता है। उसे अलौहयुक्‍त खनिज कहते हैं। जैसे-सोना, चाँदी, शीशा, बॉक्‍साइट, टिन, ताँबा, आदि ।

(2) अधात्विक खनिज- इन खनिजो में धातु नहीं होते है, जैसे- चूना-पत्थर, डोलोमाइट, अभ्रक, जिप्सम आदि।

अधात्विक खनिज भी दो प्रकार के होते है।

(क) कार्बनिक खनिज- इसमें जीवाश्म होते हैं तथा कार्बन की मात्रा विद्यमान होते हैं। ये पृथ्वी में दबे प्राणी एवं पादप जीवों के परिवर्तित होने से बनते हैं। जैसे- कोयला, पेट्रोलियम आदि।

(ख) अकार्बनिक खनिज- इनमें जीवाश्म नहीं होते हैं तथा कार्बन की मात्रा विद्यमान नहीं होते हैं। जैसे- अभ्रक, ग्रेफाइट आदि।

प्रश्‍न 2. धात्विक खनिज और अधात्विक खनिजों में क्‍या अंतर है? तुलना की‍जिए ।

धात्विक एवं अधात्विक खनिजों में निम्‍नलिखित अंतर है—

धात्विक खनिज अधात्विक खनिज
(1) धात्विक खनिज को गलाने पर धातु प्राप्त होता है। (1) अधात्विक खनिज का गलाने पर धातु प्राप्त नहीं हो सकता।
(2) ये कठोर एवं चमकीले होते है। (2) इनकी अपनी चमक होती है।
(3) ये प्रायः आग्नेय चट्टानों में मिलते है। (3) ये प्रायः परतदार चट्टानों में मिलते है।
(4) इन्हें पीट कर तार बनाया जा सकता है ये पीटने पर टूटता नहीं है। (4) इन्हें पीट कर तार नहीं बनाया जा सकता। ये पीटने पर चूर-चूर हो जाते है।

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प्रश्न 3. भारत की खनिज पेटियों का नाम लिखकर किन्हीं दो का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत के मुख्य तीन खनिज पेटियों का नाम है।

(1) उत्तरी-पूर्वी पठार।

(2) दक्षिणी-पश्चिमी पठार।

(3) उत्तर-पश्चिमी प्रदेश।

(1) उत्तरी-पूर्वी पठार- यह देश की सबसे धनी खनिज पेटी है जिसमें छोटानागपुर का पठार, उड़ीसा का पठार, तथा पूर्व आन्ध्र प्रदेश का पठार है। इस पेटी में लौह अयस्क मैंगनीज, अभ्रक, चूना-पत्थर, तांबा क्रोमियम सिलिमेंनाइट, फास्फेट जैसे खनिजों के विशाल भंडार है।

(2) दक्षिणी-पश्चिमी पठार- यह पेटी कर्नाटक के पठार एवं निकटवर्ती के पठार पर फैला है। यहाँ लौहअयस्क, मैंगनीज, बॉक्साइट के भी भण्डार उपलब्ध है।

पश्‍न 4. लौह अयस्क का वर्गीकरण कर उनकी विशेषताओं को लिखिये।

उत्तर- लौह अयस्क को तीन भागों में वर्गीकरण किया गया है।

(1) हेमेटाइट

(2) मैग्नेटाइट

(3) लिमोनाइट

(1) हेमेटाइट- इस लौह-अयस्क में लौहांश सर्वाधिक प्रतिशत में पाया जाता है। इससे लकीर खींचने पर लाल उगता है, इसे लाल अयस्क भी कहा जाता है। भारत में लगभग 12317 मिलियन टन भंडार उपलब्ध है।

(2) मैग्नेटाइट- इसमें लौहांश की मात्र 60 प्रतिशत होती है। घिसने पर काला रंग दिखता है। इसे काला अयस्क भी कहा जाता हैं, भारत में इसके 540 मिलियन टन भंडार उपलब्ध है।

(3) लिमोनाइट- यह सबसे घटिया किस्म का लौह-अयस्क है, जिसमें लौहांश की मात्रा 40 प्रतिशत से भी कम होता है। इसे पीला अयस्क के नाम से जाना जाता है। भण्डार का आकलन अभी परीक्षणाधीन है।

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प्रश्न 5. भारत में लौह अयस्क के वितरण पर प्रकाश डालिये।

उत्तर- भारत में लौह-अयस्क सभी राज्य में पाया जाता है यहाँ के कुल भण्डार का 96 प्रतिशत-कर्नाटक, छतीसगढ़, उड़ीसा, गोवा, झारखंड राज्यों में सीमित है।

कर्नाटक राज्य भारत का लगभग एक चौथाई लोहा उत्पादन करता है यहाँ बेल्लारी, हासपेट, संदूर आदि क्षेत्रों में लौह अयस्क की खानें है।

छतीसगढ़ देश का दूसरा उत्पादक राज्य है जो देश का करीब 20 प्रतिशत लोहा उत्पन्न करता है। दांतेवाड़ा जिले का बैलाडिला तथा दुर्ग जिले के डल्टी एवं राजहरा प्रमुख उत्पादक है। रायगढ़ बिलासपुर तथा सरगुजा अन्य उत्पादक जिले हैं।

उड़ीसा देश के 19 प्रतिशत लोहा उत्पादन करता है यहाँ की प्रमुख खानें-गुरू महिषानी, बादाम पहाड़ (मयूरगंज) एवं किरीबीरू है।

गोवा देश का चौथा बड़ा लोहा उत्पादक राज्य है और देश का 16 प्रतिशत लोहा यहीं से प्राप्त होता है। यहाँ की प्रमुख खानें साहक्वालिम, संग्यूम, क्यूपेम, सतारी, पौड़ा एवं वियोलिम में स्थित है।

झारखंड देश का पाँचवा बड़ा लौह अयस्क उत्पादक राज्य है और 15 प्रतिशत से अधिक लोहे का उत्पादक करता है। यहाँ के पूर्वी तथा पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, प्लामू, धनबाद, हजारीबाग, लोहरदगा तथा राँची मुख्य उत्पादक जिले है।

महारष्ट्र में लौह अयस्क की खानें चंद्रपुर, रत्नागिरी और भण्डारा जिलों में स्थित है।

आंध्रप्रदेश के करीमनगर, बारंगल, कुर्नूल कड़प्पा आदि जिले लौह अयस्क उत्पादक है।

तमिलनाडू की तीर्थ मल्लई पहाड़ियों (सलेम) एवं योदपल्ली (नीलगिरी) क्षेत्र में लोहे के भण्ड़ार हैं ।

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प्रश्न 6. मैंगनीज अथवा बाक्साइट की उपयोगिता तथा देश में इनके वितरण का वर्णन कीजिये।

उत्तर- मैंगनीज की उपयोगिता एवं वितरण- मैंगनीज का उपयोग शुष्क बैट्रीयों, फोटोग्राफी, पेंट तथा कीटनाशक दवाओं के बनाने में किया जाता है। मैंगनीज का उपयोग मिश्र धातु बनाने में भी किया जाता है।

विश्व में जिम्बाबे के बाद भारत में ही मैंगनीज का सबसे बड़ा संचित भण्डार है जो विश्व के कुल संचित भण्डार का 20 प्रतिशत है।

उड़ीसा भारत में मैंगनीज के उत्पादन में आग्रणी है यहाँ देश के कुल उत्पादन का 37 प्रतिशत मैंगनीज उत्पादन होता है।

महाराष्ट्र भारत के कुल उत्पादक का लगभग एक चौथाई मैंगनीज उत्पादन करता है।

बाक्साइट की उपयोगिता एवं वितरण- बॉक्साइट का उपयोग वायुयान निर्माण, विद्युत उपकरण निर्माण, घरेलु साज-सज्जा के सामानों का निर्माण, बर्तन बनाने, सफेद सीमेंट तथा रसायनिक वस्तुएँ बनाने में किया जाता है।

बॉक्साइड भारत के अनेक क्षेत्रों में मिलता है किन्तु मुख्य रूप से इसका भंडार उड़ीसा, गुजरात, झारखंड, महाराष्ट्र, छतीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडू एवं उत्तर प्रदेश में अवस्थित है। देश का आधा से अधिक बॉक्साइड का भंडार उड़ीसा राज्य में है। उड़ीसा भारत के कुल उत्पादन का 42 प्रतिशत बॉक्साइट उत्पादन करता हैं।

प्रश्न 7. अभ्रक की उपयोगिता एवं वितरण पर प्रकाश डालिये।

उत्तर- भारत विश्व में शीट अभ्रक का अग्रणी उत्पादक है प्राचीन काल से अभ्रक का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं के लिए किये जाते रहे हैं लेकिन विद्युत उपकरण में इसका खास उपयोग होता है क्योंकि यह विद्युत रोधक होने के कारण उच्च विद्युत शक्ति को सहन कर सकता है।

भारत में उत्पादन की दृष्टि से, अभ्रक निक्षेप, की तीन पेटियाँ है, जो बिहार, झारखंड, अन्ध्रप्रदेश तथा राजस्थान राज्यों के अंतर्गत आती है। बिहार झारखंड में उतम कोटी के रूबी अभ्रक का उत्पादक होता है। बिहार झारखंड भारत का 80 प्रतिशत अभ्रक का उत्‍पादन करता है। देश का तीसरा अभ्रक उत्पादक राज्य राजस्‍थान है। संयुक्त अमेंरिका भारतीय अभ्रक का मुख्य आयातक है।

प्रश्न 8. खनिजों के संरक्षण के उपाय सुझाइये।

उत्तर- खनिज क्षयशील और अनवीकरणीय संसाधन है। इसकी मात्रा सिमित है इसका फिर से निर्माण असंभव है। उद्योगों में अधिक खनिजों के दोहन और उपयोग के कारण इसके अस्तित्व संकट में पड़ गया है इसलिए खनिजों का संरक्षण आवश्यक है। खनिज संसाधन के विवेकपूर्ण उपयोगी करने से खनिज संकट से बचा जा सकता है। खनिज संसाधन के विवेकपूर्ण उपयोग तीन बातों पर निर्भर करता है

खनिजों के लगातार दोहन पर नियंत्रण, उनका बचतपूर्वक उपयोग तथा कच्चे माल के रूप में सस्ते विकल्पों की खोज।

खनिजो के संरक्षण के साथ-साथ उसके प्रबंधन पर ध्यान दिया जाए तो खनिज संकट से निपटा जा सकता है।

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