BSEB Class 10 Hindi Ch 1 दही वाली मंगम्मा | Dahi Wali Mangamma Class 10th Solution Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्‍दी के पद्य भाग 2 के पाठ 1 ‘दही वाली मंगम्मा ( Dahi Wali Mangamma Class 10th Solution Notes)’ के व्‍याख्‍या और सभी ऑब्‍जेक्टिव प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

 

Dahi Wali Mangamma Class 10th Solution Notes

1. दही वाली मंगम्मा

लेखक- श्रीनिवास
जन्म- कर्नाटक के कोलार में (6 जून 1891 ई0)
मृत्यु- 6 जून 1986 ई0
पूरा नाम- मास्ती वेंकटेश अय्यंगार
यह कन्नड़ साहित्य के प्रतिष्ठित रचनाकारों में से एक थे।
हिन्दी अनुवाद- बी0 आर0 नारायण

पाठ परिचय

इस कहानी में दही वाली मंगम्मा भावना प्रधान है। लेखक ने दो पीढ़ियों की भावनाओं को बड़े स्वाभाविक ढंग से पेश किया है। यह कहानी एक दही बेचने वाली की है, जो परिवार में सब पर अपनी धाक् जमाना चाहती है। वहीं बहु अपने अधिकार का त्याग करने से अपमान महसूस करती है। कहानी की शुरुआत दही वाली मंगम्मा के दही बेचने से होती है।

Dahi Wali Mangamma Class 10th Solution Notes

पाठ का सारांश

मंगम्मा वेंकटपुर के निकट अवलूर में रहती थी और रोज बंगलूर जाकर दही बेचती थी। वह मेरे पास बैठती और अपनी बातें कहती थी। एक दिन उसने मेरे बच्चे को देखकर अपने पति और पुत्र के बारे में बताया और उन्हें वश में करने के लिए तीन-चार अनुभवपूर्ण गुरुओं के बारे में बताया। पंद्रह दिन बाद वह रोते हुए अपने घर में गृह-कलह के कारण अलग हो गई और अपने जोड़े हुए पैसों को अपने साज श्रृंगार पर खर्च करने लगी। इससे कुछ लोगों ने उसकी आलोचना की और बहु ने उसे ताना देना शुरू कर दिया जबकि दोनों बेटे बहु से विरक्त होकर अलग हो गए।

झगड़े का कारण पोते की पीटाई थी, लेकिन मूल रूप से सास-बहू के अधिकार सम्बन्धी ईर्ष्या थी। कुछ लोग औरत को अकेली जानते थे और उसके धन और प्रतिष्ठा पर नजर उठाते थे। रंगप्पा भी वैसा ही किया था और उसे बहू की निगाहों से ताड़ा गया था। उसने पोते को उसके पास भेजने का एक नाटक किया। मंगम्मा भी पोते के लिए बाजार से मिठाई लेने लगी। एक दिन कौवा उसकी मिठाई का दाना उड़ा ले गया था, जिससे मंगम्मा डर गई थी। माँ जी ने उसे बड़ी कुशलता से निवारण किया। बहू ने नाटक के जरिए पोते को दादी के पास भेजने का मंत्र बड़ी कारगरता से अपनाया। दूरी बढ़ने से भी प्रेम बढ़ता है और मानसिक तनाव कम होता है। मंगम्मा को भी बहू में सौहार्द, बेटे और पोते में स्नेह नजर आने लगा था और बड़े-बूढ़ों ने भी उसे समझाया था।

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बहू ने मंगम्मा के काम को अपने ऊपर ले लिया। एक दिन दही बेचने के काम में नंजम्मा (बहू) आई और मुझे सब कुछ बताया। उसने परिवार के जमा पैसे के नुकसान से डरकर, बड़ी कुशलता से परिवार को शांति दिलाई। फिर वह पहले जैसी रहने लगी।

अंत में लेखक निष्कर्ष निकालता है कि सास और बहू के बीच स्वतंत्रता की लड़ाई है। इसमें माँ, बेटे और पति-पत्नी होते हैं। माँ बेटे के अधिकार से नहीं चलना चाहती है, जबकि बहू पति के अधिकार से नहीं चलना चाहती है। यह संसार के सभी किस्सों में होता है।

विषयनिष्‍ठ प्रश्‍न—Subjective Questions

प्रश्न 1. मंगम्मा का अपनी बहू के साथ किस बात को लेकर विवाद था?
उत्तर- मंगम्मा ने बहू नंजम्मा से उसके पोते को लेकर डाँटा था। एक दिन बेटे की किसी गलती के कारण नंजम्मा उसे पीट रही थी। शुरू में मंगम्मा चुप रही, लेकिन बाद में उन्होंने बहू से पूछा, “राक्षसी, तुम छोटे से बच्चे को क्यों पीट रही हो?” बहू ने चढ़कर जवाब दिया। जब मंगम्मा ने कहा कि वह तुम्हारे घरवालों की माँ है, तो बहू ने भी कहा कि वह भी उसके बेटे की माँ है। बात आगे बढ़ी। जब मंगम्मा ने बेटे से शिकायत की तो बेटा ने कहा कि वह अपने बेटे को मारती है तो वह क्यों उस झगड़े में पड़ती हो? मंगम्मा ने कहा कि बीबी ने उस पर जादू फेरा है, इसी दोपहर बहू ने मंगम्मा के बर्तन अलग कर दिए।

प्रश्न 2. रंगप्पा कौन था और वह मंगम्मा से क्या चाहता था?
उत्तर- रंगप्पा एक गाँव का आदमी था जो बहुत शौकीन था और कभी-कभार जूआ भी खेलता था। जब उसे पता चला कि मंगम्मा बेटे से अलग रहने लगी है तो वह मंगम्मा के पीछे पड़ गया। एक दिन उसने मंगम्मा से हाल-चाल पूछी और बोला कि मुझे रुपयों की जरूरत है। मंगम्मा ने पूछा कि पैसे कहाँ हैं तो उसने कहा कि पैसे यहाँ-वहाँ गाड़कर रखने से क्या फायदा। दूसरे दिन रंगप्पा ने अमराई के पीछे रोककर मंगम्मा को बाँह पकड़ लिया और बोला, ‘जरा बैठो मंगम्मा, जल्दी क्या है? दरअसल, रंगप्पा लालची और लम्पट दोनों ही था।

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प्रश्न 3. बहू ने सास को मनाने के लिए कौन-सा तरीका अपनाया ?
उत्तर- जब बहू को पता चला कि रंगप्पा सास मंगम्मा के पीछे पड़ गया है, तो उसे चिंता हो गई कि कहीं सास के पैसे रंगप्पा न ले ले। इसलिए उसने अपने बेटे को बताया कि दादी तुझे मिठाई देती है न, अगर मैं पैसे लेती हूँ तो पीटती हूँ। बेटा मंगम्मा के पास चला गया और वहाँ रहने लगा। पोता भी चाहता था कि वह भी बैंगलोर चले, लेकिन मंगम्मा को समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करना है। फिर बेटे और बहू ने आकर उसे समझाया कि उनकी गलती हो गई थी और वे सभी संगठित रहना चाहते हैं। अब मंगम्मा खुश हो गई थी और उसके साथ रहना शुरू कर दिया। बहू ने शहर में दही बेचने का धंधा शुरू किया और वह अपनी मंशा पूरी कर ली।

प्रश्न 4. इस कहानी का कथावाचक कौन है ? उसका परिचय दीजिए।
उत्तर- यह कहानी की कथावाचक लेखक की माँ है। लेखक की माँ इस कहानी के दूसरे केंद्रीय चरित्र है। इस कहानी की कथावस्तु लेखक की माँ ने ताना-बाना बुनी है। मंगम्मा दही बेचने के लिए लेखक के घर आती है और वहां से कुछ अच्छी दही बेचती है। धीरे-धीरे, मंगम्मा और लेखक की माँ के बीच घनिष्ठता बढ़ती जा रही है।

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मंगम्मा अपने घर के सभी हालात बताती है और लेखक की माँ उसे कुछ सुझाव देती है। सास और बहू के बीच झगड़े के कारण परिवार बिखर जाता है। बेटे को खुश रखने वाली माँ बहू के आने से पहले बेटे से अलग हो जाती है। मंगम्मा के दर्द को सुनकर लेखक की माँ का दिल भी भारी हो जाता है। ममता की प्रतीक नारी दुर्गा इस स्थिति का एक ज्वलंत उदाहरण है जिसे लेखक की माँ ने देखा-सुना है। जब कोई दूसरे को पसंद नहीं करता है, तो छोटी बातें भी बड़ी हो जाती हैं। मंगम्मा की बातें सुनते-सुनते, लेखक की माँ का हृदय भी दुखने लगता है।

प्रश्न 5. मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर- मंगम्मा कहानी का मुख्य केंद्रीय चरित्र है और कहानी की कथावस्तु उसके आसपास ही घूमती है। मंगम्मा पति से विरक्त हैं और वे कभी सोच भी नहीं सकती थीं कि उनका बेटा अपनी पत्नी के दबाव में उन्हें छोड़ सकता है। पत्नी के शृंगार का पति है और मंगम्मा और उनकी बहू इस बात को समझती हैं। मंगम्मा दही बेचकर जीवन यापन करती है और इससे कुछ बचत करती है। वह जानती है कि पैसा उसकी अपनी जमा पूंजी होती है। वह एक भोली-भाली नारी है जो अपने पोते से बहुत अधिक प्रेम करती है। रंगप्पा उसे बार-बार पीछा करता है, लेकिन उसे अपने कर्मपथ से हटने नहीं देता है। मंगम्मा भारतीय नारीत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं।

प्रश्न 6. मंगम्मा का चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर- नंजम्मा मंगम्मा की बहू है और वह बहुत तेज-तर्रार है। उसे किसी भी प्रकार की दखलंदाजी सहन नहीं होती है, बेटे की गलती पर जब उसे पीटती है और मंगम्मा जब उससे मना करती है तो उसे असंतोष होता है। वह अपने बेटे को जैसे अपनी ही माँ के जैसे रखने का वादा करती है और अपने पति पर भी काबू रखती है। मंगम्मा का मखमल का जाकेट पहनने पर वह व्यंग्य भी करती है और जब लेन-देन की बात उठती है तो वह गहनों और जेवरों को लेकर उसे वापस लेने की भी माँग करती है। नंजम्मा तेज-तर्रार, चतुर और व्यवहार कुशल है। उसने धीरे-धीरे मंगम्मा के दही बेचने का धंधा भी शुरू कर दिया है। जब उसे लगता है कि मंगम्मा दूसरों को रुपया-पैसा दे रही है तो वह अपने बेटे को मंगम्मा के पास भेजती है। इसके अलावा, वह मौके पर अपने पति के साथ जाकर माफी माँग लेती है और उसे अपने यहाँ लाती है।

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1. दही वाली मंगम्मा Objective Questions
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प्रश्न 1. दही वाली मंगम्मा के रचयिता हैं ?
(क) सात कौड़ी होता
(ख) ईश्वर पेटलीकर
(ग) श्रीनिवास        
(घ) प्रेमचन्द

उत्तर- (ग) श्रीनिवास

प्रश्न 2. श्रीनिवास साहित्यकार हैं—
(क) गुजराती
(ख) कन्नड़
(ग) राजस्थानी
(घ) तमिल

उत्तर- (ख) कन्नड़

प्रश्न 3. मंगम्मा बरसों से बारी में दिया करती थी—
(क) दूध    
(ख) चावल
(ग) मछली
(घ) दही

उत्तर- (घ) दही

प्रश्न 4. नंजमा मंगम्मा की…………थी।
(क) बेटी    
(ख) माँ
(ग) पुत्र वधू
(घ) सास

उत्तर- (ग) पुत्र वधू

प्रश्न 5. श्री निवास का पूरा नाम है—
(क) साँवर दइया               
(ख) सुजाता
(ग) मास्‍ती वेंकटेश अय्यंगर
(घ) सात कोड़ीहोता

उत्तर- (ग) मास्‍ती वेंकटेश अय्यंगर

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