History Ch1 यूरोप मे राष्ट्रवाद Europe me rashtravad class 10th Solutions

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ एक यूरोप मे राष्ट्रवाद (Europe me rashtravad class 10th) के Book Solutions पढ़ेंगे।

Europe me rashtravad class 10th Solutions

1. यूरोप मे राष्ट्रवाद

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्‍न 1. राष्ट्रवाद क्या है?
उत्तर :- राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है जो किसी  विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक सा सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है।

प्रश्‍न 2. मेजिनी कौन था?
उत्तर :- मेजिनी एक साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था उसमें आदर्शवादी गुण अधिक और व्यावहारिक गुण कम थे।

प्रश्‍न 3. जर्मनी के एकीकरण की बधाए क्या थी?
उत्तर :- जर्मनी एक विखंडित राज्य था जिसमे लगभग 300 छोटे – बड़े राज्य थे उनमे राजनीतिक सामाजिक तथा धार्मिक विषमताएँ भी मौजूद थी, वहाँ प्रशा सबसे शक्तिशाली राज्य था उसमें जर्मन राष्ट्रवाद की भावना का अभाव था, जिसके कारण एकीकरण का मुद्दा उसके समझ में न था।

प्रश्‍न 4. मेटरनिख युण क्या है?
उत्तर :- नेपोलियन के पतन के बाद आस्ट्रिया की राजधानी वियना में सन् 1815 ई. मे मेटरनिख द्वारा एक सम्मेलन बुलाया गया जिसे वियना सम्मेलन कहा जाता है इस सम्मेलन में मेटरनिरव ने फिर से पुरातन व्यवस्था लागू कर दिया। जो 1815 से 1848 तक के काल को मेटरनिख युग के नाम से जाना जाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्‍न 1. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण क्या थे?
उत्तर :- लुई फिलिप एक उदारवादी शासक थे लेकिन वह महत्वकांक्षी था। उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए ‘स्वर्णिम मध्यमवर्गीय नीति’ का अवलम्बन किया। सन् 1840 में गीजों का प्रधानमंत्री बना दिया। जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। और किसी भी तरह के वैधानिक सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों के विरोध था। लुई फिलिप ने पूंजीपति वर्ग के साथ रखना पसंद किया जिसे शासन ने कार्य में अभिरुचि नहीं था। उसके शासन काल में भुखमरी और बेरोजगारी व्याप्त होने लगी और उसी के कारण 1848 की क्रांति हुई।

प्रश्‍न 2. इटली, जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी?

उत्तर :- इटली और जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया बहुत बड़ा बाधा था। ऑस्ट्रिया का चांसलर मेटरनिख का ऑस्ट्रिया के पराजित किए बिना इटली और जर्मनी का एकीकरण संभव नहीं था। 1830 ई. में क्रांति के बाद इटली में आंदोलन होना शुरू हो गया। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के चांसलर मेटरनिख द्वारा आंदोलन को दबा दिया गया। जिससे इटली का एकीकरण धीमा पड़ गया। इसी प्रकार जर्मनी में भी मेटरनिख द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन को दबाया जा रहा था।

प्रश्‍न 3. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ?

उत्तर :- यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना के विकास में नेपोलियन बोनापार्ट का महत्वपूर्ण योगदान था। नेपोलियन बोनापार्ट ने जर्मन प्रदेशों को जीतकर राइन राज्य संघ का निर्माण किया था, जिसमें इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रस्तुत किया और यहीं से जर्मनी में राष्ट्रवाद की भावना बढ़ने लगी थी। जो धीरे-धीरे यूरोप के अन्य क्षेत्र में फैलने लगा, था इसी प्रकार यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट की अहम भूमिका थी।

प्रश्‍न 4. गैरीबाल्डी के कार्यो की चर्चा करें ।

उत्तर :- इटली के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास कर रहा था। गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था। उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किया। दक्षिणी इटली के जीते हुए क्षेत्र को बिना किसी संघ के गैरीबाल्डी ने विक्टर एमैनुएल को सौंप दिया। और उन्होंने सारी संपत्ति को दान कर दिया और साधारण किसान की तरह जीवन जीने लगे और इस तरह इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

प्रश्‍न 5. विलियम 1 के बगैर जर्मनी का एकीकरण बिस्मार्क के लिए असंभव था। कैसे?

उत्तर :- विलियम प्रथम राष्ट्रवादी विचारों का पोषक था। जर्मनी के एकीकरण के लिए उसने अनेकों युद्ध किया, और जर्मनी के एकीकरण में अपना महान योगदान दिया और विलियम 1 बिस्मार्क को चांसलर नहीं बनाया होता तो विलियम 1 उनके बगैर बिस्मार्क के लिए जर्मनी का एकीकरण करना असंभव था।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्‍न 1. इटली के एकीकरण में मेजिनी काबुर और गैरीबाल्डी के योगदानों को बतावे ।

उत्तर :- इटली के एकीकरण में मेजिनी,  काबुर और गैरीबाल्डी के निम्नलिखित योगदान है।

मेजनी :- मेजनी एक साहित्यकार, गणतंत्रिक का विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। भेजनी संपूर्ण इटली का एकीकरण कर उसे एक गणराज्य बनाना चाहता था। इसका उद्देश्य प्रायद्वीप से हस्तक्षेप समाप्त करना, तथा संयुक्त यवन राज्य स्थापित करना था और ‘यंग यूरोप’ नामक संस्था का गठन कर मेजनी ने यूरोप के अन्य देशों में चल रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचल दिया और जर्मनी के पुनः हार हुई और वह पलायन कर गया।

 1848 ई. में इटली के एकीकरण कर उसे एक गणराज्य बनाना चाहता था। इटली में सर्डिनिया – पिंडमाउंट का नया शासक विक्टर इमैनुएल राष्ट्रवादी था, विक्टर में ‘काउंट कावूर’ को प्रधानमंत्री नियुक्त किया।

काउंट कबूर :-  काबुर एक सफल कूटनीतीज्ञ एवं राष्ट्रवादी था। वह इटली के एकीकरण में सबसे बड़ी बाधा ऑस्ट्रेलिया को मानता था उसने आस्ट्रेलिया को पराजित करने के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाया 1853-54 के क्रीमिया युद्ध में काबूर ने फ्रांस की ओर से सम्मिलित हुआ। काबुर ने नेपोलियन 111 से भी एक संधि को जिसके तहत फ्रांस ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पैडमाउंट को समर्थन देने का वादा किया।

1860-61 मैं काबूर ने सिर्फ रोम को छोड़कर उत्तर तथा मध्य इटली की सभी रियासतों ( परमा, मोडेना, टास्कनी )आदि को मिला लिया। तथा जनमत संग्रह कर इसे पुस्ट कर लिया 1862 ई.  में दक्षिणी इटली रोम तथा वेनेशिया को छोड़कर बाकी  रियासतों का विलय रोम में हो गया और सभी ने विक्टर इमैनुएल को शासक माना।

गैरीबाल्डी :- इस बीच महान क्रांतिकारी गैरीबाल्डी सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के रियासतों के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास किया। गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था दक्षिणी इटली के जीते हुए क्षेत्र को बिना किसी संधि के गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया। उसने अपनी सारी धन-दौलत दान कर दिया।

9871ई. तक इटली का एकीकरण में मेजिनी काबूर और गैरीबाल्डी जैसे राष्ट्रवादी नेताओं के योगदान के कारण पूर्ण हुआ।

प्रश्‍न 2. जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क की भूमिका का वर्णन करें।

उत्तर :- बिस्मार्क जर्मन डाइट में प्रशा का प्रतिनिधि हुआ करता था। और अपनी सफल कूटनीति का लगातार परिचय देता आ रहा था। यह उसकी कूटनीतिक सफलता थी। बिस्मार्क जर्मनी एकीकरण के लिए ‘ रक्त और लौह ’ की नीति एक अवलंबन किया उसने अपने देश में सेवा लागू कर दिया।

बिस्मार्क ने अपनी नीतियों के कारण प्रशा का शुद्धिकरण किया 1864 ई. में श्ले- शॉविंग और हॉलेस्टिंन राज्य के मुद्दे को लेकर डेनमार्क पर आक्रमण कर दिया। प्रशा ने जर्मन राष्ट्रवादी भावनाओं को भड़का कर विद्रोह फैला दिया। जिसे कुचलने के लिए अष्ट्रीया की सेना को, प्रशा के क्षेत्र को पार करना था। और प्रशा ने ऑस्ट्रीया को ऐसा करने से रोक दिया।

1866 ई.  में ऑस्ट्रिया ने प्रशा के खिलाफ सेडोवा में युद्ध की घोषणा कर दिया और ऑस्ट्रिया युद्ध में बुरी तरह पराजित हुआ।

जून, 1870 ई. को फ्रांस के शासक नेपोलियन ने प्रशा के खिलाफ़ युद्ध की घोषणा किया। और सेडान की लड़ाई में फ्रांसीसीयो की हार हुई 10 मई 1871 ई. को फ्रैंकफर्ट की संधि के द्वारा दोनों राष्ट्र के बीच शांति बना इस प्रकार सेडान के युद्ध में ही एक महाशक्ति के पतन पर दूसरी महाशक्ति जर्मनी का उद्देश्य हुआ।

प्रश्‍न 3. राष्ट्रवाद के उद्देय के कारणों एवं प्रभाव की चर्चा करें।

उत्तर :- राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है। राष्ट्रवाद की भावना का बिजारोपण यूरोप में पुनर्जागरण के काल से ही हो चुका था। सन 1789 ई. की फ्रांसीसी क्रांति के रूप में प्रकट हुए 19वीं शताब्दी में उन्नति एवं आक्रमण रूप में सामने आई  यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में फ्रांस की राज्यक्रांति तत्पश्चात नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीति को अभीभात्यवर्गीय  परिवेश में बाहर कर उसे अखबारों, सड़कों और सर्वसाधारण की वस्तु बना दिया। यूरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नए युग का संदेश पहुंचा। नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्य को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनीतिक रूपरेखा प्रदान किया।        

जिसके फलस्वरूप यूरोप के राजनीतिक मानचित्र में बदलाव तो आया ही साथ ही कई उपनिवेश भी स्वतंत्र हुआ।

प्रश्‍न 4. जुलाई 1830 को क्रांति का विवरण दें।

उत्तर :- चार्ल्स X निरंकुश एवं प्रतिक्रियावादी शासक था। जिसने फ्रांस में उभर रही राष्‍ट्रीयता तथा जनतंत्रवादी भावनाओं को दबाने का काम किया। उसने अपने शासनकाल में लोकतंत्र की राह में कई गतिरोध किया। उसके द्वारा प्रतिक्रियावादी प्रतिनिधि ने को प्रधानमंत्री बनाया गया।पूर्व में 18वे द्वारा स्थापित किया। चार्ल्स x ने विरोध को प्रतिक्रिया स्वरूप 25 जुलाई 1830 ई. को चार अध्याय देशो का गला घोटने का प्रयास किया। अध्याय देशों के विरोध में पेरिस में क्रांति की लहर दौड़ गई,और फ्रांस में 28 जून 1830 ई.  में गृह युद्ध हो गया। इसे ही 1830 की क्रांति कहते हैं। चार्ल्स X फ्रांस की  राजगद्दी त्याग कर इंग्लैंड पलायन कर गया, और इस प्रकार फ्रांस के बुर्वो वंश के शासन का अंत हो गया।

 फ्रांस में जुलाई 1830 ई. की क्रांति के परिणाम स्वरूप बुर्वो वंश के स्थान पर ओलेयेन्स वंश को गद्दी सौंप दी,और वंश के शासक लूई लिपिक ने उत्तरा वादियों, पत्रकारों तथा पेरिस की जनता के सत्ता प्राप्त की और उसकी नीतियां उत्तर वादियों के पक्ष में संवैधानिक गणतंत्र के निमित्त रही।

प्रश्‍न 5. यूनानी स्वतंत्रता आंदोलन का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर :- यूनानी सभ्यता की साहित्यिक, प्रगति विचार, दर्शन,कला, चिकित्सा, विज्ञान से प्रेरणा लेकर पूरे देशों ने अपनी तरक्की शुरू कर दी। इसके बाद भी यूनानी तुर्की साम्राज्य के अधीन था।

फ्रांसीसी क्रांति से यूनानीयों में राष्ट्रीयता की भावना की लहर जागी, क्योंकि धर्म,जाति और संस्कृति के आधार पर पहचान एक थी तुर्की शासन को अलग करने के लिए आंदोलन चलाए जाने लगे। और तुर्की शासन को निष्कासित कर उसे स्वतंत्र बनाना था। इंग्लैंड का महान कवि लॉर्ड वायरन यूनानीयो की स्वतंत्रता के लिए यूनान में ही शहीद हो गया। इससे यूनान की स्वतंत्रता के लिए यूरोप में लहर दौड़ने लगे यूनानी स्वतंत्रता संग्राम में सलंग्न उन लोगों को बुरी तरह से कुचलना शुरू किया गया। 1821 ई. में अलेक्जेंडर चिप्सलांटी के नेतृत्व में टीम यूनान में विरोध शुरू हो गया। अप्रैल 1826 ई. में ग्रेट ब्रिटेन और रूस में एक समझौता हुआ, और फ्रांस का राजा चार्ल्स X यूनानी स्वतंत्रता  में दिलचस्पी लेना लगा। 1827 में लंदन में एक सम्मेलन हुआ। इंग्लैंड फ्रांस तथा रूस ने मिलकर तुर्की के खिलाफ यूनान के समर्थन में लिया।  1829 ई. में एड्रीयानोपल की संधि हुई, अतः 1832 में यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया। बवेरिया के शासक ‘ओटो ’को स्वतंत्र यूनान का राजा घोषित किया गया।

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