BSEB Class 10th Science Chapter 9 आनुवंशिकता तथा जैव विकास | Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के विज्ञान के पाठ 9 आनुवंशिकता तथा जैव विकास (Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions) को पढ़ेंगे। 

Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

आनुवंशिकता तथा जैव विकास

प्रत्येक जीव अपने जैसे संतानों की उत्पत्ति करते हैं, जो  मूल संरचना और आकार में अपने जनकों के समान होते हैं। जीवों के मूल लक्षण पीढ़ी-दर-पीढ़ी संतानों में संचरित होते रहते हैं, जिससे विभिन्न जातियों का अस्तित्व कायम रहता है। जैसे- मटर के बीज से मटर का पौधा उत्पन्न होता है। कबुतर के अंडा से कबुतर पैदा होते हैं।
प्रत्येक जीव अपने ही जनकों से कुछ भिन्न अवश्य होते हैं, जिसे विभिन्नता कहा जाता है।

विभिन्नता- जीव के ऐसे गुण हैं जो उसे अपने जनकों अथवा अपनी ही जाति के अन्य सदस्यों के उसी गुण के मूल स्वरूप से भिन्नता को दर्शाते हैं।

विभिन्नताएँ दो प्रकार की होती हैं- जननिक तथा कायिक विभिन्नता

1. जननिक विभिन्नता- ऐसी विभिन्नताएँ जनन कोशिकाओं में होनेवाले परिवर्तन (जैसे इनके क्रोमोसोम की संख्या या संरचना में परिवर्तन, जीन के गुणों में परिवर्तन) के कारण होती हैं। उसे जननिक विभिन्नता कहते हैं। ऐसी विभिन्नताएँ एक पीढी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होती है। इस कारण से जननिक विभिन्नता को कायिक विभिन्नता कहते हैं। जैसे- आँख एवं बालों का रंग, शारीरिक गठन, शरीर की लंबाई आदि।
2. कायिक विभिन्नता- ऐसी विभिन्नताएँ जो जलवायु एवं वातावरण के प्रभाव, उपलब्ध भोजन के प्रकार, अन्य उपस्थित जीवों के साथ व्यवहार इत्यादि के कारण होती है, उसे कायिक विभिन्नता कहते हैं।

आनुवंशिक गुण- ऐसे गुण जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी माता-पिता, अर्थात जनकों से उनके संतानों में संचरित होते रहते हैं। ऐसे गुणों को आनुवंशिक गुण या पैतृक गुण कहते हैं।
आनुवंशिकता- एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीवों के मूल गुणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है।

अर्थात

जनकों से उनके संतानों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी युग्मकों के माध्यम से पैतृक गुणों का संचरण आनुवंशिकता कहलाता है।
आनुवंशिकी या जेनेटिक्स- जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें आनुवंशिकता एवं विभिन्नता का अध्ययन किया जाता है, उसे आनुवंशिकी या जेनेटिक्स कहते हैं।
मेंडल के आनुवंशिकता के नियम- मेंडल को आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है।

मेंडल ने अपने प्रयोग के लिए बगीचे में उगनेवाले साधारण मटर के पौधों का चयन किया। मटर के पौधों का गुण स्पष्ट तथा विपरित लक्षणों वाले होते हैं। जैसे लंबा पौधा तथा बौना पौधा।
अपने प्रयोग में मेंडल ने विपरित लक्षण वाले गुण जैसे लंबे तथा बौने पौधे पर विचार किया। अपने प्रयोग में मेंडल ने एक बौने पौधे के सारे फुलों को खोलकर उनके पुंकेसर हटा दिए ताकि उनमें स्व-परागण न हो सकें। फिर, उन्होंने एक लंबे पौधे के फूलों को खोलकर उनके परागकणों को निकालकर बौने पौधे के फूलों के वर्तिकाग्रों पर गिरा दिया। विपरित गुणवाले इन दोनों जनक पौधों को मेंडल ने जनक पीढ़ी कहा तथा इन्हें च् अक्षर से इंगित किया।
इस प्रकार के परागण के बाद जो बीज बने उनसे उत्पन्न सारे पौधे लंबे नस्ल के हुए। इस पीढ़ी के पौधों को मेंडल ने प्रथम संतति कहा तथा इन्हें F1 अक्षर से इंगित किया। F1पीढ़ी के पौधों में दोनों जनक पौधों (P) के गुण (अर्थात लंबा तथा बौना) मौजुद था। चूँकि लंबेपनवाला गुण बौनेपन पर अधिक प्रभावी था। अतः बौनेपन का गुण मौजूद होने के बावजूद पौधे लंबे ही हुए। प्रभावी गुण जैसे लंबाई को मेंडल ने T तथा इसके विपरित लक्षण (बौनापन) जो अप्रभावी है, को उन्होंने t अक्षर से इंगित किया। F1पीढ़ी के सभी पौधे लंबे हुए।
थ् F1 पीढ़ी के पौधे का जब आपस में प्रजनन कराया गया तब अगली पीढ़ी के पौधों में लंबे और बौने पौधों का अनुपात 3 : 1 पाया गया, अर्थात कुल पौधों में से 75% पौधे लंबे तथा 25% पौधे बौने हुए। 25% पौधे शुद्ध लंबे तथा शेष 50% पौधे शंकर नस्ल के हुए। अर्थात शंकर नस्ल के लंबे पौधे के प्रभावी गुण तथा अप्रभावी गुण के मिश्रण थे। इस आधार पर F2 पीढ़ी के पौधे के अनुपात को 1 : 2 : 1 से दर्शाया गया।
इस प्रकार मेंडल ने पाया कि जीवों में आनुवंशिक गुण पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती रहती है।

लिंग-निर्धारण- लैंगिक प्रजनन में नर युग्मक तथा मादा युग्मक के संयोजन से युग्मनज बनता है जो विकसित होकर अपने जनकों जैसा नर या मादा जीव बन जाता है। जीवों में लिंग का निर्धारण क्रोमोसोम के द्वारा ही होता है।
मनुष्य में 23 जोड़े क्रोमोसोम होते हैं। इनमें 22 जोड़े  क्रोमोसोम एक ही प्रकार के होते हैं, जिसे ऑटोसोम कहते हैं। तेईसवाँ जोड़ा भिन्न आकार का होता है, जिसे लिंग-क्रोमोसोम कहते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं-Xऔर Y नर में X और Yदोनों लिंग-क्रोमोसोम मौजूद होते हैं, लेकिन मादा में केवल दोनों ही X क्रोमोसोम होता है।
X और Y क्रोमोसोम ही मनुष्य में लिंग-निर्धारण करते हैं।

जैव विकास- पृथ्वी पर विद्यमान जटिल प्राणिओं का विकास प्रारंभ में पाए जानेवाले सरल प्राणिओं में परिस्थिति और वातावरण के अनुसार होनेवाले परिवर्तनों के कारण हुआ। सजीव जगत में होनेवाले इस परिवर्तन को जैव विकास कहते हैं।
समजात अंग- ऐसे अंग जो संरचना एवं उत्पति के दृष्टिकोण से एक समान होते हैं, परन्तु वातावरण के अनुसार अलग-अलग कार्यों का संपादन करते हैं। ऐसे अंग समजात अंग कहलाते हैं। जैसे- मेढ़क, पक्षी, मनुष्य, बिल्ली के अग्रपाद आदि।
असमजात अंग- ऐसे अंग जो रचना और उत्पत्ति के दृष्टिकोण से एक-दूसरे से भिन्न होते हैं, परन्तु वे एक ही प्रकार के कार्य करते हैं। ऐसे अंग असमजात अंग कहलाते हैं। जैसे- तितली तथा पक्षी के पंख उड़ने का कार्य करते हैं, लेकिन इनकी मूल संरचना और उत्पत्ति अलग-अलग प्रकार की होती है।

जीवाश्म तथा जीवाश्मविज्ञान- प्राचीनकाल में ऐसे कई जीव पृथ्वी पर उपस्थित थे, जो बाद में समाप्त या विलुप्त हो गए। वर्तमान समय में वे नहीं पाए जाते हैं। वैसे अनेक जीवों के अवशेष के चिन्ह पृथ्वी के चट्टानों पर पाए गए हैं। जिसे जिवाश्म कहते हैं। पत्थरों पर ऐसे जीवों के अवशेषों का अध्ययन जीवाश्मविज्ञान कहलाता है।
जीवाश्म की आयु ज्ञात करने की वैज्ञानिक विधि को रेडियोकार्बन काल-निर्धारण कहते हैं।

  • आनुवंशिकी का पिता ग्रेगर जॉन मेंडल को कहा जाता है।
  • ‘द ओरिजिन ऑफ स्पेशीज पुस्तक‘ डार्विन ने लिखी है।
  • ‘जीन‘ शब्द जोहान्सन ने प्रस्तुत किया।
  • एपेन्डिक्स एक अवशेषी अंग है।
  • वंशागत नियमों का प्रतिपादन ग्रेगर जॉन मेंडल ने किया।
  • मेंडल ने अपने प्रयोग के लिए मटर के पौधे को चुना।
  • मानव शरीर के किसी सामान्य कोशिका में 23 जोड़े क्रोमोसोम होते हैं।
  • विकासीय दृष्टिकोण से हमारी सबसे अधिक समानता चिम्पैंजी से है।
  • कीटों के पंख और चमगादड़ के पंख समजात अंग के उदाहरण है।

Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

 (पृष्ठ : 157)

पाठ में दिए गए प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. यदि एक लक्षण अलैंगिक प्रजननवाली समदिष्ट के 10% सदस्यों में पाया जाता है तथा लक्षण B’ उसी समष्टि में 60% जीवों में पाया जाता है, तो कौन-सा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा ।
उत्तर – पहली पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में कुछ नई विभिन्नताएँ पायी जाती हैं । इसलिए लक्षण A पहले उत्पन्न हुआ होगा । यदि ये नई विभिन्नताएँ वातावरण के अनुकूल होती हैं तो उनकी संख्या समष्टि में बढ़ जाता है ।

प्रश्न 2. विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है ?
उत्तर – किसी स्पीशीज में इन सभी विभिन्नताओं के साथ अपने अस्तित्व में रहने की सम्भावना एक समान है। प्रकृति की विविधता के आधार पर विभिन्न जीवों को विभिन्न प्रकार के लाभ हो सकते हैं । ऊष्णता को सहन करने की क्षमतावाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की संभावना अधिक होती है । पर्यावरण कारकों द्वारा उत्तम परिवर्तन का चयन जैव विकास प्रक्रम का आधार बनाता है ।

( पृष्ठ : 161 )

प्रश्न 1. मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षणं प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं ?
उत्तर — मंडल ने दो मटर के पौधे चुने । इनमें से एक, जो मटर के लम्बे पौधे पैदा करते थे तथा दूसरा जो बौने पौधे उत्पन्न करते थे। मंडल ने दोनों पौधों का संकरण कराया, तो प्रथम संतति पीढ़ी (F) में सभी मटर के पौधे लम्बे उगे । इसका मतलब यह है कि लम्बाई का लक्षण F, पीढ़ी संतति में दिखाई दिया और बौनेपन का नहीं । मंडल ने F पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया तो F, पीढ़ी में दोनों लक्षण दिखाई दिए। अर्थात् लम्बे पौधे भी और बौने पौधे भी ( 3 : 1 अनुपात में ) प्राप्त हुए । इसका मतलब यह है कि लम्बे होने का लक्षण प्रभावी तथा बौना होने का गुण अप्रभावी होता है ।
यह संकेत देता है कि F, पौधों द्वारा लम्बाई एवं बौने दोनों के विकल्पी गुण की वंशानुगति हुई । F, पीढ़ी में लम्बाईवाला विकल्प अपने आपको सूचित करता है। लम्बाईवाला विकल्प प्रभावी है तथा बौनेपन का विकल्प अप्रभावी है ।

प्रश्न 2. मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं ?
उत्तर – मंडल ने जब मटर के पौधे में एक विकल्पी जोड़े के स्थान पर दो विकल्पी जोड़ों का अध्ययन करने के लिए संकरण कराया। गोल बीजवाले लम्बे पौधों का यदि झुर्रीदार बीजोंवाले बौने पौधे से संकरण कराया गया तो F, पीढ़ी के सभी पौधे लम्बे एवं गोलवाले लक्षण के हुए। अतः लम्बाई तथा गोल बीज प्रभावी लक्षण हैं ।
Fq पीढ़ी के पौधों का स्वपरागण करने पर :

                                                          अनुपात
(i) गोल बीजवाले लम्बे पौधे                           9
(ii) गोल बीजवाले बौने पौधे                           3
(iii) झुर्रीदार बीजवाले लम्बे पौधे                    3
(iv) झुर्रीदार बीजवाले बौने पौधे                      1

झुर्रीदार बीजवाले लम्बे पौधे तथा गोल बीजवाले बौने पौधे नये संयोजन प्रदर्शित करते हैं इससे साबित होता है कि विभिन्न विकल्पी लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगति करते हैं । इसे F, पीढ़ी की संतति कहा जा सकता है ।

प्रश्न 3. एक ‘A – रुधिर वर्गचाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग ‘0’ है, से विवाह करता है । उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग ‘0’ है । क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कौन-सा विकल्प लक्षण- रुधिर वर्ग ‘A’ अथवा ‘0’ प्रभावी लक्षण हैं ? अपने उत्तर का स्पष्टीकरण दीजिए ।
उत्तर यह सूचना पर्याप्त नहीं है क्योंकि इस सूचना से इस बात का पता नहीं चलता है कि पिता में AA जीन है या AO जीन है। पहले के आधार पर हम कह सकते हैं कि A लक्षण अधिक प्रभावी है तथा पिता में AO को जोड़ा होगा और माता में 00 होगा जबकि OO जीन पुत्री में होगा ।

 ( पृष्ठ : 165 )

प्रश्न 1. वे कौन-से विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण चाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है ।
उत्तर  एक विशेषण लक्षणवाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में निम्नलिखित तरीकों द्वारा बढ़ सकती है :
(i) प्रथम स्थिति में जनन के दौरान एक रंग की विभिन्नता का उद्भव हो सकता है, जिससे समष्टि में लाल के बजाय एक हरा भृंग दिखाई देता है । हरा भृंग अपना रंग अपनी संतान को आहरित करता है, जिसके कारण इनकी सारी संतति का रंग हरा रोगा। कौए हरी पत्तियों की झाड़ियों में हरे भृंग नहीं देख पाते हैं, उन्हें वे नहीं खा पाते हैं। जबकि लाल भृंग की संतति लगातार शिकार होती रहती है । फलस्वरूप, भृंगों की समष्टि में लाल भृंगों की अपेक्षा हरे भृंगों की संख्या बढ़ती जाती है । दूसरी स्थिति में जनन के समय एक रंग की विभिन्नता का उद्भव होता है । लेकिन इस समय भृंग का रंग लाल के स्थान पर नीला है । यह भृंग भी अपना रंग अपनी पीढ़ी के वंशानुगत कर सकता है। कौऐ नीले और लाल भृंगों को हरी पत्तियों में पहचान कर उन्हें खा सकते हैं। समष्टि का आकार ‘जैसे-जैसे बढ़ता है, उसमें बहुत कम नीले भृंग हैं। लेकिन इस स्थिति में एक हाथी वहाँ आता है तथा उन्हें रौद देता है, जिसमें ये भृंग पाये जाते हैं । संयोगवश नीले भृंग बच जाते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते जाते हैं ।

प्रश्न 2. एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते । क्यों ?
उत्तर—एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण का प्रभाव कायिक ऊतकों पर पड़ता हैं, लेकिन अर्जित लक्षण अनुभव का जनन कोशिकाओं के D.N.A. पर नहीं निर्भर करता । इसलिए ये लक्षण वंशानुगत नहीं होते हैं ।

प्रश्न 3. बाधों की संख्या में कमी आनुवंशिकता के दृष्टिकोण से चिंता का विषय क्यों है ?
उत्तर (i) बाघों की संख्या में कमी प्राकृतिक चयन के कारण है। उनमें अच्छे किस्म उत्पन्न नहीं हो रहे हैं जिसके कारण समष्टि का आकार नहीं बढ़ पाता है ।
(ii) समष्टि पर दुर्घटना का प्रभाव अधिक होने के कारण जीन प्रभावित हो जाता है। उनके उत्तरजीविता के कारण लाभ नहीं हो पाता है । इन कारणों से बाधों की प्रजाति लुप्त भी हो सकती है।

Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

( पृष्ठ : 166 )

प्रश्न 1. वे कौन-से कारक हैं जो नयी स्पीशीज के उद्भव में सहायक हैं ?
उत्तर नयी स्पीशीज के उद्भव में निम्नलिखित कारक सहायक होते हैं ।
(i) प्राकृतिक चयन, (ii) आनुवंशिक विचलन, (iii) जीन प्रवाह का न होना या उसकी बहुत कमी होना, (iv) D.N.A. जैसे गुणसूत्रों की संख्या में परिवर्तन, जिससे कि दो समष्टियों के सदस्यों की जनन कोशिकाएँ संलयन नहीं कर पातीं, (v) दो उपसमष्टियों का पूर्णरूपेण अलग होना, जिससे उनके सदस्य परस्पर लैंगिक प्रजनन नहीं कर पाते ।

प्रश्न 2. क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति- उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है ? क्यों या क्यों नहीं ?
उत्तर – नई स्पीशीज का उद्भव तब होता है जब एक समष्टि की दो उपसमष्टियाँ परस्पर लैंगिक जनन न कर पाएँ । लैंगिक जनन में D.N.A में आनुवंशिक विचलन एवं प्राकृतिक वरण एवं भौगोलिक पृथक्करण के कारण एक उपसमष्टि दूसरी उपसमष्टि से भिन्न होती है । इसलिए एक नई स्पीशीज का उद्भव होता है ।
स्वपरागत स्पीशीज में अन्य जीवों से नये जीव समष्टि में नहीं आ पाते हैं । अतः, आनेवाली पीढ़ियों में नये-नये संगठन नहीं हो पाते और अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं हो पातीं। ऐसे पौधों में विभिन्नता केवल D.N.A. प्रतिकृति के समय त्रुटि के कारण D.N.. में परिवर्तन आ जाये, जिसकी संभावना बहुत कम होती है । अतः, भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता है ।

प्रश्न 3. क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जननवाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तरभौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता है, क्योंकि अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतति में परस्पर बहुत कम अन्तर होता है, परंतु समानता बहुत अधिक होती है । जो थोड़ी-बहुत विविधता होती भी है वह D.N.A. प्रतिकृति के समय न्यून त्रुटियों के कारण होती है। ये नई विभिन्नताएँ इतनी मुख्य नहीं हैं जिससे किसी नई जाति का उद्भव हो सके ।

Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

(पृष्ठ : 171 )

प्रश्न 1. उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज के विकासीय संबंध निर्धारण के लिए करते हैं ?
उत्तरसभी कशेरुकी जीवों में पादों की आधारभूत संरचना एक समान होती है । समजात अभिक्षण से भिन्न दिखाई देनेवाली विभिन्न स्पीशीज के बीच विकासीय सम्बन्ध की पहचान करने में सहायता मिलती है । जैसे मेढक, छिपकली, पक्षी तथा मनुष्य के अग्र पादों की आधारभूत संरचना एक समान है । यद्यपि विभिन्न कशेरुकी जीवों में भिन्न- भिन्न कार्य करने के लिए बदलाव होते रहता है ।

प्रश्न 2. क्या एक तितली और चमगादड़ के पंखों को समजात अंग कहा जा सकता है ? क्यों अथवा क्यों नहीं ?
उत्तर तितली और चमगादड़ के पंख समजात अंग नहीं होते हैं । वे समरूप अंग होते हैं, जो केवल उड़ने के काम आते हैं। चमगादड़ के पंख में अग्रपाद की अँगुली की हड्डियाँ होती हैं, जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं पायी जाती हैं ।

प्रश्न 3. जीवाश्म क्या हैं ? वे जैव-विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं ?
उत्तरजीव की मृत्यु के बाद उसके शरीर का अपघटन हो जाता है तथा वह समाप्त हो जाता है, परन्तु कभी-कभी जीव या उसके कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं, जिस कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता है । यदि कोई मृत कीट गर्म मिट्टी में सूखकर कठोर हो जाए तथा उस कीट के शरीर की छाप सुरक्षित रह जाए तो जीव के इस प्रकार के परिरक्षित अवशेष जीवाश्म कहलाते हैं
जीवाश्म से हमें जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातों की जानकारियाँ प्राप्त होती हैं :
(i) जो स्पीशीज कभी जीवित थे लेकिन अब लुप्त हो गये हैं ।
(ii) जीवाश्म कितने वर्षों पुराने हैं यह जीवाश्म में पाए जानेवाले किसी एक तत्त्व के विभिन्न समस्थानिकों के अनुपात के आधार पर (जीवाश्म का समय) निर्धारण किया जाता है।
(iii) यदि हम किसी स्थान की खुदाई करते हैं और एक गहराई तक खोदने के बाद हमें जीवाश्म मिलना प्रारम्भ हो जाता है तब ऐसी स्थिति में यह सोचना तर्क- संगत है कि पृथ्वी की सतह के निकटवाले जीवाश्म गहरे स्तर पर पाए गए. जीवाश्मों की अपेक्षा अधिक नए हैं।

Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

(पृष्ठ: 173 )

प्रश्न 1. क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंग-रूप में इतने भिन्न दिखाई पड़नेवाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ?
उत्तरआकृति, आकार, रंग रूप में भिन्न दिखाई पड़नेवाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं ।
(i) इसकी जानकारी जीवाश्म अध्ययन, D.N.A, उत्खनन तथा समय निर्धारण द्वारा प्राप्त होती है। इन सभी का उद्भव अफ्रीका से हुआ है, जहाँ से वे सारे संसार में फैल गए और उनमें धीरे-धीरे आकृति, रंग तथा रूप में विभिन्नता आती गई ।
(ii) किसी अन्य स्पीशीज के सदस्यों के साथ कोई अन्य स्पीशीज के सदस्य सफल लैंगिक प्रजनन नहीं कर पाते लेकिन मानव आकृति, आकार, रंग-रूप में भिन्न होते हुए भी परस्परं सफल लैंगिक प्रजनन कर सकते हैं। उनसे उत्पन्न संतति अपनी पीढ़ी बनाये रख सकती हैं। वे लोग परस्पर रक्त का आदान-प्रदान कर सकते हैं । अतः इतनी भिन्नता दिखाई देने के बावजूद, मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं

प्रश्न 2. विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर – जीवाणु, मछली, मकड़ी तथा चिम्पैंजी में शारीरिक अभिकल्प की जटिलता काफी ज्यादा है । चिम्पैंजी का शारीरिक डिजाइन, विकसित शारीरिक अंग, .का जीवाणु, मकड़ी और मछली से अधिक विकसित होना तथा हाथों में अँगूठे की अंगुलियों के विपरीत होना, जिससे वे चीजें पकड़ सकें। विकास की दृष्टि से अति उत्तम नहीं कहा जा सकता। क्योंकि सरलतम अभिकल्पवाले जीवाणु का समूह विभिन्न पर्यावरण में आज भी पाए जाते हैं। जैसे जीवाणु आज भी विषम पर्यावरण जैस ऊष्ण झरने, गहरे समुद्र के गर्भ स्रोत तथा अन्टार्कटिका की बर्फ में भी पाए जाते हैं । अर्थात् यह नहीं कहा जा सकता कि चिम्पैंजी का शारीरिक अभिकल्प अन्य से उत्तम है ।

Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर

प्रश्न 1. मेंडल के एक प्रयोग में लम्बे मटर के पौधे, जिनके बैंगनी पुष्प थे, संकरण वौने पौधों, जिनके सफेद पुष्प थे से कराया गया । उनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे । परन्तु आधे-आधे बौने थे । इससे कहा जा सकता है कि लम्बे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी :
(a) TTWW          (b) TTww      (c) TtWW         (d) TtWw

उत्तर – (c) TtWW

प्रश्न 2. समजात अंगों का उदाहरण है :
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद            (b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरि भूस्तारी              (d) उपर्युक्त सभी

उत्तर- (d) उपर्युक्त सभी ।

प्रश्न 3. विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है :
(a) चीन के विद्यार्थी                      (b) चिम्पैंजी
(c) मकड़ी                                   (d) जीवाणु

उत्तर- चीन के विद्यार्थी ।

प्रश्न 4. एक अध्ययन से पता चला कि हलके रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता-पिता) की आँखें भी हलके रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हलके रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी ? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए ।
उत्तर उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह नहीं कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग के लक्षण प्रभावी हैं या अप्रभावी हैं क्योंकि माता-पिता दोनों में ही आँखें हल्के रंग की हैं । यह हो सकता है कि माता-पिता में जीन के दोनों विकल्प अप्रभावी हों, इसलिए आँखों के रंग का दूसरा विकल्प है अथवा नहीं, संतान में हल्के रंग की आँखें पाई गई। दूसरी धारणा पर विचार करने से पता चलता है आँखों का हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है । इस अवस्था में कुछ बच्चों में आँखें गहरे रंग की होनी चाहिए। क्योंकि अप्रभावी लक्षण 4 में से 1 बच्चे में व्यक्त होना चाहिए ।

प्रश्न 5. जैव- विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन क्षेत्र किस प्रकार परस्पर‍ संबंधित है ?
उत्तरचूँकि पृथ्वी पर सरल जीवों से जटिल स्वरूपवाले जीवों का विकास हुआ वर्गीकरण का भी यही आधार है । जीवों के शरीर के डिजाइन के आधार पर ही उनको विभिन्न वर्गों में रखा गया है। इस प्रकार जैव विकास तथा वर्गीकरण का अध्ययन परस्पर सम्बन्धित है।

प्रश्न 6. समजात तथा समरूप अंगों को उदाहरण देकर समझाइए ।
उत्तर समजात अंग- समजात अग अलग-अलग स्पीशीज के जीवों में अलग- अलग काम करते हैं, लेकिन इनकी आधारभूत संरचना एक समान होती हैं । मनुष्य के • हाथ तथा पक्षी के पंख ये दोनों रूपान्तरित अग्र पाद हैं । इन अंगों को समजात अंग कहा जाता है ।
समरूप अंग – वैसे अंग जो अलग-अलग जीवों में एक समान काम करते हैं लेकिन इनकी आधारभूत संरचना एक समान नहीं होती है, समरूप अंग कहलाते हैं । जैसे कबूतर के पंख तथा तितली के पंख दोनों उड़ने का काम करते हैं, लेकिन कबूतर के पंख में हड्डियाँ पाई जाती है जबकि तितली के पंख में हड्डियाँ नहीं पाई जातीं।

प्रश्न 7. कुत्ते की खाल का प्रभावी रंग ज्ञात करने के उद्देश्य से एक प्रोजेक्ट बनाइए ।
उत्तर – सर्वप्रथम एक शुद्ध काली खालवाले कुत्ते (BB) तथा एक शुद्ध सफेद खालवाली कुत्तिया (WW) का चयन किया जाता है। समय पर उनका संकरण कराया जाता हैं । यदि उनमें उत्पन्न सभी पिल्ले (कुत्ते के बच्चे) काली खालवाले हैं तो काली खाल का लक्षण प्रभावी कहलाएगा।

प्रश्न 8. विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है ?
उत्तर—सामान्यत जीव की मृत्यु के बाद उसका अपघटन हो जाता है तथा वह समाप्त. हो जाता है। लेकिन कभी-कभी जीव के कुछ भाग ऐसे वातावरण में चले जाते हैं, जिनके कारण इनका अपघटन पूरी तरह से नहीं हो पाता । इस प्रकार जीवाश्म पुराने जीवों के अवशेष अथवा साँचे के अध्ययन से पता चलता कि अमुक जीव कब पाया जाता था और कब लुप्त हुआ । इसमें पहले या अब उसकी संरचना में क्या परिवर्तन हुआ था या हुआ है। इस प्रकार विकासीय संबंध स्थापित करने में जीवाश्म का बहुत महत्व है ।

प्रश्न 9. किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ?
उत्तरएक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे. बी. एस. हॉल्डेन ने 1929 में यह सुझाव दिया कि जीवों की सर्वप्रथम उत्पत्ति उन सरल अकार्बनिक अणुओं से ही हुई होगी जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे । उसने कल्पना की कि पृथ्वी पर उस समय का वातावरण पृथ्वी के वर्तमान वातावरण से सर्वथा भिन्न था। इस प्राथमिक वातावरण में सम्भवतः कुछ जटिल कार्बनिक अणुओं का संश्लेषण हुआ जो जीवन के लिए आवश्यक थे। सर्वप्रथम प्राथमिक जीव अन्य रासायनिक संश्लेषण द्वारा उत्पन्न हुए होंगे। यह कार्बनिक यौगिक किस प्रकार उत्पन्न हुए ? इसके उत्तर की परिकल्पना स्टेनले एल. मिलर तथा हेराल्ड सी. उरे द्वारा 1953 में किये गये प्रयोगों के आधार पर की जा सकती है । उन्होंने कृत्रिम रूप से ऐसे वातावरण का निर्माण किया जो सम्भवतः प्राथमिक/प्राचीन वातावरण के समय था। इसमें अमोनिया, मिथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे। परन्तु ऑक्सीज़न के पात्र में जल भी था । इस मिश्रण को 100°C से कुछ कम तापमान पर रखा गया। गैसों के मिश्रण में चिनगारियाँ उत्पन्न की गई, जैसे आकाश में बिजली । एक सप्ताह के बाद 15% कार्बन (मिथेन से) सरल कार्बनिक यौगिक में परिवर्तन हो गए । इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेपित हुआ जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण के लिए जरूरी है इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है ।

प्रश्न 10. अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करनेवाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है ?
उत्तर अलैंगिक जनन में केवल एक जीव जनन करता है । अतः संतति में विभिन्नता तभी आती है जब D.N.A. में कम त्रुटियाँ होती हैं । लैंगिक जनन में दो जनक होते हैं जो D.N.A. का एक-एक सेट संतति को प्रदान करते हैं। इससे संतति में भिन्न-भिन्न लक्षणों का समावेश होता है । अलैंगिक जनन से लैंगिक जनन में विविधता अपेक्षाकृत अधिक होती है । लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताओं में जीन के D.N.A. में परिवर्तन के कारण होती है । अतः ये स्थिर होती है और एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होती है । प्राकृतिक चयन के कारण वही विभिन्नताएँ प्रगति करती हैं, जो पर्यावरण वरण के अनुकूल हो ।

Anuvanshikta Tatha Jaiv Vikas Class 10th Solutions

Read More – click here
YouTube Video – click here

Leave a Comment