इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के विज्ञान के पाठ 2 अम्ल, क्षारक और लवण (Amal Char aur Lavan Class 10th Solutions) को पढ़ेंगे।
Chapter 2 अम्ल, क्षारक और लवण
अम्ल– अम्ल वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में खट्टा होता है तथा धातु से अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है।
भस्म– भस्म वह पदार्थ है जिसका जलीय विलयन स्वाद में कड़वा होता है तथा अम्ल को उदासीन कर लवण बनाता है।
आर्हेनियस द्वारा अम्ल की परिभाषा– अम्ल वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन देता है।
आर्हेनियस द्वारा भस्म की परिभाषा– भस्म वह पदार्थ है जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन देता है।
क्षार– जल में विलेय भस्म को क्षार कहते हैं।
अम्ल के गुण–
1. अम्ल स्वाद में खट्टा होता है।
2. प्रबल अम्ल विद्युत के सुचालक होते हैं।
3. अम्ल धातु से क्रिया करके हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
4. भस्म क्षार से क्रिया करके लवण और जल बनाता है।
5. अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है।
भस्म के गुण–
1. क्षार स्वाद में तीखा या कड़वा होता है।
2. क्षार छूने में साबुन जैसा चिकना होता है।
3. प्रबल क्षार विद्युत का सुचालक होता है।
4. अम्ल से प्रतिक्रिया करके लवण तथा जल देता है।
5. क्षार लाल लिटमस को नीला को पीला कर देता है।
pH मान– pH मान एक संख्या होती है जो पदार्थों की अम्लीयता और क्षारीयता को प्रदर्शित करती है। यह किसी विलयन के हाइड्रोजन आयनों की सान्द्रता के लघुगणक का ऋणात्मक मान है।
अम्लीय विलयन का pH मान 7 से कम, क्षारीय विलयन का pH मान 7 से अधिक और उदासीन विलयन का pH मान 7 के बराबर होता है।
दैनिक जीवन में pH का महत्व
1. पेट की अम्लीयता (एसिडिटी) व गैस की समस्या को दूर करने के लिए क्षारीय प्रकृति वाले मिल्क ऑफ मैग्नीशिया का प्रयोग किया जाता है।
2. अम्लीय वर्षा में जल का pH मान 6 से कम होता है। इस जल के फलस्वरुप नदियों का pH मान भी कम हो जाता है जो कि जलीय जीवों पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
3. दांत का इनामेल कैल्शियम सल्फेट का बना होता है। दांतों की सफाई नहीं करने पर बैक्टीरिया के सड़ने से अम्लों की उत्पत्ति होती है जिनसे मुंह की लार का पीएच 5 से कम चला जाता है और इनामेल को नुकसान पहुंचाता है। इसके उपाय हेतु टूथपेस्ट में क्षारीय पदार्थ प्रयुक्त किए जाते हैं।
4. मधुमक्खी के डंक में मेथेनॉइक अम्ल होता है। इसके डंक से होने वाली जलन को शांत करने के लिए क्षारीय प्रकृति के बेकिंग सोडा का प्रयोग किया जाता है।
5. उपजाऊ मिट्टी का पीएच मान भी एक निश्चित परास में होता है।
6. अम्ल एवं क्षारक की अभिक्रिया वेफ परिणामस्वरूप लवण तथा जल प्राप्त होते हैं तथा इसे उदासीनीकरण अभिक्रिया कहते हैं। सामान्यतः उदासीनीकरण अभिक्रिया को इस प्रकार लिख सकते हैं।
क्षारक + अम्ल →लवण+जल
लवण– अम्लों तथा भस्मों की अभिक्रिया से लवण तथा जल बनते हैं।
HCl+NaOH→NaCl+H2O
सोडियम हाइड्रॉक्साइड के उपयोग-
1. साबुन तथा अपमार्जक बनाने में
2. कागज बनाने में
3. प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में
हाइड्रोजन गैस का उपयोग–
1. वनस्पति तेल का हाइड्रोजनीकरण कर उन्हें वनस्पती घी में परिणत करने में
2. हैबर विधि द्वारा अमोनिया बनाने में
क्लोरीन गैस का उपयोग–
1. कपड़ों एवं कागज को विरंजित करने में
2. कीटाणुनाशक होने के कारण पेयजल को शुद्ध करने में
3. विरंजक चूर्ण बनाने में
सोडियम बाइकार्बोनेट या सोडियम होइड्रोजनकार्बोनेट (खाने का सोडा, NaHCO3)
सोडियम बाइकार्बोनेट को अमोनिया-सोडा विधि या साल्वे विधि द्वारा तैयार किया जाता है।
सोडा विधि या साल्वे विधि
सिद्धांत– अमोनिया गैस से संतृप्त सोडियम क्लोराइड के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने के फलस्वरूप सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3→NH4 Cl + NaHCO3
गुण–1. सोडियम बाइकार्बोनेट का जलीय विलयन क्षारीय होता है तथा इस विलयन का pH मान 7 से अधिक होता है।
NaHCO3अम्लों को उदासीन करता है तथा अभिक्रिया के फलस्वरूप CO2 गैस निकलती है।
NaHCO3 + HCl→NaCl + CO2↑+ H2O
सोडियम बाइकार्बोनेट का उपयोग–
1. इसका उपयोग बेकिंग पाउडर बनाने में किया जाता है।
2. पेट की अम्लीयता कम करने के लिए औषधि (ऐंटासिड) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
3. इसका उपयोग अग्निशामक यंत्रों में भी किया जाता है।
4. रसोईघर में, खाने के सोडा का उपयोग खस्ता व्यंजन बनाने के लिए किया जाता है। कभी-कभी इसका इस्तेमाल खाना जल्द पकाने के लिए भी किया जाता है।
सोडियम कार्बोनेट या धोने का सोडा (Na2CO3 . 10H2O)
सोडियम कार्बोनेट या धोने का सोडा प्रायः अमोनिया-सोडा विधिया साल्वे विधि से तैयार किया जाता है।
अमोनिया सोडा विधि या साल्वे विधि
सिद्धांत- अमोनिया गैस से संतृप्त सोडियम क्लोराइड के संतृप्त जलीय विलयन में कार्बन डाइऑक्साइड गैस प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट प्राप्त होता है।
NaCl + H2O + CO2 + NH3→ NH4Cl + NaHCO3
सोडियम बाइकार्बोनेट को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त किया जाता है।
2NaHCO3→Na2CO3 + CO2 + H2O
सोडियम कार्बोनेट के रवाकरण से धोने का सोडा (Na2CO3 . 10H2O) प्राप्त होता है।
गुण- 1. Na2CO3 का जलीय विलयन क्षारीय होता है।
Na2CO3 अम्लों को उदासीन बनाता है।
सोडियम कार्बोनेट के विलयन में CO2 गैस प्रवाहित करने पर सोडियम बाइकार्बोनेट बनता है।
Na2CO3 + CO2 + H2O →2NaHCO3
धोने के सोडा का उपयोग–
1. कपड़ा आदि धोने में इसका उपयोग होता है।
2. यह प्रयोगशाला में अभिकर्मक के रूप में व्यवहार किया जाता है।
3. काँच, कागज, साबुन आदि के उत्पादन में इसका उपयोग किया जाता है।
4. जल का स्थायी खारापन दूर करने में Na2CO3 का उपयोग होता है।
विरंजक चूर्ण [Ca(OCl)Cl]
शुष्क बुझे हुए चूने [Ca(OH)2] को 40℃ तक तप्त कर उसके ऊपर क्लोरिन गैस प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण प्राप्त होता है।
Ca(OH)2 + Cl2→Ca(OCl)Cl + H2O
गुण– यह सफेद चूर्ण है जिससे क्लोरिन की गंध निकलती है।
उपयोग-1. कीटाणुनाशक के रूप में
2. कागज एवं कपड़ों के विरंजन में
3. क्लोरिन, क्लोरोफॉर्म आदि बनाने में
प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSo4)2 . H2O या कैल्सियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट CaSo4 . 1/2 H2O
जिप्सम (CaSo4 . 2H2O) को तीव्रता से गर्म करने पर यह पूर्ण रूप से निर्जलीय होकर कैल्सियम सल्फेट बनाता है।
CaSo4 . 2H2O → CaSo4+ 2H2O
जिप्सम को 120℃ तक सावधानीपूर्वक गर्म करने के फलस्वरूप प्लास्टर ऑफ पेरिस बनता है।
2(CaSo4 . 2H2O) → (CaSo4)2 . H2O + 3H2O
उपयोग-1. प्लास्टर ऑफ पेरिस का उपयोग मूर्ति बनाने में किया जाता है।
इसका उपयोग शल्य चिकित्सा में टूटी हुई हड्डियों को बैठाने और जोड़ने में पट्टियों के रूप में किया जाता है।
Amal Char aur Lavan Class 10th Solutions
पाठ के अन्दर दिए गए प्रश्न और उनके उत्तर
प्रश्न 1. आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है । यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखें गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे ?
उत्तर- सर्वप्रथम प्रत्येक परखनली में लाल लिटमस पत्र डाला जाता है । जिस परखनली के विलयन में लिटमस का रंग नीला हो जाता है । स्पष्टतः वह विलयन क्षारीय पोरगा । शेष दो बची हुई परखनलियों में एक में आसवित जल है तथा एक में अम्लीय विलयन है। क्योंकि इन दोनों में लिटमस पत्र का रंग लाल ही रहता है। फिर उसके बाद पहचान किए हुए परखनली से क्षारीय विलयन को बाहर निकालते हैं । अब इन परखनलियों में शेष बची हुई परखनलियों में से किसी एक के विलयन को डालते हैं तो दो प्रकार की बातें सामने आती हैं : पहला में लिटमस पत्र पुनः लाल हो जाता है इससे पता चलता है कि इस परखनली में अम्लीय विलयन है, जबकि अन्तिम परखनली में आसवित जल है ।
(पृष्ठ : 24 )
प्रश्न 1. पीपल एवं ताँबे के बरतनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए ?
उत्तर – हम जानते हैं कि दही तथा खट्टे पदार्थों में अम्ल पाया जाता है जो धातु के साथ प्रतिक्रिया करके लवण तथा हाइड्रोजन गैस का निर्माण करता है । जब पीतल एवं ताँबे के बरतन में दही जैसे खट्टे पदार्थ रखे जाते हैं, तो उससे प्रतिक्रिया करके संक्षारित कर देता है और कॉपर ऑक्साइड उत्पन्न करता है ।
प्रश्न 2. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यत: कौन-सी गैस निकलती है ? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए । इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे ?
उत्तर— धातु के साथ जब अम्ल अभिक्रिया करता है तो हाइड्रोजन गैस निकलती है। जैसे एक परखनली में लगभग 5 mL तनु सल्फ्यूरिक अम्ल लिया जाता है । फिर उसमें दानेदार जिंक के टुकड़ों को डाला जाता है । प्रवाह नली को परखनली में कसकर बन्द कर दिया जाता है, ताकि निर्मित गैस साबुन के विलयन से होकर गुजरे । निर्मित गैस से भरे हुए साबुन के बुलबुले विलयन से बाहर निकलते हैं जब जलती हुई मोमबत्ती को गैस वाले बुलबुले के पास ले जाते हैं तो देखते हैं उपस्थित गैस फट फट की आवाज साथ जलने लगती है । इससे पता चलता है कि जिंक तथा सल्फ्यूरिक अम्ल अभिक्रिया के बाद ‘बाद हाइड्रोजन गैस उत्सर्जित करता है ।
प्रश्न 3. कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है। इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है । यदि उत्पन्न यौगिकों में से एक कैल्सियम क्लोराइड है, तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए ।
उत्तर : CaCO3 + 2HCl → CaCl3+H2O + CO2
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(पृष्ठ : 27 )
प्रश्न 1. HCI, HNO, आदि जलीय लयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों – प्रदर्शित करते हैं, जबकि एल्कोहॉल एवं नकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में प्रदर्शित करते हैं, जबकि एल्कोहॉल एवं नकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं ?
उत्तर – चूँकि उपयुक्त जलीय विलयन में H+ आयन पाये जाते हैं जो जल में अपघटित होकर अलग हो जाते हैं । इससे अम्लीय गुण का पता चलता है । ऐल्कोहॉल तथा ग्लूकोज के विलयनों में H+आयन विघटित नहीं होता। इसलिए इनके विलयन में अम्लीयता गुण नहीं प्रदर्शित होते हैं ।
प्रश्न 2. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विद्युत का चालन करता है ?
उत्तर—चूँकि अम्ल का जल विघटित होकर आयनों का निर्माण करता है। इस कारण यह विद्युत का चालन करता है ।
HCl +H2O → H3O++ Cl–
हाइड्रोक्लोरिक जल
प्रश्न 3. शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है ?
उत्तर— शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती है क्योंकि शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस विघटित होकर H+ आयन नहीं देती है । इसलिए यह अम्लीय गुण को नहीं दर्शाती है।
प्रश्न 4. अम्ल को तनुकृत करते समय यह क्यों अनुशासित करते हैं कि अम्ल को जल में मिलाना चाहिए, न कि जल को अम्ल में ?
उत्तर—हम जानते हैं कि अम्ल बहुत ही खतरनाक पदार्थ होता है । जब जल में अम्ल को मिलाते हैं तो काफी ऊष्मा उत्पन्न होती है । इसलिए अम्ल को हमेशा धीरे- धीरे तथा जल को लगातार हिलाते हुए जल में मिलाना चाहिए । सान्द्र अम्ल में जल को मिलाने पर उत्पन्न हुई ऊष्मा के कारण मिश्रण छलक कर गिर सकता है, जिससे व्यक्ति जल सकता है । अतः जल में सान्द्र नाइट्रिक अम्ल अथवा सल्फ्यूरिक अम्ल को मिलाते समय अत्यधिक सावधानी वरतनी चाहिए ।
प्रश्न 5. अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H3O+)की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है ?
उत्तर—हाइड्रोनियम (H3 , O+) आयन की सान्द्रता कम हो जाती है ।
प्रश्न 6. जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH–) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है ?
उत्तर— हाइड्रॉक्सिल (OH) समूह की सान्द्रता बढ़ जाती है ।
( पृष्ठ : 31 ).
प्रश्न 1. आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं । विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का मान 8 है । किस विलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है ? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय ?
उत्तर—विलयन A में pH का मान 6 है। इसलिए इसके हाइड्रोजन आयन (H–) आयन का सान्द्रण अधिक है। चूँकि विलयन B में pH का मान 8 है जो क्षारकीय गुण दर्शाता है
प्रश्न 2. H+(aq) आयन की सांद्रता का विलयन को प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर—जैसे-जैसे H+ आयन की न्द्रिता बढ़ती जाती है वैसे-वैसे विलयन का अम्लीय गुण अधिक होता जाता है
प्रश्न 3. क्या क्षारकीय विलयन में H+(aq) आयन होते हैं ? अगर हाँ, तो ये क्षारकीय क्यों होते हैं ?
उत्तर—हाँ, क्षारकीय विलयन में हाइड्रोजन आयन (H+) होते हैं। चूँकि ये जल ये जाते हैं, अतः क्षारकीय होते हैं ।
प्रश्न 4. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्सियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्सियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्सियम कार्बोनिट) का उपयोग करेगा ?
उत्तर—खेत की मिट्टी जब अम्लीय हो जाती है तब किसान उस मिट्टी को उदासीन बनाने के लिए प्रश्न में दिए गए किसी क्षारक का उपयोग कर सकते हैं ।
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(पृष्ठ : 36 )
प्रश्न 1. CaOCl, यौगिक का प्रचलित नाम क्या है ?
उत्तर—CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम विरंजक चूर्ण है ।
प्रश्न 2. उस पदार्थ का नाम बताइए, जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है ।
उत्तर—उस पदार्थ का नाम बुझा हुआ चूना [Ca(OH)2] है, जो क्लोरीन से क्रिया. कर विरंजक चूर्ण बनाता है ।
प्रश्न 3. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग करते हैं ?
उत्तर—कठोर जल को मृदु बनाने के लिए सोडियम कार्बोनिट (Na2 CO3) का उपयोग करते हैं ।
प्रश्न 4. सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनिट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा ? इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए ।
उत्तर—सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनिट को गर्म करने पर सोडियम कार्बोनिट के साथ- साथ जल तथा ऑक्सीजन बनते हैं । अभिक्रिया का समीकरण निम्नलिखित है :
2NaHCO3 गर्म करने पर 2NaHCO3 + H3O + CO2
सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनिट सोडियम कार्बोनिट
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अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवत: क्या होगा ?
(a) 1 (b) 4 (c) 5 (d) 10
उत्तर- (d) 10
प्रश्न 2. कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो गैस चूने के पानी को दूधिया कर देती है । इस विलयन में क्या होगा ?
(a) NaCl (b) HCl (c) LiCl (d) KCl
उत्तर—(b) HCl
प्रश्न 3. NaOH का 10ml विलयन, HCI के 8 mL विलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH के उसी विलयन को 20 mL लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCI के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी ?
(a) 4mL (b) 8mL (c) 12 mL (d) 16 mL
उत्तर – (d) 16 mL
प्रश्न 4. अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है ?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक) (b) ऐनालजेसिक (पीड़ाहारी) (c) ऐन्टैसिड (d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
उत्तर- (c) ऐन्टैसिड
प्रश्न 5. ऐल्कोहॉल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए ।
उत्तर—इस क्रियाकलाप को करने के लिए पृष्ठ 27 पर के चित्र जैसे उपकरणों को सजाया जाता है ।
जब बीकर में ग्लूकोज का विलयन डालते हैं तथा उस विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित करते हैं तो बल्ब नहीं जलता है । इससे पता चलता है कि ग्लूकोज का विलयन आयनो में नहीं टूटता है। इसलिए ग्लूकोज अम्ल नहीं है ।
फिर उसमें ऐल्कोहॉल को डाला जाता है तो यह भी आयनों में विभाजित नहीं होता है। इसलिए इससे भी बल्ब नहीं जलता है । अतः यह भी अम्ल नहीं है ।
प्रश्न 6. आसवित जल विद्युत् का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा का जल होता है ?
उत्तर—चूँकि आसवित जल आयनों में नहीं टूटता है, इसलिए ऐसा जल विद्युत का कुचालक है। वर्षा जल में CO2 , गैस तथा अन्य अशुद्धियाँ मिली हुई रहती हैं, इसलिए यह कार्बोनिक अम्ल बनाती हैं। ये जल में मिलकर अम्लों में विभाजित हो जाती हैं ।
प्रश्न 7. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है ?
उत्तर- जल की अनुपस्थिति में अम्ल विघटित नहीं होता है । इस कारण यह अम्लीय गुण नहीं दर्शाता है ।
प्रश्न 8. परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए । परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) तथा परखनली ‘B’ में ऐसिटिक अम्ल (CH3, COOH) डालिए । किस परखनली में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों ?
उत्तर- हम जानते हैं कि हाइड्रोक्लोरिक अम्ल काफी शक्तिशाली अम्ल हैं। इस कारण यह अधिक विघटित होता है, क्योंकि इसमें खट्टापन नहीं होता। इसलिए परखनली A में अधिक तेजी से बुदबुदाहट होती है ।
प्रश्न 9. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है । दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा ? अपना उत्तर समझाइए |
उत्तर – ताजे दूध के pH का मान 6 होता है, क्योंकि इसमें खट्टापन नहीं होता । जब यह दही बन जाता है तो इसमें खट्टापन आ जाता है, जिसके कारण इसका pH मान 6 से कम हो जाता है ।
प्रश्न 10. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है ।
(a) ताजा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है ?
उत्तर—(a) ताजे दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय बना देता है क्योंकि बेकिंग सोडा दूध में मिलाया जाता है जो क्षारीय होता है ।
(b) चूँकि इस दूध से दही बनने के लिए तापमान लगभग 30°C से अधिक (अम्लीय परिस्थिति) और साथ ही एन्जाइम की आवश्यकता पड़ती है । इसलिए क्षारीय दूध से दही बनने में अधिक समय लगता है ।
प्रश्न 11. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बरतन में क्यों रखा जाना चाहिए ? इसकी व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – हम जानते हैं कि प्लास्टर ऑफ पेरिस जल को अवशोषित कर कठोर जिप्सम का निर्माण करता है । इस कारण प्लास्टर ऑफ पेरिस को आर्द्र-रोधी बरतन में रखा जाता है, ताकि वह कठोर न हो तथा बर्बाद होने से बच जाचा |
प्रश्न 12. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है ? दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर—वैसी अभिक्रिया, जिसमें अम्ल और क्षार प्रतिक्रिया करके लवण तथा जल का निर्माण करता है उदासीनीकरण अभिक्रिया है ।
प्रश्न 15. धोने का सोडा एवं बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए
उत्तर—धोने के सोडा का उपयोग :
(i) इसका उपयोग घरों में सूती कपड़ों की साफ-सफाई के लिए होता है ।
(ii) इसका उपयोग काँच, साबुन तथा कागज उद्योगों में किया जाता है ।
बेकिंग सोडा का उपयोग
(i) इसका उपयोग सोडा–अम्ल बनाने तथा अग्निशामक में किया जाता
(ii) इसका उपयोग पावरोटी तथा केक बनाने में किया जाता है
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