इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के विज्ञान के पाठ 15 हमारा पर्यावरण (Hamara Paryavaran Class 10th Solutions) को पढ़ेंगे।
15. हमारा पर्यावरण
किसी जीव के चारों ओर फैली हुई भौतिक या अजैव और जैव कारकों से निर्मित दुनिया जिसमें वह निवास करता है एवं जिससे वह प्रभावित होता है, उसे उसका पर्यावरण या वातावरण कहा जाता है। उदाहरण के तौर पर पौधे, जानवर और अन्य मानव किसी मनुष्य के पर्यावरण का जैविक हिस्सा है।
Hamara Paryavaran Class 10th Solutions
पारिस्थितिक तंत्र- जीवमंडल के विभिन्न घटक तथा उसके बीच ऊर्जा और पदार्थ का आदान-प्रदान सभी एक साथ मिलकर पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण करते हैं।
एक पारिस्थितिक तंत्र के निम्नांकित दो मुख्य अवयव होते हैं।
1. अजैव अवयव- जिसमें जीवन नहीं है यानी निर्जीव है।
2. जैव अवयव- जो जीवित है यानी सजीव है।
अजैव अवयव को तीन वर्गों में बाँटा गया है-
1. भौतिक वातावरण- इसमें मृदा, जल तथा वायु सम्मिलित हैं।
2. पोषण- इसके अंतर्गत विभिन्न अकार्बनिक एवं कार्बनिक पदार्थ आते हैं।
3. जलवायु- सूर्य की रोशनी, तापक्रम, आर्द्रता, दाब इत्यादि मिलकर जलवायु का निर्माण करते हैं।
जैव अवयव को तीन वर्गों में बाँटा गया है-
1. उत्पादक- जैसे हरे पौधे, जो भोजन का संश्लेषण करते हैं।
2. उपभोक्ता– जो पौधों और उनके विभिन्न उत्पादों कोखाते हैं।
3. अपघटनकर्ता- ये मृत उत्पादक तथा उपभोक्ताओं का अपघटन करते हैं तथा इससे उत्पन्न पोषणों और गैसों को फिर वातावरण में छोड़ देते हैं।
उत्पादक- जिनमें प्रकाशसंश्लेषण द्वारा अपना भोजन स्वयं बनाने की क्षमता होती है, उसे उत्पादक कहते हैं। जैसे- हरे पौधे।
एक पारिस्थितिक तंत्र में हरे पौधे की उपस्थिति क्यों अनिवार्य है?
एक पारिस्थितिक तंत्र में हरे पौधे की उपस्थिति इसलिए अनिवार्य है क्योंकि ये निम्नलिखित कार्यों का संपादन करते हैं-
1. ये पारिस्थितिक तंत्र में रहनेवाले जीवों के प्रकार का निर्धारण करते हैं।
2. ये सौर-ऊर्जा, जो समस्त जीवों के लिए ऊर्जा का मूल स्त्रोत है, को ग्रहण करने में समर्थ है।
3. ये मिट्टी से प्रमुख तत्त्वों को अवशोषित करने में समर्थ है।
3. ये वायुमंडल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।
उपभोक्ता- ऐसे जीव जो अपने पोषण के लिए पूर्णरूप से उत्पादकों पर निर्भर रहते हैं, उपभोक्ता कहलाते हैं। सभी जंतु उपभोक्ता की श्रेणी में आते हैं।
1. प्राथमिक उपभोक्ता- ऐसे उपभोक्ता जो पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से उत्पादक, अर्थात हरे पौधे को खाते हैं, प्राथमिक उपभोक्ता कहलाते हैं। जैसे- गाय, भैंस, बकरी, हिरण, खरगोश आदि।
2. द्वितीयक उपभोक्ता- कुछ जंतु; जैसे शेर, बाघ, कुछ पक्षी, सर्प, मेढ़क, मांसाहारी होते हैं तथा वे शाकाहारी प्राथमिक उपभोक्ता को खाते हैं, द्वितीयक उपभोक्ता कहलाते हैं।
3. तृतीयक उपभोक्ता- सर्प जब मेढ़क (द्वितीयक उपभोक्ता) को खाता है तब वह तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता(तृतीयक उभोक्ता) कहलाता है। जैसे- बाघ, शेर, चीता, गिद्ध आदि।
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अपघटनकर्ता या अपमार्जक- पौधों और जंतुओं (उत्पादक और उपभोक्ता) के मृत शरीर तथा जंतुओं के वर्ज्य पदार्थों का जीवाणुओं और कवकों के द्वारा अपघटन किया जाता है। अतः जीवाणु और कवक अपघटनकर्ता या अपमार्जक कहलाते हैं।
आहार शृंखला- एक पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा का एकपथीय प्रवाह उसमें स्थित शृंखलाबद्ध तरीके से जुड़े जीवों के द्वारा होता है। जीवों की इस शृंखला को आहार शृंखला कहते हैं।
कुछ सामान्य आहार शृंखला निम्नलिखित हैं-
घास → ग्रासहॉपर → मेढ़क → सर्प → गिद्ध
शैवाल → छोटे जंतु → छोटी मछली → बड़ी मछली → मांसाहारी पक्षी
घास → हिरण → बाघ
अपशिष्ट- प्रतिदिन अपने कार्यकलापों से उत्पन्न अनावश्यक पदार्थों को हम जहाँ-तहाँ फेंक देते हैं। इन्हीं अनावश्यक पदार्थों को अपशिष्ट कहते हैं।
इन अपशिष्ट पदार्थों को दो समूहों में बाँटा जा सकता है-1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट और 2. अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट
1. जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट- ऐसे अवांछित पदार्थ, जिन्हें जैविक अपघटन के द्वारा पुनः उपयोग में आनेवाले पदार्थों में बदल दिया जाता है, जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जैसे- जंतुओं के मल-मूत्र, कृषि द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट, कागज, कपास से निर्मित कपड़े, जंतुओं और पेड़-पौधों के मृत शरीर आदि।
2. अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट- प्रदूषण के ऐसे कारक जिनका जैविक अपघटन नहीं हो पाता है तथा जो अपने स्वरूप को हमेशा बनाए रखते हैं, अर्थात प्राकृतिक विधियों द्वारा नष्ट नहीं होते हैं, अजैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट कहलाते हैं। जैसे- कीटनाशक एवं पीड़कनाशक, शीशा, ऐलुमिनियम, प्लैस्टिक आदि।
आजोन परत एवं ओजोन अवक्षय
ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से बना ओजोन का एक स्तर वायुमंडल से 15 km से लेकर लगभग 50 km ऊँचाईवाले क्षेत्र के बीच पाया जाता है। यह सूर्य के प्रकाश में उपस्थित हानिकारक पराबैंगनी किरणों का अवशोषण कर लेता है जो मनुष्य में त्वचा-कैंसर, मोतियाबिंद तथा अनेक प्रकार के उत्परिवर्तन को जन्म देती है।
1980 के बाद ओजोन स्तर में तीव्रता से गिरावट आई है। अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन के स्तर में इतनी कमी आई है कि इसे ओजोन छिद्र की संज्ञा दी गई है। ओजोन छिद्र का मुख्य कारण क्लारोफ्लोरोकार्बन का व्यापक उपयोग का होना है।
क्लारोफ्लोरोकार्बन का व्यापक उपयोग एयरकंडीशनों, रेफ्रिजरेटरों, शीतलकों, जेट इंजनों, अग्निशामक उपकरणों आदि में होता है।
- हरे पौधे उत्पादक कहलाते हैं।
- पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एकदिशीय होता है।
- ओजोन परत वायुमंडल के ऊपरी सतह में पाया जाता है।
- ओजोन परत हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है।
- प्रकृति में पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत सूर्य है।
- डी० डी० टी० जैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ है।
- ओजोन के एक अणु में तीन परमाणु होते हैं।
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( पृष्ठ: 289 )
पाठ में दिए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय ?
उत्तर – पृथ्वी पर बहुत सारे पदार्थ हैं, जिनमें कुछ पदार्थों के ऊपर सूक्ष्म जीव प्रभावित होकर सरल पदार्थों में बदल देते हैं, जिन्हें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहते हैं । कुछ पदार्थों के ऊपर सूक्ष्म जीव का प्रभाव नहीं पड़ता है । वे अपघटित नहीं होते हैं । उन्हें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ कहते हैं ।
प्रश्न 2. ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं ।
उत्तर—जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को दो तरीकों से प्रभावित करते हैं :
(i) ये पदार्थ अपघटित होकर विषैले पदार्थ का निर्माण करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता है ।
(ii) ये पदार्थ अपघटित होकर कुछ ऐसी हानिकारक गैसों का निर्माण करते हैं । इससे बहुत दुर्गन्ध फैलता है ।
प्रश्न 3. ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं ।
उत्तर — पहला तरीका यह है कि अजैव पदार्थ अपघटित नहीं होते हैं । ये लंबे समय तक पर्यावरण को प्रदूषित करते रहते हैं । दूसरा तरीका है कि अजैव पदार्थ से भूमि तथा प्रदूषित होता है। इस प्रकार अजैव अनिम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं ।
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(पृष्ठ : 294 )
प्रश्न 1. पोपी स्तर क्या है ? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोपी स्तर बताइए ।
उत्तर—किसी खाद्य शृंखला के विभिन्न चरणों को पोपी स्तर कहते हैं । जैसे :
घास – हिरण- शेर (बाघ) ।
इस आहार श्रृंखला में विभिन्न पोषी स्तर हैं :
(i) पहला पोपी स्तर घास है जो उत्पादक कहलाता है ।
(ii) दूसरा पोपी स्तर हिरण है । यह शाकाहारी है ।
(iii) तीसरा पोपी स्तर शेर है । यह मांसाहारी है ।
प्रश्न 2. पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है ?
उत्तर—अपमार्जक का प्रयोग कपड़ों की सफाई के लिए किया जाता है। जब इसका प्रयोग जैव निम्नीकरणीय पदार्थों पर करते हैं तो उन पदार्थों को यह सरल पदार्थों में तोड़ देता है । इस प्रकार यह वातावरण को संतुलित रखने का काम करता है ।
(पृष्ठ : 296 )
प्रश्न 1. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है ?
उत्तर – ओजोन गैस का एक आवरण है जो पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेता है और उन्हें पृथ्वी पर नहीं पहुँचने देता। यह ऑक्सीजन के एक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है। इसका निर्माण ऑक्सीजन के तीन अणुओं की सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा बनती है ।
इस प्रकार यह पारितंत्र को नष्ट होने से बचाती है । कारण कि पराबैंगनी विकिरण हमारे लिए काफी हानिकारक है । यह विकिरण मानव में त्वचा का कैंसर उत्पन्न करती है।
प्रश्न 2. आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं ? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर— (i) हमें अधिक-से-अधिक जैव निम्नीकरणीय पदार्थों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि सरल तरीकों द्वारा इसे खाद में बदला जा सकता है ।
(ii) अजैव निम्नीकरणीय पदार्थों के अपशिष्टों को पुनःचक्रण के लिए फैक्ट्री में भेजवा देना चाहिए ।
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अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. निम्न में से कौन-से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं :
(a) घास, पुष्प तथा चमड़ा
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास
उत्तर—(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस ।
प्रश्न 2. निम्न से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं :
(a) घास, गेहूँ तथा आम (b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी (d) घास, मछली तथा बकरी
उत्तर- (b) घास, बकरी तथा मानव ।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से कौन पर्यावरण मित्र व्यवहार कहलाते हैं :
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट तथा पंखे का स्विच बंद करना
(c) माँ द्वारा तुम्हें स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के बजाय विद्यालय तक पैदल जाना
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी ।
प्रश्न 4. क्या होगा यदि हम एक पोपी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें) ?
उत्तर—खाद्य श्रृंखला के सभी पोषी स्तरों के जीव भोजन के लिए एक-दूसरे पर आश्रित रहते हैं । यदि एक पोपी स्तर के सभी जीवों को मार दिया जाएगा तो खाद्य- श्रृंखला नष्ट हो जायगी। उसके बादवाले जीव भोजन की कमी से परेशान हो जाएँगे । वे अन्य स्रोतों का सहारा लेने लगेंगे, जिससे पारितंत्र के बिगड़ने का खतरा उपस्थित हो जाएगा ।
प्रश्न 5. क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग-अलग होगा ? क्या किसी पोपी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना संभव है ?
उत्तर— नहीं, किसी पोपी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न-भिन्न पोपी स्तरों के लिये अलग-अलग नहीं होगा । यह सभी पर समान प्रभाव डालेगा । अतः, किसी पोपी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किये बिना हटाना संभव नहीं है। इससे पारितंत्र में असंतुलन पैदा हो जायेगा ।
प्रश्न 6. जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है ? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा ?
उत्तर—हानिकारक रसायनों का भंडारण, उनका जैव शृंखला में प्रवेश तथा उच्च पोपी स्तरों में इनका सांद्रण जैविक आवर्धन (Biological Magnification) कहलाता है । इस आवर्धन का स्तर अलग-अलग पोषी स्तरों पर अलग-अलग होगा । जैसे :
डी.डी.टी. – जल – शैवाल – मछली
प्रश्न 7. हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर—अजैव निम्नीकरणीय कचरे नष्ट नहीं होते हैं, जिस कारण बहुत-सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। जैसे :
(i) ये जल को प्रदूपित करते हैं जो पीने लायक नहीं रह जाता ।
(ii) ये नालियों में पानी के प्रवाह को रोकते हैं
(iii) ये वायुमंडल को विषैला बनाते हैं ।
(iv) ये भूमि को प्रदूषित करते हैं जिससे भूमि किसी काम लायक नहीं रह जाती ।
प्रश्न 8. यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ?
उत्तर – जैविक निम्नीकरणीय अपशिष्ट पदार्थ ज्यादा समय तक नहीं रहते हैं । कुछ तो वातावरण से प्रभावित होते हैं, लेकिन कम समय में ही इनका अपघटन हो जाता है। अपघटित पदार्थ को खाद में बदला जा सकता है, जो पौधों के लिए लाभदायक होगा।
प्रश्न 9. ओज़ोन परत की क्षति हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है । इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं ?
उत्तर – सूर्य से आनेवाली पराबैंगनी किरणें जब पृथ्वी पर आयेंगी तो निम्नलिखित हानिकारक प्रभाव पड़ेगा :
शरीर के त्वचा पर पड़ने से कैंसर रोग होगा । सूक्ष्म जीव तथा अपघटक मर जाएँगे । इससे पारितंत्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाएगा। पौधों में वृद्धि दर कम हो जाएगी एवं पौधों के पिगमेंट नष्ट हो जाएँगे। इसलिए ओजोन परत की क्षति हमारे लिये चिंता का विपय है ।
ओजोन परत की क्षति कम करने का उपाय निम्नलिखित हो सकता है :
(i) नाभिकीय विस्फोटों पर नियंत्रण रखना ।
(ii) सुपरसोनिक विमानों का कम-से-कम उपयोग करना ।
(iii) एरोसॉल तथा क्लोरोफ्लोरोकार्बन यौगिक का कम-से-कम उपयोग करना ।
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