इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के विज्ञान के पाठ 3 धातु एवं अधातु (Dhatu evam Adhatu Class 10th Solutions) को पढ़ेंगे।
Chapter 3 धातु एवं अधातु
धातु– वैसे तत्त्व जो विद्युतधनात्मक, आघातवर्धनीय, तन्य, उष्मा तथा विद्युत का सुचालक, चमकीला और कठोर होते हैं, उसे धातु कहते हैं। जैसे- सोडियम, मैग्नीशियम, जिंक, लेड, कॉपर, ताँबा, सोना, ऐलुमिनियम आदि।
अधातु– वैसे तत्त्व जो विद्युतधनात्मक, आघातवर्धनीय, तन्य, उष्मा तथा विद्युत का सुचालक, चमकीला और कठोर नहीं होते हैं, उसे अधातु कहते हैं। जैसे- कार्बन, सल्फर, आयोडिन, क्लोरिन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।
धातुओं के भौतिक गुण–
1. धातुएँ विद्युत धनात्मक होती है।
2. धातुएँ आघातवर्धनीय होती हैं।
3. धातुएँ तन्य होती हैं।
4. धातुओं के द्रवनांक एवं क्वथनांक उच्च होते हैं।
5. धातुएँ विद्युत और ऊष्मा की सुचालक होती है।
6. धातुओं में एक विशेष प्रकार की चमक होती है।
7. धातुएँ कठोर होती है।
8. धातुओं को हथौड़े से पीटने पर एक विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है।
9. धातुएँ कमरे के ताप पर सामान्यतः ठोस होती है।
धातुओं के रासायनिक गुण– 1. सभी धातुएँ ऑक्सीजन के साथ संयोग करके ऑक्साइड बनाती है।
4Na + O2→ 2Na2O (सोडियम मोनोक्साइड)
2Mg + O2→2MgO (मैग्नीशियम मोनोक्साइड)
2. धातुएँ अम्लों के साथ अभिक्रिया करके प्रायः हाइड्रोजन गैस मुक्त करती है।
2Na + HCl→2NaCl + H2↑
अधातुओं के भौतिक गुण– 1. अधातुएँ सामान्य ताप पर, ब्रोमीन को छोड़कर, ठोस एवं गैस के रूप में पाई जाती है।
2. अधातुएँ प्रायः भंगुर होती है।
3. अधातुओं में प्रायः कोई विशेष चमक नहीं होती है।
4. अधातुएँ ऊष्मा और विद्युत की कुचालक होती है।
5. अधातुएँ मुलायम होती है।
6. हथौड़े से पीटने पर अधातुओं में कोई ध्वनि नहीं निकलती है।
7. हाइड्रोजन को छोड़कर सभी धातुएँ विद्युतऋणात्मक होती है।
अधातुओं के रासायनिक गुण– 1. अधातुएँ ऑक्सीजन के साथ संयोग करके अम्लीय ऑक्साइड बनाती है।
C + O2 → CO2
S + O2 → SO2
2. अधातुएँ जल के साथ अभिक्रिया नहीं करती हैं।
भौतिक गुणों के आधार पर धातु और अधातु में अंतर–
1. धातुओं में एक विशेष प्रकार की चमक होती है जबकि अधातुओं में ऐसी कोई चमक नहीं होती है। अपवाद- आयोडिन और ग्रैफाइट में धातुई चमक होती है।
2. धातुएँ प्रायः विद्युत धनात्मक होती है जबकि अधातुएँ प्रायः विद्युत ऋणात्मक होती है। सिर्फ हाइड्रोजन विद्युत धनात्मक होता है।
3. धातुएँ प्रायः ऊष्मा एवं विद्युत की सुचालक होती है जबकि अधातुएँ प्रायः ऊष्मा एवं विद्युत की कुचालक होती है। सिर्फ हाइड्रोजन एवं ग्रैफाइट विद्युत की सुचालक होती है।
4. साधारण ताप पर धातुएँ प्रायः ठोस होती है। सिर्फ मरकरी (पारा) ही ऐसी धातु है जो साधारण ताप पर द्रव होती है। जबकि अधातुएँ साधारण ताप पर ठोस या गैस होती है।सिर्फ ब्रोमीन साधारण ताप पर द्रव होती है।
5. धातुएँ आघातवर्धनीय तथा तन्य होती है जबकि अधातुएँ आघातवर्धनीय तथा तन्य नहीं होती हैं। अपवाद- प्लास्टिक गंधक तन्य होता है।
6. धातुओं के घनत्व उच्च होते हैं जबकि अधातुओं के घनत्व निम्न होते हैं।
7. हथौड़े से पीटने पर धातुओं से एक विशेष प्रकार की ध्वनि निकलती है जबकि अधातुओं को हथौड़े से पीटने पर टूट कर चूर हो जाती हैं।
रासायनिक गुणों के आधार पर धातु और अधातु में अंतर–
1. धातुओं के परमाणु धनायन बनाते हैं, जैसे- K+, Na+, Ca2+ आदि। जबकि अधातुओं के परमाणु ऋणायन बनाते हैं। जैसे- Cl– , Br– , S2- आदि।
2. धातुओं के ऑक्साइड भास्मिक होते हैं
CaO + H2O→ Ca (OH) 2
जबकि अधातुओं के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं। ये जल से अभिक्रिया करके अम्ल बनाते हैं।
CO2 + H2O→ H2CO3
रासायनिक बंधन– वह रासायनिक बल जो किसी अणु में परमाणुओं को एकसाथ बाँधकर रखता है, रासायनिक बंधन कहलाता है।
रासायनिक बंधन के प्रकार–
1. वैद्युत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन
2. सहसंयोजक बंधन
1. वैद्युत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन–दो परमाणुओं के बीच एक परमाणु से दूसरे परमाणु में एक या अधिक इलेक्ट्रॉनों के स्थानांतरण के फलस्वरूप बने रासायनिक बंधन को वैद्युत संयोजक बंधन या आयनिक बंधन कहते हैं। इसक ध्रुवीय बंधन भी कहते हैं।
जैसे- सोडियम क्लोराइड का बनना
Na+ + Cl–→ Na+ Cl–
वैद्युत संयोजकता– किसी तत्त्व के परमाणु के आयन में परिवर्तित होने के लिए त्यक्त या प्राप्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या उस तत्त्व की वैद्युत संयोजकता कहलाती है। जैसे- सोडियम क्लोराइड के बनने में सोडियम परमाणु एक इलेक्ट्रॉन का त्याग और क्लोरिन का परमाणु एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त करता हैं। अतः सोडियम की वैद्युत संयोजकता +1 और क्लोरीन की वैद्युत संयोजकता -1 होती है। इसी प्रकार Mg,Caऔर O की संयोजकता +2 होती है।
सहसंयोजक बंधन–जब दो परमाणु आपस में इलेक्ट्रॉनों का साझा करके अपना अष्टक पूरा करते हैं तब उनके बीच बना हुआ रासायनिक बंधन सहसंयोजक बंधन कहलाता है।
सहसंयोजक बंधन तीन प्रकार के होते हैं।
1. एकल सहसंयोजक बंधन
2. द्विक सहसंयोजक बंधन
3. त्रिक सहसंयोजक बंधन
1. एकल सहसंयोजक बंधन–जब दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉनों के सिर्फ एक युग्म साझा होता है तब उनके बीच बने बंधन को एकल सहसंयोजक बंधन कहते हैं।
हाइड्रोजन अणु का बनना
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मेथेन अणु का बनना
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2. द्विक सहसंयोजक बंधन–जब संयोग करने वाले दोनों परमाणु दो-दो इलेक्ट्रॉनों का साझा करते हैं तब उनके बीच बने बंधन को द्विक सहसंयोजक बंधन कहते हैं।
कार्बन डाइऑक्साइड का बनना–
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ऑक्सीजन का बनना–
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त्रिक सहसंयोजक बंधन या त्रिबंधन– जब संयोग करनेवाले दो परमाणु तीन-तीन इलेक्ट्रॉनों का साझा करते है तब उन परमाणुओं के बीच बने बंधन को त्रिक सहसंयोजक बंधन कहते हैं।
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खनिज– पृथ्वी की परत में विद्यमान धातुयुक्त ठोस पदार्थ (तत्त्व या यौगिक) खनिज कहलाते हैं।
जैसे- प्रकृति में पाए जानेवाले सोडियम क्लोराइड(NaCl), कैल्सियम कार्बोनेट (CaCO3) आदि खनिज है।
अयस्क– जिस खनिज में प्रचुर मात्रा में धातु विद्यमान हो तथा जिससे कम खर्च में ही एवं सरलता से धातु प्राप्त की जा सके, उसे अयस्क कहते हैं।
जैसे- बॉक्साइड (Al2O3 . 2H2O) और मिट्टी (Al2O3 . 2SiO2 . 2H2O) दोनों ऐल्युमिनियम के खनिज हैं।
धातुकर्म– अयस्कों से धातुओं के निष्कर्षण एवं उनके शोधन की प्रक्रिया धातुकर्म कहलाती है।
गैंग– अयस्कों में उपस्थित अवांछनीय पदार्थ जैसे बालू, कंकड़ या मिट्टी के टुकड़े आदि को गैंग कहते हैं।
अयस्क का सान्द्रण– अयस्क में विद्यमान अपद्रव्यों को दूर करना अयस्क का सांद्रण कहलाता है।
निस्तापन– अयस्क को उच्च ताप पर वायु की अनुपस्थिति या अपर्याप्त आपूर्ति में उसके द्रवणांक से कम ताप पर धातु को ऑक्साइड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया निस्तापन कहलाती है।
भर्जन– सल्फाइड अयस्कों को वायु की पर्याप्त आपूर्ति की स्थिति में तीव्रता से गर्म करके धातु को ऑक्साइड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं।
गालक– गालक वह पदार्थ है जिसे निस्तापित या भर्जित अयस्क एवं कोक के साथ मिश्रित कर मिश्रण को गर्म किया जाता है।
धातुमल– द्रावक अयस्क में उपस्थित अद्रवणशील अपद्रव्यों के साथ संयोग करके उन्हें द्रवणशील पदार्थ में परिवर्तित कर देता है, जिसे धातुमल कहते हैं।
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Metals and non-metals in Science
प्रगलन– धातु के ऑक्साइड को कोक के साथ गर्म करके उसे धातु में परिवर्तित करने की प्रक्रिया प्रगलन कहलाती है।
जस्ता या जिंक के प्रमुख अयस्क–
1. जिंक ब्लेंड (ZnS)
2. कैलेमाइन (ZnCO3)
3. जिंकाइट (ZnO)
पारा का प्रमुख अयस्क सिनेबार है।
ऐलुमिनियम के प्रमुख अयस्क हैं–
1. बॉक्साइट (Al2O3. 2H2O)
2. कोरंडम (Al2O3)
3. क्रायोलाइट (Na3AlF6)
संक्षारण– धातु की सतह पर वायु के ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प, सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन सल्फाइड आदि की अभिक्रिया के फलस्वरूप धातु का क्षय धातु का संक्षारण कहलाता है।
संक्षारण रोकने का उपाय–
धातु की सतह पर लेप चढ़ाकर– धातु की बाहरी सतह पर ग्रीज या वार्निश की एक पतली परत चढ़ा कर उसके संक्षारण को रोका जा सकता है।
रंगाई करके– धातु की सतह को किसी अम्ल अवरोधक रंग से रंगाई कर देने से धातुओं के संक्षारण को रोका जा सकता है।
जस्तीकरण करके– धातु की किसी पिघले हुए जस्ता में डुबा देने से वस्तु की सतह पर जस्ता की एक परत बैठ जाती है। जिससे जंग लगने से बचाया जा सकता है।
विद्युतलेपन द्वारा– वैद्युत अपघटन प्रक्रिया द्वारा किसी धातु पर किसी अन्य धातु का लेप चढ़ा कर संक्षारण से बचाया जा सकता है।
मिश्रधातु– दो या अधिक धातुओं अथवा एक धातु एवं एक अधातु का समांग मिश्रण मिश्रधातु कहलाता है।
जैसे- पीतल, ताँबा एवं जस्ता का मिश्रधातु है।
मिश्रधातु के गुण–
- ये अपने अवयवों से अधिक कठोर होते हैं।
- ये संक्षारण-अवरोधक होते हैं।
- इनके द्रवनांक एवं इनकी विद्युत चालकता उनके अवयवों की अपेक्षा कम होते हैं। जैसे पीतल विद्युत का अच्छा चालक नहीं है, जबकि इसका अवयव ताँबा विद्युत का अच्छा चालक है।
- इनकी गुणवत्ताा इनके अवयवों की तुलना में बढ़ जाती है।
- Dhatu evam Adhatu Class 10th Solutions
पाठ के अन्दर आए हुए प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. ऐसी धातु का उदाहरण दीजिए जो
(i) कमरे के ताप पर द्रव होती है ।
(ii) चाकू से आसानी से काटी जा सकती है।
(iii) ऊष्मा की सबसे अच्छी चालक होती है।
(iv) ऊष्पा की कुचालकं होती है।
उत्तर — (i) पारा, (ii) सोडियम, (iii) चाँदी,(iv) ऐस्टेटीन ।
प्रश्न 2. आघातवर्ध्य तथा तन्य का अर्थ बताइए ।
उत्तर—धातुओं का वह गुण, जिसके कारण हथौड़े से पीटकर उन्हें चदरे के रूप में बदला जा सके ‘आघातवर्ध्य’ कहलाता है । जैसे सोना, चाँदी, ऐलुमिनियम, कॉपर इत्यादि ।
धातुओं का वह गुण जिसके कारण उनको तार के रूप में बनाया जा सके, ‘तन्य’ कहा जाता है । जैसे- सोना, चाँदी, ऐलुमिनियम, कॉपर ।
(पृष्ठ : 51 )
प्रश्न 1. सोडियम को किरोसिन में डुबो कर क्यों रखा जाता है ?
उत्तर—चूँकि सोडियम साधारण तापमान पर जल तथा ऑक्सीजन के साथ तीव्र गति से प्रतिक्रिया करता है, लेकिन यह किरोसिन के साथ किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं करता है, इसलिए सोडियम को किरोसिन में डुबो कर रखा जाता है।
प्रश्न 2. इन अभिक्रियाओं के लिए समीकरण लिखिए :
(i) भाप के साथ आयरन ।
(ii) जल के साथ कैल्सियम तथा पोटैशियम ।
प्रश्न 4. अभिक्रियाशील धातु को तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल में डाला जाता है तो कौन-सी गैस निकलती है ? आयरन के साथ तनु H2SO4 की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए ।
उत्तर- धातु के लवण के साथ हाइड्रोजन गैस निकलती है।
Fe + H2SO4→ FeSO4+ H2
प्रश्न 5. जिंक को आयरन (II) सल्फेट के विलयन में डालने से क्या होता है ? इसकी रासायनिक अभिक्रिया लिखिए ।
उत्तर –जिंक को Fe (II) सल्फेट के विलयन में डालने से जिंक, आयरन II सल्फेट से आयरन को विस्थापित कर देता है । क्योंकि Zn, Fe से ज्यादा क्रियाशील है ।
Zn + FeSO4 ,→ ZnSO4+ Fe
( पृष्ठ : 54 )
प्रश्न 1. आयनिक यौगिकों का गलनांक उच्च क्यों होता है ?
उत्तर —आयनिक यौगिक का रूप ठोस तथा कठोर होता है । इस अवस्था में आयनों के बीच का आकर्षण बल काफी मजबूत होता है । जब इन्हें द्रवों (घुलनशील पदार्थ) में डाला जाता है तो इनके बीच आकर्षण बल कम हो जाता है. अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है । इस आधार पर हम कह सकते हैं कि आयनिक यौगिकों का द्रवणांक उच्च होता है ।
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( पृष्ठ : 59 )
प्रश्न 1. निम्न पदों की परिभाषा दीजिए :
(i) खनिज (ii) अयस्क (iii) गैंग
उत्तर- (i) खनिज – पृथ्वी की भूपर्पटी में प्राकृतिक रूप से पाये जानेवाले तत्वोंअथवा यौगिकों को खनिज कहते हैं।
(ii) अयस्क –—कुछ स्थानों पर खनिजों में कोई विशेष धातु अत्यधिक मात्रा में पाई जाती हैं, जिनसे कम खर्च तथा आसानी से धातुएँ प्राप्त की जाती हैं, उन खनिजों को अयस्क कहते हैं ।
(iii) गैंग – खनिजों या अयस्कों में जो मिट्टी तथा रेत जैसी कई अशुद्धियाँ मिली हुई होती हैं, वे गैंग कहलाती हैं ।
प्रश्न 2. दो धातुओं के नाम बताइए जो प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाती हैं।
उत्तर – सोना और प्लैटिनम धातु प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाई जाती है।
प्रश्न 3. धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करने के लिए किस रासायनिक प्रक्रम का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर—धातु को उसके ऑक्साइड से प्राप्त करने के लिए कार्बन द्वारा अपचयन के रासायनिक प्रक्रम का उपयोग किया जाता है ।
( पृष्ठ : 61 )
प्रश्न 1. कौन सी धातुएँ आसानी से संक्षारित नहीं होती हैं और क्यों ?
उत्तर—सोना तथा चाँदी आसानी से संक्षारित नहीं होती हैं क्योंकि इन धातुओं की सक्रियता बहुत ही कम होती है
प्रश्न 2. मिश्रधातु (मिश्रातु) क्या होते हैं ? (पाठ्यपुस्तक में ‘मिश्रधातु’ की जगह ‘मिश्रातु’ का प्रयोग हुआ है ।)
उत्तर—दो अथवा दो से अधिक धातुओं के मिश्रण को मिश्रधातु कहते हैं । ताँबा और जस्ते की मिश्रधातु पीतल, टिन तथा ताम्र की मिश्रधातु काँसा । शुद्ध धातुओं की अपेक्षा उनकी मिश्रधातु की विद्युत चालकता तथा गलनांक कम होते हैं
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अभ्यास : प्रश्न तथा उनके उत्तर
प्रश्न 1. निम्न में कौन सा युगल विस्थापन अभिक्रिया प्रदिर्शत करता है :
(a) NaCl विलयन एवं कॉपर धातु
(b) MgCl, विलयन एवं ऐलुमिनियम धातु
(c) FeSO, विलयन एवं सिल्वर धातु
(d) AgNO, विलयन एवं कॉपर धातु
उत्तर——(d) AgNO, विलयन एवं कॉपर धातु ।
प्रश्न 2. लोहे के फ्राईंग पैन (frying pan) को जंग से बचाने के लिए निम्न में से कौन-सी विधि उपयुक्त है :
(a) ग्रीज लगाकर(b) पेंट लगाकर
(c) जिंक की परत चढ़ाकर(d) ऊपर के सभी
उत्तर- (c) जिंक की परत चढ़ाकर ।
प्रश्न 3. कोई धातु ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर उच्च गलनांक वाला यौगिक निर्मित करती है । यह यौगिक जल में विलेय है । यह तत्व क्या हो सकता है ?
(a) कैल्सियम (b) कार्बन (c) सिलिकन (d) लोहा
उत्तर—(a) कैल्सियम ।
प्रश्न 4. खाद्य पदार्थ के डिब्बों पर जिंक की बजाय टिन का लेप होता है क्योंकि
(a) टिन की अपेक्षा जिंक महँगा है
(b) टिन की अपेक्षा जिंक का गलनांक अधिक है
(c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है
(d) टिन की अपेक्षा जिंक कम अभिक्रियाशील है
उत्तर – (c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है।
प्रश्न 5. आपको एक हथौड़ा, बैटरी, बल्ब, तार एवं स्विच दिया गया है :
(a) इनका उपयोग कर धातुओं एवं अधातुओं के नमूनों के बीच आप विभेद कैसे कर सकते हैं ?
(b) धातुओं एवं अधातुओं में विभेदन के लिए इन परीक्षणों की उपयोगिताओं का आकलन कीजिए ।
उत्तर- (a) सर्वप्रथम एक परिपथ बनाया जाता है । जब स्विच ऑन करते हैं तो बल्ब जलने लगता है । इससे ज्ञात होता है कि यह नमूना एक धातु है । धातुओं पर हथौड़ा से चोट करने पर उनमें से विशेष ध्वनि उत्पन्न होती है ।
(b) यह नियम धातु और अधातु की जाँच के लिए काफी उपयोगी है । लेकिन एक अपवाद है कि मैफाइट अधातु होते हुए भी धातु के समान चालक है ।
प्रश्न 6. उभयधर्मी ऑक्साइड क्या होते हैं ? दो उभयधर्मी ऑक्साइडों का उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – जो ऑक्साइड अम्ल तथा क्षार दोनों से अभिक्रिया करके लवण तथा जल का निर्माण करता है उन्हें उभयधर्मी ऑक्साइड कहते हैं । ऐसे ऑक्साइड अम्लीय तथा क्षारीय दोनों जैसा गुण रखते हैं। जिंक ऑक्साइड (ZnO) तथा ऐलुमिनियम ऑक्साइड (AI,O3) उभयधर्मी ऑक्साइड के उदाहरण हैं ।
प्रश्न 7. दो धातुओं के नाम बताइए जो तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देंगे तथा दो धातुएँ जो ऐसा नहीं कर सकती हैं ।
उत्तर – (i) मैग्नीशियम तथा (ii) सोडियम आदि हाइड्रोजन विस्थापित करनेवाली धातुएँ हैं ।
(i) सोना तथा (ii) कॉपर आदि हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करनेवाली धातुएँ हैं।
प्रश्न 8. लोहे को जंग से बचाने के लिए दो तरीके बताइए ।
उत्तर – लोहे को जंग से बचाने के लिए दो तरीके :
(i)पेंटिंग –जंग से बचाने के लिए लोहा के वस्तुओं पर पेंट किया जाता है।
(ii) जिंक लेपन – जंग से बचाने के लिए लोहा की वस्तुओं पर जिंक की परतचढ़ाई जाती है।
प्रश्न 9. ऑक्सीजन से संयुक्त होकर अधातुएँ कैसा ऑक्साइड बनाती हैं ?
उत्तर –ऑक्सीजन से संयुक्त होकर अधातुएँ क्षारीय तथा उभयधर्मी ऑक्साइड बनाती हैं
प्रश्न 10. कारण बताइए :
(a) प्लैटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है ।
(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम को किरोसिन तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है ।
(c) ऐलुमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनानेवाले बरतन बनाने के लिए किया जाता है ।
(d) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनिट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है ।
उत्तर :
(a) प्लैटिनम, सोना तथा चाँदी आदि धातुओं की अभिक्रियाशीलता बहुत कम है, इसलिए ये संक्षारित नहीं होती हैं और उनकी चमक अधिक होती है और अधिक दिनों तक कायम रहती हैं । इन्हीं कारणों से इनके आभूषण बनाये जाते हैं । (b) चूँकि Na, K तथा Li बहुत ही अधिक अभिक्रियाशील हैं इसलिए ये जल तथा O, से जल्द ही अभिक्रिया करके अपने ऑक्साइड बनाते हैं। इनको खुली हवा में रखने से ही इनमें आग पकड़ लेती है । इस कारण इन्हें किरोसिन तेल के अन्दर डुबोकर संग्रहित किया जाता है ।
(c) ऐलुमिनियम ऊष्मा का सुचालक होता है और साथ ही यह संक्षारित भी नहीं होता । इसी कारण ऐलुमिनियम के बर्तन में खाना बनाया जाता है ।
(d) चूँकि अपचयन से पहले धातु को सल्फाइड तथा कार्बोनिट को धातु ऑक्साइड मेंबदला जाता है क्योंकि उसके ऑक्साइड से धातु प्राप्त करना ज्यादा आसान होता है।
प्रश्न 11. आपने ताँबे के मलीन बरतन को नींबू या इमली के रस से साफ करते अवश्य देखा होगा । ये खट्टे पदार्थ बरतन को साफ करने में क्यों प्रभावी हैं ?
उत्तर—चूँकि ताँबा स्वयं अम्लों से प्रतिक्रिया नहीं करता है लेकिन ताँबा के ऑक्साइड अम्लों से प्रतिक्रिया (अभिक्रिया) करता है । इसलिए ताँबा को अम्लीय पदार्थों जैसे नीलू या इमली के रस से साफ किया जाता है ।
प्रश्न 12. रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर धातुओं एवं अधातुओं में विभेद कीजिए ।
उत्तर – रासायनिक गुणधर्म के आधार पर धातुओं एवं अधातुओं में विभेद :
(i) अम्लीय गुण – धातु अम्ल से प्रतिक्रिया करके क्षारीय ऑक्साइड का निर्माण करता है जबकि अधातु अम्ल से प्रतिक्रिया करके अम्लीय ऑक्साइड का निर्माण करता है ।
(ii) जल के साथ प्रतिक्रिया – धातु जल के साथ प्रतिक्रिया करता है जबकि अधातु नहीं करता है । जैसे : K + H2O KOH + H2
(iii) धातुएँ धनात्मक आयन का निर्माण करती हैं : Nat, K+, Ca+2; जबकि अधातुएँ ऋणात्मक आयन का निर्माण करती हैं : CI, N 3 – इत्यादि ।
प्रश्न 13. एक व्यक्ति प्रत्येक घर में सुनार बनकर जाता है । उसने पुराने एवं मलीन सोने के आभूषणों में पहले जैसी चमक पैदा करने का ढोंग रचाया। कोई संदेह किए बिना ही एक महिला अपने सोने के कंगन उसे देती है जिसे वह एक विशेष विलयन में डाल देता है। कंगन नए की तरह चमकने लगते हैं लेकिन उनका वजन अत्यंत कम हो जाता है । वह महिला बहुत दुखी होती है तथा तर्क-वितर्क के पश्चात उस व्यक्ति को झुकना पड़ता है। एक जासूस की तरह क्या आप उस विलयन की प्रकृति के बारे में बता सकते हैं ।
उत्तर—हाँ, उस विलयन का नाम ऐक्वारेजिया विलयन है। उस विलयन में सोने का आभूषण जैसे ही डाला जाता है कि वह सोना को अपने में घुलाने लगता है। ऊपर से सोना के घुल जाने के कारण आभूषण की चमक तो बढ़ जाती है, लेकिन वजन में कमी आ जाती है। जो सोना विलयन में घुल जाता है, उसे सुनार रासायनिक प्रक्रिया द्वारा पुनः ठोस सोना प्राप्त कर लेता है । अतः, आभूषणधारियों को चाहिए की आभूषणों की सफाई घर पर ही करें और सुनार को सफाई के लिए न दें ।
प्रश्न 14. गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रातु) का नहीं । इसका कारण बताइए ।
उत्तर—चूँकि ताँबा के साथ जल अभिक्रिया नहीं करता है जबकि गर्म लोहा उबलता पानी से प्रतिक्रिया करता है तथा शीघ्र ही संक्षारित हो जाता है । इस कारण गर्म हुआ जल का टैंक इस्पात का न बनाकर ताँबा का बनाया जाता है ।
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