इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान अर्थशास्त्र के पाठ 7 उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण (Upbhokta Jagran evam Sanrakshan Class 10th Solutions) को पढ़ेंगे।
7. उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण
उपभोक्ता बाजार का महत्वपूर्ण अंग है। व्यक्ति जब वस्तुएँ एवं सेवाएँ अपने उपयोग के लिए खरीदता है तब वह उपभोक्ता कहलाता है।
उपभोक्ता जागरण
प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह जिस वस्तु का उपभोक्ता है, उसके बारे में पूर्ण जानकारी लें, जैसे- वस्तु का गुण, मात्रा, वस्तु बनाने में लगा सामान और इससे होने वाले प्रभाव।
यदि उपभोक्ता किसी विशेष वस्तु का उपभोग करता है और सामान खराब निकलता है, तो वह अपने निकट के उपभोक्ता केन्द्र में शिकायत कर मुआवजा प्राप्त कर सकता है।
उपभोक्ता जागरूकता हेतु आकर्षक नारें-
- सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है।
- ग्राहक सावधान।
- अपने अधिकारों को पहचानों।
- जागो ग्राहक जागो।
- उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करो।
वर्तमान में ऐसा कोई भी क्षेत्र नहीं हैं जहाँ उपभोक्तओं का शोषण नहीं हो रहा हो, चाहे शिक्षा का क्षेत्र हो या बैंकिग, चिकित्सा, दूरसंचार, डाक, खाद्य सामग्री या फिर भवन-निर्माण। सभी क्षेत्र में त्रुटि, लापारवाही और कालाबाजारी उपभोक्ता के लिए घातक सिद्ध हो रही है।
उपभोक्ता शोषण के मु़ख्य कारक
मिलावट की समस्या- महँगी वस्तुओं में दूसरी वस्तुएँ मिला कर उपभोक्ता का शोषण होता है।
कम तौलने द्वारा- वस्तुओं की माप में हेरा-फेरी करके भी उपभोक्ता को शोषण किया जाता है।
कम गुणवत्ता वाली वस्तु- उपभोक्ता को धोखे से अच्छी वस्तु के स्थान पर कम गुण वाले वस्तु देकर शोषण करना।
ऊँची किमत द्वारा- ऊँची किमत वसुल करके भी उपभोक्तओं का शोषण किया जाता है।
डुप्लीकेट वस्तुएँ- सही कंपनी का डुप्लीकेट वस्तुएँ देकर भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।
जागरूक उपभोक्ता के लक्षण
छात्र-छात्राओं को चाहिए कि वे जिन संस्थान में नामांकन करने के इच्छुक है उनकी राज्य सरकार से मान्यता प्राप्ती की जानकारी ले लें।
क्रेडिट कार्ड मिलते ही निर्धारित जगह में तुरंत हस्ताक्षर कर दें।
दवा सुरक्षित तथा लरइसेंस प्राप्त दवा विक्रेता से ही खरीदें।
यह सुनिश्चित करें कि आपको सही मात्रा में पेट्रोल मिल रहा हैं अथवा नहीं।
L.P.G. गैस सिलिंडर की अंतिम तिथि का पता कर लें।
ISI तथा एकमार्क, हॉल-मार्क उत्पाद वस्तु पर देखें व सही परख करें।
उपभोकता संरक्षण एवं सरकार
सरकार ने उपभोकताओं की रक्षा के लिए समय-समय पर कदम उठाते हुए अनेक उपभोकता-कानून बनाए हैं। इस कड़ी में सरकार के तरफ से सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं- उपभोकता संरक्षण अधिनियम 1986
भारत सरकार ने इस अधिनियम को अपनाने में विश्व के विकसित देशों जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में लागू उपभोकता संरक्षण अधिनियम एवं व्यवस्थाओं का गहराई से अध्ययन करने के पश्चात् अपनाया।
Upbhokta Jagran evam Sanrakshan Class 10th Solutions
उपभोकता संरक्षण अधिनियम 1986
उपभोकता संरक्षण अधिनियम के दायरे में सभी वस्तुओं, सेवाओं तथा व्यक्तियों, चाहे वह निजी क्षेत्र के हो या सार्वजनिक क्षेत्र के, उसको सामिल किया जाता हैं। इसके तहत उपभोकताओं को यह जानने का अधिकार प्राप्त है कि वह वस्तु या सेवा कि गुणवत्ता, परिमाण, क्षमता, शुद्धता, मानक और मुल्य के बारे में जानकारी प्राप्त कर सके।
उपभोकता संरक्षण अधिनियम आपको सशक्त बनाता है।
अपने निकट क्षेत्र के उपभोकता फोरम को जानने के लिए कम्प्यूटर पर लॉग-ऑन कर सकते हैं-
उपभेकता संगठन की वेबसाइट है- www.Cuts.international.org
इस वेबसाइट में उपभोक्ता को जागरूक बनाने में विभिन्न प्रकार की सामग्री प्रकाशित करती हैं।
उपभोकता किसी भी टोलिफोन या मोबाइल से मुफ्त में उपभोक्ता संरक्षण संबंधी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नं0-1800-11-4000 (शुल्क मुक्त)
स्वर्णाभूषणों पर बीआईएस हॉलमार्क हमेशा देखें।
केवल ISI चिन्हित उत्पाद खरीदें।
लगभग 1500 उत्पादों में चिन्ह ISI अंकित है, इसमें खास तौर पर ऐसे उत्पाद आते हैं जो सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं तथा ISI जो उपभोक्ताओं की सुरक्षा करते हैं।
इसमें एलपीजी सिलिण्डर्स, बिजली उपकरण, सुरक्षा हेलमेट, खाद्य पदार्थ, रंग, सिमेंट, शिशु आहार तथा बबल गम जैसे उत्पाद शामिल हैं।
उपभोक्ता सांरक्षण अधिनियम की धरा 6 के अंतर्गत उपभोक्ता को कुछ अधिकार प्रदान किए गए हैं।
1. सुरक्षा का अधिकारः- उपभोक्ता का प्रथम अधिकार सुरक्षा का अधिकार है। उपभोकता को ऐसे वस्तुओं और सेवाओं से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकार है जिससे उसके शरीर या संपत्ति को हानि हो सकती है। जैसे- बिजली का आयरन विद्युत आपूर्ति की खराबी के कारण करंट मार देता है या एक डॉक्टर ऑपरेशन करते समय लापरवाही बरतता है जिसके कारण मरीज को खतरा या हानि हो सकती है।
2. सुचना पाने का अधिकारः- उपभोकता को वे सभी आवश्यक सुचनाएँ प्राप्त करने का अधिकार है जिसके आधार पर वह वस्तुएँ या सेवाएँ खरीदने का निर्णय कर सकते हैं। जैसेः- पैकेट बंद सामान खरीदने पर उसका मुल्य इस्तेमाल करने की अवधि, गुणवता इत्यादि की सुचना प्राप्त करें।
3. चुनाव या पसंद करने कर अधिकारः- उपभोक्ता अपने अधिकार के अंतर्गत विभिन्न निर्माताओं द्वारा निर्मित विभिन्न ब्रांड, किस्म, रूप, रंग, आकार तथा मूल्य की वस्तुओं में किसी भी वस्तु का चुनाव करने को स्वतंत्र है।
4. सुनवाई का अधिकारः- उपभोक्ता को अपने हितों को प्रभावित करनेवाली सभी बातों को उपयुक्त मंचों के समक्ष प्रस्तुत करने कर अधिकार है। उपभोक्ता को अपने को मंचों के साथ जुड़कर अपने बातों को रखनी चाहिए।
5. शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकारः- यह अधिकार लोगों को आश्वासन प्रदान करता है कि क्रय की गयी वस्तु या सेवा उचित ढ़ंग की अगर नहीं निकली तो उन्हें मुआवजा दिया जएगा।
6. उपभोकता शिक्षा का अधिकारः- उपभोकता शिक्षा का अधिकार के अर्न्तगत, किसी वस्तु के मूल्य, उसकी उपयोगिता, कोटी तथा सेवा की जानकारी एवं अधिकारों से ज्ञान प्राप्ती की सुविधा जैसी बातें आती है जिसके माध्यम से शिक्षित उपभोकता धोखाधड़ी, दगाबाजी से बचने के लिए स्वंय सबल, संरक्षित एवं शिक्षित हो सकते हैं और उचित न्याय के लिए खड़े हो सकते हैं।
उपभोकता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत उपभोक्ताओं को उनकी शिकायतां के निवारण के लिए व्यवस्था दी गई है जिसे तीन स्तरों पर स्थापित किया गया है-
1. राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय आयोग
2. राज्य स्तर पर राज्य स्तरीय आयोग
3. जिला स्तर पर जिला मंच (फोरम)
उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में त्रिस्तरीय अर्द्धन्यायिक व्यवस्था है, जिसमें, जिला मंचों, राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई है।
अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होता है तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय में अपील कर सकता है।
उपभोकता-शिकायत‘, क्या, कहाँ, कैसे?
इस समय देश में 582 जिला फोरम, 35 राज्य आयोग और एक राष्ट्रीय आयोग काम कर रहे हैं जिसके द्वारा दायर 24 लाख मामलो में 84 मामलों को निपटाया जा चुका है।
शिकायत क्या करें?
यदि कोई उत्पादक या व्यापारी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में परिभाषित उपभोकता के अधिकारे के विरूद्ध कार्य करता है तब उपभोकता शिकायत दर्ज कर सकते हैं-
शिकायत कहाँ करें?
यदि किसी व्यक्ति या सेवा का मूल्य 20 लाख से कम है तो वह शिकायत जिला फोरम में दर्ज करा सकते हैं।
शिकायत करने का तरीका
उपभोकता द्वारा शिकायत सादें कागज पर की जा सकती है जिसे दर्ज करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है साथ ही इसे व्यक्तिगत रूप से या डाक द्वारा भेजा जा सकता है।
पुनः अगर वस्तु व सेवा का मूल्य 20 लाख के ऊपर और 1 करोड़ के नीचे हो तो शिकायत राज्य आयोग के पास की जा सकती है और अगर किसी वस्तु या सेवा का मूल्य या क्षतिपूर्ति राशि 1 करोड़ से अधिक होने पर उपभोकता राष्ट्रीय अयोग में इसकी शिकायत कर सकता है।
शिकायत कैसे की जाए ?
शिकायत सादे कागज पर की जा सकती है।
शिकायत में निम्नलिखित विवरण होना चाहिए-
शिकायत कर्ताओं तथा विपरित पार्टी के नाम का विवरण तथा पता।
शिकायत से संबंधित तथ्य एवं यह सब कब और कहाँ हुआ।
शिकायत में उल्लिखित आरोपों के सर्मथन में दस्तावेज।
शिकायत पे शिकायतकर्ताओं अथवा उसके प्राधिकृत एजेंट के हस्ताक्षर होने चाहिए।
अपनी शिकायत भेजें ताकि इसका समाधान हो सके।
आर्थिक शोषण एवं उसका निराकरण
विज्ञापन के चकाचौंध में अक्सर उपभोक्ता भ्रमित हो जाते हैं कि वे कौन से वस्तु खरीदें ताकि उनकी आवश्यकता की पूर्ति हो सकें। इस स्थिति में अक्सर उत्पादक अथवा व्यापारी बड़े पैमाने पर विभिन्न प्रकार से उपभोकताओं का शोषण करते हैं।
विश्व के अन्य देशों की तरह हमारे देश मे भी कुछ ऐसी संवैधानिक संस्थाओं की स्थापना कि गई है जो उपभोक्ताओं के इस आर्थिक शोषण का निराकरण करती है।
दो संस्थाएँ महत्वपूर्ण हैं जो लोगों के जीवन और उपभोग के अधिकार को संरक्षण देती है।
1. मानवाधिकार आयोग एवं
2. सूचना आयोग
मानवाधिकार आयोग
हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर उच्चतम संस्था है, जो मानवीय अधिकारों की रक्षा और उनके अधिकार से संबंधित हितों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। इस संस्था को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग कहते हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि इसके अध्यक्ष भारत के उच्चतम न्यायालय के अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधाश होते हैं। इसी प्रकार देश के प्रत्येक राज्य में एक राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया है। जो देश के नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा संबंधी बातों को देखती है।
महिलाओं के ऊपर हुए अत्याचार अथवा शोषण संबंधी शिकायत के निराकरण करने के लिए देश के स्तर पर राष्ट्रीय महिला आयोग तथा राज्य महिला आयोग का गठन किया गया है।
सूचना आयोग
कोई भी उपभोक्ता अपनी अधिकारों की रक्षा तभी कर सकते हैं, जब उन्हें अपने उपभोग की वस्तुओं और सेवाओं के उत्पाद संबंधी सभी सूचना उपलब्ध हो।
उपभोक्ता के इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार द्वारा देश के स्तर पर राष्ट्रीय सूचना आयोग और राज्य के स्तर पर राज्य सूचना आयोग का गठन किया गया है।
सूचना का अधिकार क्या है ?
सूचना का अधिकार आम आदमी को अधिकार संपन्न बनाने हेतु सरकार द्वारा महत्वपूर्ण कदम है।
सूचना के अधिकार का तात्पर्य है- कोई भी व्यक्ति अभिलेख, इमेल आदेश, दस्तावेज, नमूने और इलेक्ट्रॉनिक आँकड़े आदि के रूप में ऐसी प्रत्येक सूचना प्राप्त कर सकता है जिसकी उसे आवश्यकता है। जिसके लिए आवेदक संबंधित ‘लोक सूचना अधिकारी’ के समक्ष आवेदन करेगा। जिसकी सूचना 30 दिनों में संबंधित व्यक्ति को सूचना उपलब्ध करवाया जायेगा।
Upbhokta Jagran evam Sanrakshan Class 10th Solutions
वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
I. सही विकल्प चुनें।
प्रश्न 1. भारत उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की घोषणा कब हुई ?
(क) 1986
(ख) 1980
(ग) 1987
(घ) 1988
उत्तर- (क) 1986
प्रश्न 2. उपभोक्ता अधिकार दिवस कब मनाया जाता है ?
(क) 17 मार्च
(ख) 15 मार्च
(ग) 19 अप्रैल
(घ) 22 अप्रैल
उत्तर- (ख) 15 मार्च
प्रश्न 3. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन नं क्या है ?
(क) 100
(ख) 1000-100
(ग) 1800-11-4000
(घ) 2000-114000
उत्तर- (ग) 1800-11-4000
प्रश्न 4. स्वर्णाभूषणों की परिशुद्धता को सुनिश्चित करने के लिए किस मान्यता प्राप्त चिह्न का होना आवश्यक है ?
(क) ISI मार्क
(ख) हॉल मार्क
(ग) एगमार्क
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) हॉल मार्क
प्रश्न 5. यदि किसी वस्तु या सेवा का मूल्य 20 लाख से अधिक तथा 1 करोड़ से कम है जो उपभोक्ता शिकायत करेगा
(क) जिला फोरम
(ख) राज्य आयोग
(ग) राष्ट्रीय आयोग
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) राज्य आयोग
प्रश्न 6. उपभोक्ता द्वारा शिकायत करने के लिए आवेदन शुल्क कितना लगता है.?
(क) 50 रु.
(ख) 70 रु.
(ग) 10 रु. .
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (घ) इनमें से कोई नहीं
II. सही कथन में सही का (∨) तथा गलत में (x) का निशान लगाएँ।
प्रश्न 1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संक्षिप्त रूप में कोपरा (COPRA) कहते हैं।
उत्तर- सही
प्रश्न 2. राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन टेलीफोन नं. 15,000 है।
उत्तर- गलत
प्रश्न 3. भारत में ‘सूचना पाने का अधिकार 2005’ कानून बनाया गया।
उत्तर- सही
प्रश्न 4. उपभोक्ता को खराब वस्तु या सेवा मिलने पर उत्पादक से मुआवजा पाने का अधिकार है, जो क्षति की मात्रा पर निर्भर करती है।
उत्तर- सही
प्रश्न 5. ‘हॉलमार्क’ आभूषणों की गुणवत्ता को प्रमाणित करने वाला चिह्न है।
उत्तर- सही
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7. उपभोक्ता जागरण एवं संरक्षण Subjecitive Questions
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. आप किसी खाद्य पदार्थ संबंधी वस्तु को खरीदते समय कौन-कौन से मुख्य बातों का ध्यान रखेंगे ? बिंदुवार उल्लेख करें।
उत्तर- किसी खाद पदार्थ संबंधी वस्तुओं को खरीदे समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखेंगे।
(1) अवयवों की सूची
(2) वजन या परिमाण
(3) निर्माण का तिथि
(4) इस्तेमाल की समाप्ति
(5) निरामिष/शामिष चिन्ह
(6) डाले गए रंग और खुशबू की घोषणा
(7) पोषाहार का दावा- सम्मिलित पौष्टिक तत्वों की मात्राएं
(8) स्वास्थ्य के प्रति हानिकारक चेतावनी
(9) वैधानिक चेतावनी- तंबाकू/शिशु के लिए हल्का विकल्प
प्रश्न 2. उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारों को लिखें।
उत्तर- उपभोक्ता जागरण हेतु विभिन्न नारें निम्न हैं—
(1) सतर्क उपभोक्ता ही सुरक्षित उपभोक्ता है
(2) ग्राहक, सावधान
(3) अपने अधिकारों को पहचानो
(4) जागो ग्राहक जागो
(5) उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों की रक्षा करो
प्रश्न 3 कुछ ऐसे कारकों की चर्चा करें जिसमें उपभोक्ताओं का शोषण होता है।
उत्तर- उपभोक्ता शोषण के मुख्य कारक निम्न है—
(1) मिलावट की समस्या- महंगी वस्तुओं में मिलावट करके उपभोक्ता का शोषण होता है।
(2) कमतौलने द्वारा- वस्तु के माप में हेराफेरी करके भी उपभोक्ता का शोषण होता है।
(3) कम गुणवत्ता वाली वस्तु- उपभोक्ता को धोखे से अच्छी वस्तु का स्थान पर कम गुणवत्ता वाली वस्तु देकर शोषण करना।
(4) ऊँची कीमत द्वारा- ऊंची किमतें वसूल करके भी उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।
(5) डुप्लीकेट वस्तुएँ- सही कंपनी का डुप्लीकेट वस्तुएँ प्रदान करके उपभोक्ता का शोषण किया जाता है।
प्रश्न4. उपभोक्ता के रूप में बाजार में उनके कुछ कर्तव्यों का वर्णन करें।
उत्तर- उपभोक्ता जब कोई वस्तु खरीदता है तो यह आवश्यक है कि वह उस वस्तु की रसीद अवश्य ले लें एवं वस्तु की गुणवत्ता, ब्रांड, मात्रा, शुद्धता, मानक, माप-तौल, उत्पाद/निर्माण की तिथि, उपभोक्ता की अंतिम तिथि, गारंटी/वारंटी पेपर, गुणवत्ता का निशान जैसे आई एस आई मार्क, एग मार्क, हॉलमार्क और मुल्य की दृष्टि से किसी प्रकार के दोष, आपूर्णता पाते है तो सेवाएं लेते समय अतिरिक्त सतर्कता एवं जागरूकता रखें।
प्रश्न 5. उपभोक्ता कौन है ? संक्षेप में बताएँ ।
उत्तर- ‘उपभोक्ता’ बाजार व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग है। सेवाएं अपने प्रयोग के लिए खरीदाता है तब उपभोक्ता कहलाता है। खरीदारी से ऐसी वस्तुओं और सेवाओं का प्रयोग करने वाला व्यक्ति भी उपभोक्ता है।
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दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. उपभोक्ता के कौन-कौन अधिकार हैं? प्रत्येक अधिकार को सोदाहरण लिखें ।
उत्तर- प्रत्येक व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह जिस वस्तु का उपभोक्ता है उसके बारे में पूर्ण जानकारी लें, जैसे- वस्तु का गुण, मात्रा, वस्तु बनाने में प्रयुक्त तत्व तथा इनमें होने वाले प्रभाव को जानें। यदि उपभोक्ता किसी विशेष वस्तुओं का उपयोग करता है और सामान खराब निकलता है। तो उपभोक्ता अपने निकटतम ‘उपभोक्ता’ केंद्र में उसकी उचित शिकायत दर्ज करवा कर मुआवजा प्राप्त कर सकता है।
प्रश्न 2. ‘उपभोक्ता’ संरक्षण अधिनियम 1986 की मुख्य विशेषताओं को लिखें।
उत्तर- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम भारत सरकार द्वारा 1986 ई. में लाया गया था। इस अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता के अधिकार एवं हितों का संरक्षण किया जाता है। इस अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता के अधिकार एवं हितों का संरक्षण किया जाता है।
इस अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता को निम्न आधिकार दिया गया है।
(1) सुरक्षा का अधिकार
(2) जानकारी प्राप्त करने का अधिकार
(3) चुनने का अधिकार
(4) सुनवाई का अधिकार
(5) शिकायत-निवारण का अधिकार
(6) उपभोक्ता-शिक्षा का अधिकार
प्रश्न 3.उपभोक्ता संरक्षण हेतु सरकार द्वारा गठित न्यायिक प्रणाली (स्तरीय प्रणाली) को विस्तार से समझाएं
उत्तर- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में गठित न्यायिक प्रणाली या त्रिस्तरीय प्रणाली आर्द्धन्यायिक व्यवस्था है जिसमें जिला मंचों, राज्य आयोग एवं राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की गई है।
अगर उपभोक्ता राष्ट्रीय फोरम से संतुष्ट नहीं होती है, तो वह आदेश के 30 दिनों के अंदर उच्चतम न्यायालय (S.C) में अपील कर सकता है।
प्रश्न 4. दो उदाहरण देकर उपभोक्ता जागरूकता की जरूरतों का वर्णन करें।
उत्तर- उपभोक्ता जागरूकता के दो उदाहरण निम्नलिखित है।
(1) गैस एजेंसीया
गैस एजेंसी द्वारा उपभोक्ता के घरों तक सिलेंडर समय पर नहीं पहुंचाया जाता है जिससे उपभोक्तागण मजबूरी में कालाबाजारी का शिकार होते हैं तथा बाध्य होकर गैस एजेंसी का चक्कर लगाना पड़ता है और उसका शोषण किया जाता है।
(2) शिक्षण संस्थान
शिक्षण संस्थान बहुतायत रूप में गली-गली खुलते जा रहे हैं, जो कि गैर मान्यता प्राप्त होते हैं जिसमें योग्य शिक्षक, पुस्तकालय, प्रयोगशाला ,फर्नीचर, खेल का मैदान तथा मानव पाठ्यक्रम का अभाव होता है तथा यह भ्रामक प्रचार-प्रसार द्वारा छात्रों को झूठा वादा करके गलत ढंग से फीस वसूलते हैं।
प्रश्न 5. मानव अधिकार के महत्व पर लिखें।
उत्तर- हमारे देश में राष्ट्रीय स्तर पर एक उच्चतम संस्था है, जो मानवीय अधिकारों की रक्षा और उनके अधिकारों से संबंधित हितों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है इस संस्था को राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग कहते हैं।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का महत्व इस बात से बढ़ जाता है कि इसका अध्यक्ष भारत के उच्चतम न्यायालय (S.C) के अवकाश प्राप्त प्रधान न्यायाधीश होते हैं। इसी तरह देश के प्रत्येक राज्य में एक राज्य मानव अधिकार आयोग का गठन किया जाता है जो देश के नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा संबंधी बातों को देखती है।
इसी आधार पर महिलाओं के ऊपर हुए अत्याचार अथवा शोषण संबंधी शिकायत के निराकरण के लिए देश के स्तर पर राष्ट्रीय महिला आयोग तथा राज्य महिला आयोग का गठन भी किया गया है।
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