इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 9 संस्कृत के पाठ 9 ‘स्वामी दयानन्दः (Dayananda Saraswati Class 10th Solution Notes)’ के Book solution को पढ़ेंगे।
9. स्वामी दयानन्दः
पाठ परिचय
सन् 19वीं शताब्दी में महान समाज सुधारक स्वामी दयानन्द बहुत प्रसिद्ध हुए थे। उन्होंने रूढ़िग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था पर कड़ी प्रहार करके आर्य समाज की स्थापना की जिसकी शाखाएं देश-विदेश में शिक्षा व्यवस्था में गुरुकुल पद्धति का पुनरुद्धार करते हुए इन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए डी.एच. वी. विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना को प्रेरित किया था। उनके जीवन चरित्र का संक्षिप्त वर्णन इस पाठ में किया गया है।
स्वामी दयानन्द आधुनिक भारत के शिक्षा और समाज के महान उद्धारक हैं। उन्होंने आर्य समाज की स्थापना करके भारतीय समाज में बड़ा योगदान दिया है। उनका कार्य-विशेष भारत वर्ष में राष्ट्रीयता का ज्ञान कराना भी माना जाता है। उन्होंने समाज में अनेक दूषित प्रथाओं को खण्डित कर वास्तविकता का ज्ञान प्रचारित किया। इस पाठ से स्पष्ट होता है कि स्वामी दयानन्द ने अपने योगदान से समाज उद्धार में बड़ा योगदान दिया है।
मध्यकाल में भारतीय समाज में अनेक दूषित प्रथाएं थीं। जैसे जातिवाद, वैषम्य, अस्पृश्यता, धर्म के नाम पर आडम्बर, स्त्रियों की शिक्षा न होना, विधवाओं को गर्हित करना आदि। इसलिए कुछ दलितों ने हिंदू धर्म को छोड़ कर अन्य धर्मों को अपनाया था।
मध्यकाल में भारतीय समाज कई गलत रीति-रिवाजों से दूषित हो गया था। जातिवाद से उत्पन्न विषमता, छुआ-छूत, धर्म के नाम पर आडम्बर, स्त्रियों की शिक्षा के अभाव, विधवाओं की अपमानजनक स्थिति, शिक्षा की कमी आदि कई दोष समाज में थे। इसलिए, कुछ दलित हिंदू समाज के अपमान के कारण धर्म परिवर्तन करने को तैयार हो गए।
इस तरह के विषम समय में उत्तरदायी धर्मोद्धारकों ने भारतीय समाज के वैषम्य को दूर करने के लिए उठापटक किया। इनमें स्वामी दयानन्द जी ने अपने विचारों की व्यापकता के कारण समाज को उद्धार करने का संकल्प बनाया।
इस तरह के विषम समय में उन्नीसवीं सदी में कुछ धर्म-उद्धारक, सत्य की खोज करने वाले तथा समाज की विषमता को दूर करने वाले भारतवर्ष में उत्पन्न हुए। उनमें से स्वामी दयानन्द के विचारों का व्यापक प्रभाव तथा समाज-उद्धार के संकल्प से उनका स्थान सर्वोच्च है।
स्वामी जी का जन्म गुजरात के टंकराना गांव में 1824 ईसवी में हुआ था। उनके बचपन का नाम मूलशंकर था। संस्कृत शिक्षा और अध्ययन से उनका प्रारंभ हुआ। उनके परिवार में कर्मकाण्डी थे और उन्होंने भी इस तरह की व्यवस्था को अपनाया था। मूलशंकर शिवोपासक परिवार से थे और उनके कृति ‘शिवरात्रि महापर्व’ को जन्म दिया था।
स्वामी जी का जन्म 1824 ई0 में गुजरात प्रदेश के ‘टंकरा‘ नामक गाँव में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘मूलशंकर‘ था और वे संस्कृत शिक्षा से अध्ययन प्राप्त करते थे। उस समय कर्मकाण्डी परिवार में एसी ही व्यवस्था थी। शिव के उपासक परिवार में शिवरात्रि महापर्व मूलशंकर के लिए प्रेरक सिद्ध हुआ। एक रात, जब मूलशंकर जागरण करते थे, उन्होंने देखा कि वहां शंकर की मूर्ति है और मूषक उसे भक्षण कर रहे हैं। मूलशंकर चिंतित हुए कि ऐसी मूर्ति के लिए क्यों कर्तव्य की आवश्यकता है। असल में देवता कोई मूर्ति में नहीं होता है। उन्होंने रात्रिजागरण छोड़ दिया और वापस घर चले गए। दो वर्षों के बाद, उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई।
रात के समय, मूलशंकर ने शिव की मूर्ति पर चढ़ाए गए प्रसाद को चूहे से खाते हुए देखा। उन्होंने सोचा कि यह मूर्ति कुछ नहीं कर सकती थी। इसका वास्तविक अर्थ यह है कि देवता के रूप में मूर्ति में नहीं होता है। रात भर जागरण के बाद, मूलशंकर अपने घर चले गए। उस समय से, मूलशंकर का हृदय मूर्ति पूजा के प्रति आस्था से रहित हो गया। दो साल के भीतर ही उनकी प्रिय बहन की मृत्यु हो गई।
इसके बाद मूलशंकर में वैराग्य का भाव आया। वे अपने घर को छोड़कर विभिन्न विद्वानों, सज्जनों और साधुओं की संगति में घूमते हुए मथुरा जा पहुंचे। वहां पहुंचकर उन्होंने विरजानन्द नामक अंधे विद्वान के पास जाकर उनसे वेद, पुराण आदि आर्षग्रंथों का अध्ययन करना शुरू कर दिया।
उन्होंने स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह, मूर्ति पूजा का खंडन और बाल विवाह के रोकथाम के लिए एक महान् प्रयास किया, जिसमें विभिन्न समाज सुधारकों का सहयोग था। उन्होंने अपने सिद्धांतों को संकलित करके सत्य और अर्थपूर्णता का प्रकाशन करने वाली एक पुस्तक को राष्ट्रीय भाषा में लिखा और अपने अनुयायियों के लाभ के लिए उपकार किया।
स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह, मूर्ति पूजा के विरोध, छुआ छूत और बाल विवाह से बचाव के लिए उन्होंने विभिन्न समाज सुधारकों के साथ महान प्रयास किए। अपने सिद्धांतों को संकलित करने के लिए उन्होंने ‘सत्यार्थ प्रकाश’ नामक ग्रंथ को हिंदी भाषा में लिखकर अपने अनुयायियों का बहुत बड़ा सहारा बनाया।
Dayananda Saraswati Class 10th Solution Notes
वेदों के प्रति धर्मानुयायियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए वे संस्कृत और हिंदी दोनों भाषाओं में वेदभाष्यों का रचना किया। वे प्राचीन शिक्षा में दोषों को दर्शाकर नई शिक्षा पद्धति का प्रचार करते थे। 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना करके वे अपने सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए एक संगठन की स्थापना की और समाज को सुधारने का उद्देश्य रखा।
आपका स्वागत है! निम्नलिखित वाक्यों को हिंदी भाषा में अपने शब्दों में दोबारा लिखें।
“सम्प्रति आर्यसमाजस्य शाखाः प्रशाखाश्च देशे विदेशेषु च प्रायेण प्रतिनगरं वर्तन्ते। सर्वत्र समाजदूषणानि शिक्षामलानि च शोधयन्ति। शिक्षापद्धतौ गुरुकुलानां डी॰ ए॰ वी॰ (दयानन्द एंग्लो वैदिक) विद्यालयानांच समूहः स्वामिनो दयानन्दस्य मृत्योः (1883 ईस्वी) अनन्तरं प्रारब्धः तदनूयायिभिः।”
वर्तमान समय में आर्यसमाज की शाखाएं तथा प्रशाखाएं देश और विदेशों के लगभग सभी शहरों में मौजूद हैं। समाज के सभी दोषों और अशुद्धियों को हटाने के लिए वे समाज में शिक्षा और जागरूकता फैला रही हैं। गुरुकुल पद्धति में डी0 ए0 वी0 (दयानन्द एंग्लो-वैदिक) विद्यालयों के समूह को स्वामी दयानन्द की मृत्यु के बाद (1883 ईसवी) उनके अनुयायियों ने शुरू किया था।
वर्तमान शिक्षा पद्धति में और समाज के परिवर्त्तन में दयानन्द और आर्य समाज का योगदान सदा स्मारणीय है।
लघु-उत्तरीय प्रश्नो्त्तर (20-30 शब्दों में) ____दो अंक स्तरीय
प्रश्न 1. स्वामी दयानन्द कौन थे ? समाज सुधार के लिए उन्होंने क्या किया? (2016A)
उत्तर- स्वामी दयानन्द समाज के सुधारक थे। उन्होंने लोगों के सहयोग से समाज में मौजूद गलत रीतियों को दूर करने का प्रयास किया और डीएवी शिक्षण संस्था की स्थापना की।
प्रश्न 2. स्वामी दयानन्द समाज के महान् उद्धारक थे, कैसे? (तीन वाक्यों में उत्तर दें।) (2014C,2015A)
अथवा, स्वामीदयानन्दःपाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें। (2011A)
अथवा, स्वामी दयानन्द का जन्म कहाँ हुआ था? समाज सुधार के लिए उन्होंने क्या किया? (2011A)
उत्तर- स्वामी दयानन्द सरस्वती एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे जो गुजरात के टंकारा गांव में रहते थे। उन्नीसवीं शताब्दी में वे मुख्य समाज सुधारकों में से एक थे जो बहुत प्रसिद्ध थे। उन्होंने रूढ़ी ग्रस्त समाज और विकृत धार्मिक व्यवस्था के खिलाफ कड़ा विरोध करते हुए आर्य समाज की स्थापना की। इसकी शाखाएं देश-विदेश में शिक्षा के लिए भी प्रयत्नशील रही हैं। शिक्षा व्यवस्था में गुरुकुल पद्धति को फिर से जीवंत करते हुए उन्होंने आधुनिक शिक्षा के लिए दयानन्दी विद्यालय जैसी संस्थाओं की स्थापना की।
प्रश्न 3. स्वामी दयानन्द ने अपने सिद्धांतों के कार्यान्वयन हेतु क्या किया? (2018C)
उत्तर- स्वामी दयानंद उत्तरी भारत के समाज और शिक्षा के महान उद्धारक थे जिन्होंने भारतीय समाज में फैली हुई अस्पृश्यता, धर्मकार्यों में आडम्बर आदि अनेक विषमताओं को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने भारतवर्ष में राष्ट्रीयता को लक्ष्य बनाकर भारतवासियों के लिए पथ प्रदर्शक का काम किया। सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रंथ की रचना कर वैदिक धर्म एवं शुद्धतत्व ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते हुए उन्होंने भारतवासियों को एक नई शिक्षा नीति की ओर अभिप्रेरित किया जिससे दूषित प्रथा को खत्म कर शुद्धतत्व के ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया।
प्रश्न 4. वैदिक धर्म के प्रचार के लिए स्वामी दयानन्द ने क्या किया?
उत्तर- स्वामी दयानन्द ने वैदिक धर्म और सत्य के प्रचार के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने सभी वेदों के अनुयायियों का ध्यान आकर्षित करने के लिए वेदों के उपदेशों को संस्कृत और हिंदी भाषा में लिखा।
प्रश्न 5. मध्यकाल में भारतीय समाज में फैली कुरीतियों का वर्णन अपने शब्दों में करें। (2018A)
उत्तर- मध्यकाल में भारतीय समाज अनेक गलत रीति-रिवाजों से दूषित हो गया था। जातिवाद, छूआछूत, अशिक्षा, विधवाओं की दुर्गति आदि अनेक उदाहरण थे, जो भारतीय समाज को अंधेरे की तरफ ले जा रहे थे। दलित हिन्दुओं ने समाज में अपमानित होकर धर्मपरिवर्तन शुरू किया था।
प्रश्न 6. स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्वार के लिए क्या किया? (2015A)
उत्तर- स्वामी दयानन्द ने समाज के उद्धार के लिए स्त्री शिक्षा को महत्व दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बाल विवाह को समाप्त करवाने, मूर्तिपूजा का विरोध किया और छूआछूत समाप्त करने का प्रयास किया।
Dayananda Saraswati Class 10th Solution Notes
प्रश्न 7. आर्यसमाज की स्थापना किसने की और कब की? आर्य समाजके बारे में लिखें।
उत्तर- स्वामी दयानन्द सरस्वती ने 1885 में मुंबई शहर में आर्य समाज की स्थापना की। आर्य समाज वेदों के प्रचार और सत्य को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई संस्था है। इस संस्था के अनुयायी मूर्ति पूजा का विरोध करते हैं। आर्य समाज ने नवीन शिक्षा-पद्धति को अपनाया और डॉ. ए.वी. नामक स्कूल चेन की स्थापना की। आज इस संस्था की शाखाएं और प्रशाखाएं देश-विदेश के प्रमुख नगरों में हैं।
प्रश्न 8. स्वामीदयानन्द मूर्तिपूजा के विरोधी कैसे बने? (2013A, 2015C)
अथवा, स्वामी दयानन्द को मूर्तिपूजा के प्रति अनास्था कैसे हुई? (2018A)
उत्तर- स्वामीदयानन्द के माता-पिता भगवान शिव के उपासक थे। महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती की पूजा उनके परिवार में विशेष रूप से मनाई जाती थी। एक बार महाशिवरात्रि के दिन उन्होंने देखा कि एक चूहा भगवान शंकर की मूर्ति के ऊपर चढ़कर उसपर चढ़ाए हुए प्रसाद को खा रहा है। उन्हें विश्वास हो गया कि मूर्ति में भगवान नहीं होते और उन्होंने मूर्तिपूजा के विरोध में पलट दिया।
प्रश्न 9. महाशिवरात्रि पर्व स्वामी दयानन्द के जीवन का उदबोधक कैसे बना? (2018C)
उत्तर- शिवरात्रि के दिन एक बार शिव-उपासना करते समय, स्वयं को एक चूहे ने भगवान शंकर की मूर्ति पर चढ़ते हुए प्रसाद को खाते हुए देखा था। उन्हें इससे विश्वास हुआ कि मूर्ति में भगवान नहीं होते हैं। इस प्रकार उन्होंने मूर्तिपूजा के खिलाफ विरोध किया और वेदों के अध्ययन कर सत्य के प्रचार में लग गए। इस तरह, शिवरात्रि उनके जीवन के उद्बोधक बन गया।
9. स्वामी दयानन्दः Objective Questions
प्रश्न 1. स्वामी दयानंद ने किसके प्रचार में अपना जीवन समर्पित किया ?
(A) वैदिकधर्म
(B) सत्य
(C) ज्ञान
(D) शुद्धतत्त्व ज्ञान
उत्तर- (A) वैदिकधर्म
प्रश्न 2. स्वामी दयानंद की शिक्षा की शुरुआत किस भाषा माध्यम से हुई ?
(A) संस्कृत
(B) हिन्दी
(C) उर्दू
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (A) संस्कृत
Dayananda Saraswati Class 10th Solution Notes
प्रश्न 3. स्वामी दयानन्द के बचपन का नाम क्या था ?
(A) शंकर
(B) शिवशंकर
(C) मूलशंकर
(D) उमाशंकर
उत्तर- (C) मूलशंकर
प्रश्न 4. स्वामीदयानन्द ने किस नगर में आर्यसमाज की स्थापना की ?
(A) कोलकाता
(B) मुम्बई
(C) पटना
(D) चेन्नई
उत्तर- (B) मुम्बई
प्रश्न 5. स्वामी दयानंद का जन्म कब हुआ था ?
(A) 1822
(B) 1824
(C) 1826
(D) 1828
उत्तर- (B) 1824
प्रश्न 6. गुजरात-प्रदेश स्थित टंकाराग्राम किसका जन्मस्थल है ?
(A) स्वामी विवेकानन्दः
(B) स्वामी विरजानन्दः
(C) स्वामी दयानंदः
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (C) स्वामी दयानंदः
प्रश्न 7. स्वामी दयानन्द का जन्म किस ग्राम में हुआ था ?
(A) झंकारा
(B) टंकारा
(C) लंकारा
(D) भीखनटोला
उत्तर- (B) टंकारा
प्रश्न 8. ‘स्वामी दयानन्द‘ कौन थे ?
(A) आर्य समाज संस्थापक
(B) समग्र विकास संस्थान संस्थापक
(C) ब्रह्म समाज संस्थापक
(D) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर- (A) आर्य समाज संस्थापक
प्रश्न 9. आर्य समाज के संस्थापक कौन थे ?
(A) स्वामी विवेकानंद
(B) स्वामी सरस्वत्यानन्द
(C) स्वामी विवेकानन्द
(D) स्वामी दयानन्द
उत्तर- (D) स्वामी दयानन्द
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