इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान भूगोल के पाठ 2. कृषि (Shakti Urja Sansadhan class 10th solution) को पढ़ेंगे।
2. कृषि
भारत कृषि के दृष्टि से एक सम्पन्न राष्ट्र है। कृषि निर्धारण में वर्षा का बहुत महत्व है। भारत के अधिकांश भागों में वर्षा वर्ष के 3-4 महीने ही होता है। जहाँ सिंचाई की सुविधा है वहाँ साल में दो से अधिक फसल उगाई जाती है।
वर्षा की सहायता से विकसित कृषि प्रणाली को शुष्क कृषि कहते हैं।
Krishi class 10th solution
भारत में कृषि के महत्व
- कृषि देश के आर्थिक जीवन की प्राण है, इससे भारत में 2/3 लोगों की जीविका चलती है।
- उद्योगों के लिए कच्चे माल कृषि से ही प्राप्त होते हैं। जैसे कपास-सूती वस्त्र उद्योग, गन्ना-चीनी उद्योग, जूट उद्योग में जूट आदि।
- भारत की राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 24 प्रतिशत है।
- यहाँ की विशाल जनसंख्या के लिए भोजन कृषि से ही प्राप्त होता है।
भारत में कृषि भूमि उपयोग
कृषि पर निर्भर लोगों के लिए भूमि अत्यंत ही महत्वपूर्ण संसाधन है, क्योंकि यह पूरी तरह भूमि पर निर्भर है।
कृषि योग्य भूमि में चार तरह के भूमि को शामिल किया जाता है।
- शुद्ध बोया गया क्षेत्र,
- चालू परती भूमि,
- अन्य परती,
- कृषि योग्य व्यर्थ भूमि
जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि योग्य भूमि पर दबाव बढ़ गया है, जिससे कृषि योग्य भूमि कम हो रही है। ऐसी स्थिति में कृषि में उत्पादन दो ही रूपों में बढ़ाया जा सकता है-
- प्रति हेक्टेयर उपज में वृद्धि
- एक ही कृषि वर्ष में एक ही भूमि में एक से अधिकाधिक फसलों को उगाकर कुल उत्पादन में वृद्धि करना।
75 सेंमी० से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में होने वाली कृषि को ‘शुष्क भूमि कृषि’ एवं 75 सेमी से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र होने वाली कृषि को ‘आर्द्र भूमि कृषि’ कहते हैं।
कृषि के प्रकार- तीन प्रकार की कृषि होती है।
- प्रारंभिक जीविका कृषि
- गहन जीविका कृषि
- वाणिज्यिक कृषि
- प्रारंभिक जीविका कृषि- इस प्रकार की कृषि में पारंपरिक रूप से खेती की जाती है। इसमें आधुनिक तकनीक का अभाव होता है जिसके कारण उपज कम होता है। इसमें फसल उत्पादन जीविका निर्वाह के लिए किया जाता है।
- गहन जीविका कृषि- यह कृषि देश के अधिकतर भागों में की जाती है। जहाँ जनसंख्या अधिक होता है, वहाँ इस प्रकार के कृषि पद्धति को अपनाया जाता है। इसमें श्रम अधिक लगता है। इस प्रकार की कृषि में भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए परंपरागत ज्ञान, बीजों के रख-रखाव एवं मौसम संबंधी ज्ञान का होना अत्यंत आवश्यक होता है। जनसंख्या बढ़ने से जोतों का आकार काफी छोटा हो गया है। इस कृषि में मुख्य रूप से धान की खेती होती है। इसमें किसानों के पास व्यापार के लिए बहुत कम उत्पादन बचता है। इसलिए इसे जीविका निर्वाहक कृषि भी कहते हैं।
- वाणिज्यिक कृषि अथवा व्यापारिक कृषि- इस प्रकार के कृषि में फसल व्यापार के लिए उगाई जाती है। इस में आधुनिक कृषि तकनीक के द्वारा अधिक पैदावार वाले परिष्कृत बीज, रासायनिक खाद, सिंचाई, कीटनाशक आदि का उपयोग किया जाता है। भारत में इस कृषि पद्धति को हरित क्रांति के बाद व्यापक रूप से पंजाब एवं हरियाणा में अपनाया गया। इसमें मुख्य रूप से गेहूँ की खेती की जाती है। बासमती चावल भी पंजाब और हरियाणा में उगाई जाती है। इसके अलावा चाय, कॉफी, रबड़, गन्ना, केला भी उगाया जाता है।
फसल प्रारूपः
ऋतु के आधार पर भारत में तीन प्रकार की फसल उगाई जाती है।
- रबी फसल
- खरीफ फसल
- जायद ( गरमा फसल )
- रबी फसल- जिस फसल को जाड़े के महिने में अक्टूबर से दिसंबर के मध्य बोया जाता है और ग्रीष्म ऋतु में मार्च से अप्रैल के मध्य काटा जाता है, उसे रबी फसल कहते हैं। जैसे- गेहूँ, जौ, मटर, मसूर, सरसों आदि। हरित क्रांति के फलस्वरूप इस फसल के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।
- खरिफ फसल- जिस फसल को वर्षा ऋतु में अर्थात जून-जुलाई में बोई जाती है और सितंबर-अक्टूबर में काट ली जाती है, उसे खरिफ फसल कहते हैं। जैसे- मकई, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूँग, उरद, कपास, जूट आदि।
- जायद फसल- जिस फसल को ग्रीष्म ऋतु में (अर्थात मार्च-अप्रैल में बोया जाता और और मई-जून में काट लिया जाता है।) उगाया जाता है, उसे जायद फसल कहते हैं। जैसे- धान, मकई और सब्जियाँ। इस फसल में मुख्य रूप से सब्जियों का उत्पादन किया जाता है। सब्जियों में खासकर खीरा, ककड़ी, कद्दू, भिंडी, खरबूज, तरबूज आदि।
भारत विश्व का 22% चावल का उत्पादन करता है।
चावल के उत्पादन के लिए अत्यंत उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी की आवश्यकता होती है।
इसमें मानव श्रम की अधिक आवश्यकता होती है।
भारत में चावल के मुख्य उत्पादक राज्य प० बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, असम, केरल, तमिलनाडु आदि है।
भारत में चावल के बाद गेहूँ दूसरा प्रमुख खाद्यान्न फसल है। हमारा देश विश्व का दूसरा बड़ा गेहूँ उत्पादक देश है। यह विश्व का 10 प्रतिशत गेहूँ का उत्पादन करता है।
हमारे देश में 1967 ई० में हरित क्रांति आयी और इसका सबसे अधिक प्रभाव गेहूँ की खेती पर पड़ा। हरित क्रांति के बाद इसके उत्पादन में अत्यधिक वृद्धि हुई।
देश में कुल गेहूँ उत्पादन का 2/3 हिस्सा पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से प्राप्त होता है। उत्तर प्रदेश गेहूँ उत्पादन में सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है।
मोटे अनाज- ज्वार, बाजरा और रागी देश के प्रमुख मोटे अनाज है। रागी में प्रचुर मात्रा में लोहा और कैल्शियम पाया जाता है।
ज्वार- चावल और गेहूँ के बाद भारत में ज्वार सबसे प्रमुख खाद्य फसल है। इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र है जो 51% ज्वार का उत्पादन करता है। ज्वार से भारत का 10 प्रतिशत खाद्यान्न उपलब्ध होता है।
बाजरा- कुल कृषिगत भूमि का 7 प्रतिशत भूमि पर बाजरा उगाया जाता है। निर्धन लोगों के लिए एवं पशुओं के लिए यह प्रमुख चारा है। बाजरा का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य गुजरात है, जो कुल उत्पादन का 24 प्रतिशत उत्पादन करता है।
रागी- यह शुष्क प्रदेश का फसल है। कर्नाटक इसका सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, इसके बाद दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य तमिलनाडु है।
मकई- यह भी एक मोटा अनाज है जो मनुष्य के भोजन एवं पशुओं के चारा के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह निर्धन लोगों का प्रमुख भोजन है।
दालें- यहाँ की अधिकांश जनसंख्या शाकाहारी है और दाल हमारे भोजन में प्रोटीन का स्त्रोत है। भारत की मुख्य दलहनी फसल तूर (अरहर), उड़द, मूँग, मसूर, मटर और चना है। दालें खरिफ और रबी दोनों ही ऋतुओं में उगाया जाता है। अरहर, मूँग, उड़द आदि खरीफ फसलें हैं जबकि चना, मटर, मसूर आदि रबी फसलें हैं।
गन्ना- यह बाँस की प्रजाति का एक पौधा है जिससे मिठा रस निकलता है। इससे गुड़ तथा चीनी तैयार किया जाता है। भारत गन्ने की जन्मभूमि है। सबसे पहले विश्व में भारत में ही गन्ना उगाई गई थी। यह फसल मिट्टी की उर्वरता को जल्दी ही समाप्त कर देता है इसलिए इसकी खेती में काफी मात्रा में खाद की जरूरत होती है।
तिलहन- भारत विश्व में सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है। देश की कुल कृषि भूमि के 12 प्रतिशत भाग पर तिलहन की फसलें उगाई जाती है।
मूँगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, बिनौला, अलसी और सूरजमुखी आदि भारत की प्रमुख तिलहन फसलें हैं।
मूँगफली- यह एक खरिफ फसल है। भारत विश्व में मूँगफली के उत्पादन में दूसरा स्थान है। भारत में गुजरात इसके उत्पादन में प्रथम है। इसके बाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक तथा महाराष्ट्र है।
सरसों- इसके अंतर्गत राई, सरसों, तोरिया, तारामीरा आदि कई तिलहन शामिल है। इसकी कृषि भारत के मध्य तथा उत्तर पश्चिम भाग में रबी के मौसम में की जाती है। राजस्थान अकेले 1/3 भाग उत्पादन करता है।
अलसी ( तीसी ) : यह भी रबी फसल है। उत्तरी भारत में यह खरीफ फसल और और दक्षिणी भारत में यह रबी की फसल है।
सोयाबीन और सूरजमुखी भारत का महत्त्वपूर्ण तिलहन फसल है। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र मिलकर भारत का 90 प्रतिशत सोयाबीन का उत्पादन करते हैं।
चाय- यह एक सदाबहार झाड़ी होती है जिसकी पत्तियों को सुखा कर चाय बनाई जाती है।
चाय में थीन नामक पदार्थ होती है जिसके कारण चाय को पीने से हल्की ताजगी महसूस होती है। यह भारत के महत्वपूर्ण पेय फसल है। इसके उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है तथा खपत में यह विश्व का सबसे बड़ा देश है। सबसे पहले भारत में अंग्रजों के द्वारा इस कृषि को ब्रह्मपुत्र घाटी में 1840 में आरंभ किया गया था।
भारत विश्व का अग्रणी चाय उत्पादक एवं निर्यातक देश है।
कॉफी : चाय की तरह कॉफी भी एक पेय पदार्थ है। यह एक प्रकार के झाड़ी पर लगे हुए फल के बीजों द्वारा प्राप्त किया जाता है। कॉफी में कैफीन पाया जाता है, जो नींद नहीं आने देता है।
कर्नाटक भारत का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत का 70% काफी का उत्पादन यहाँ होता है।
बागवानी फसलें : भारत में बागवानी फसलों में विभिन्न प्रकार के फल, सब्जियाँ, कंदमूल औषधीय एवं सुगंधदायक पौधे एवं मसालें आदि हैं।
आम के उत्पादन में भारत विश्व में अग्रणी है। यहाँ अनगिनत किस्म के आमों का उत्पादन होता है। बागवानी फसलों में काजू, काली मिर्च और नारियल भी महत्वपूर्ण है। भारत विश्व में काजू का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। इसकी कृषि मुख्य रूप से केरल और आंध्र प्रदेश में होती है।
अखाद्य फसलें :
रबर- भारत में इसकी प्रारंभ 1880 ई० में ट्रावनकोर और मालाबार में प्रारंभ हुआ, लेकिन इसका व्यावसायिक उत्पादन 1902 ई० में ही आरंभ हुआ था।
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रेशेदार फसलें :
कपास, जूट, सन और प्राकृतिक रेशम भारत के चार प्रमुख रेशेदार फसलें हैं।
कपास : कपास को भारत का मूल स्थान माना जाता है। सूती वस्त्र उद्योग के लिए यह कच्चा माल का काम करता है। भारत में काली मिट्टी कपास के लिए उपयुक्त मानी जाती है।
कपास को पक कर तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते हैं।
जूट :
कपास के बाद जूट भारत की दूसरी महत्वपूर्ण रेशेदार फसल है। इसे सुनहरा रेशा भी कहा जाता है।
इसके उत्पादन के लिए चिकायुक्त मिट्टी की आवश्यकता होती है। जूट द्वारा रस्सी, चाट एवं बोरा आदि बनाया जाता है। इससे वस्त्र एवं आकर्षक दस्तकारी की चीजें भी बनाई जाती है।
कृषि का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और उत्पादन में योगदान :
भारत कृषि प्रधान देश होने के कारण भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था में नींव के पत्थर की भाँति महत्व रखती है। 2001 में देश की लगभग 63 प्रतिशत जनसंख्या कृषि से रोजगार प्राप्त की।
आजादी के बाद आज तक सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान लगातार घट रहा है जो चिंता का विषय है।
कृषि के महत्व को समझते हुए भारत सरकार ने इसके विकास एवं वृद्धि के लिए इसके आधुनीकरण का प्रयास कर रही है।
इसके अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् एवं कृषि विद्यालयों की स्थापना, पशु चिकित्सा सेवाएँ तथा पशु प्रजनन केन्द्र की स्थापना, बागवानी-विकास, मौसम विज्ञान और मौसम के पूर्वानुमान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास आदि को प्राथमिकता दी गई है।
खाद्य सुरक्षा : रोटी, कपड़ा और मकान मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएँ हैं। हमारे देश में जहाँ निर्धनता अधिक है, वहाँ भूखमरी की समस्या है। इसे दूर करने के लिए सरकार ने खाद्य सुरक्षा प्रणाली बनाई हुई है।
इसके दो अंग है-
- बफर स्टॉक प्रणाली और
- जन वितरण प्रणाली
इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में सस्ती दरों पर आवश्यक सामग्री और अनाज मुहैया कराई जाती है। इससे गरीब लोगों को भोजन सुलभ होता है।
उपभोक्तओं को दो वर्गों में बाँटा गया है- गरीबी रेखा के नीचे (Below Poverty Line- B.P.L.) और गरीबी रेखा के ऊपर (Above Poverty Line- A.P.L)
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वर्धन काल- फसल के बोने, बढ़ने और पकने के लिए उपयुक्त मौसम वाला समय।
हरित क्रांति- हमारे देश की कृषि में क्रांतिकारी विकास। इसमें मुख्यतः नए बीजों, खादों और उर्वरकों का प्रयोग तथा सुनिश्चित जलापूर्ति की व्यवस्था के फलस्वरूप कुछ अनाज उपज में अधिक वृद्धि हुई।
भारत में विश्व का सबसे अधिक पशुधन है। यहाँ विश्व का 57% भैंस तथा विश्व का 14% गाय की जनसंख्या निवास करती है। भारत में हरित क्रांति का जनक एस० स्वामीनाथन तथा दुग्ध क्रांति के जनक वर्गीज कुर्रीयन हैं। ऑपरेशन फ्लड द्वारा देश में दुग्ध उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई है। इसे उजाला क्रांति के नाम से जाना जाता है।
निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर दें।
प्रश्न 1. (क) भारत के दो सबसे महत्वपूर्ण अनाजों के नाम बताओ।
(1) धान
(2) गेहूँ
(ख) भारत में कौन से तीन प्रमुख मोटे अनाज उगाए जाते हैं?
(1) ज्वार
(2) बाजरा
(3) रागी
(ग) भारत की तीन नकदी फसलों के नाम बताओं
(1) चाय
(2) गन्ना
(3) तम्बाकू
(घ) हमारे देश की सबसे प्रमुख रोपन फसल कौन-सी है?
उत्तर- चाय
- अंतर बताओं
(क) नगदी फसल और रोपण फसल।
नकदी फसल | रोपन फसल |
ऐसे फसल जिसे बेचकर अधिक लाभ कमाये जा सके, उसे नकदी फसल कहते
हैं। जैसे- गन्ना, तम्बाकू आदि |
ऐसे फसल कृषि जिसमें अत्यधिक पूँजी का विनियोग बड़े-बड़े कार्य आधुनिक तरीके से की जाती है। जैसे- चाय, रबड़ आदि |
(ख) व्यापारिक कृषि और निर्वाहक कृषि।
व्यापारिक कृषि | निर्वाहक कृषि |
व्यापारिक दृष्टिकोण से की जाने वाली कृषि व्यापारिक कृषि कही जाती है। इसमें अत्याधुनिक तकनीक रासायनिक खाद, सिंचाई का उपयोग किया जाता है। | हल, बैल, कुदाल आदि की सहायता से की जाने वाली कृषि, जिसमें फसल उत्पादन जीविका निर्वाह के लिए किया जाता है। उसे निर्वाहक कृषि कहलाती है। |
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए एक शब्द लिखो।
(क) हमारे देश में मौनसून के आंरभ में बोई जाने वाली और शरद ऋतु में काटी जाने वाली फसल।
उत्तर- खरीफ फसल
(ख) वर्षा के पश्चात् जाड़े में बोई जाने वाली और बसंत में काटी जाने वाली फसलें।
उत्तर- रबी फसल
(ग) भूमि जिसे खेती करके छोड़ दिया गया है ताकि उर्वरता लौट सके और उस पर पुनः खेती हो सके।
उत्तर- फसल चक्रण
(घ) कारखाने के उत्पादन से मिलती-जुलती वैज्ञानिक तथा व्यापारिक ढंग से की जाने वाली एक फसली खेती।
उत्तर- रोपण कृषि।
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लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1. भारत में उपजने वाली दो खाद्य, नकदी एवं रेशेवाली फसलों का नाम लिखे।
खाद्य फसल- धान , गेहूँ
नकदी फसल- चाय, कहवा
रेशेदार फसल- कपास, जुट।
प्रश्न 2. उपर्युक्त फसलों के उत्पादन करने वाले दो प्रमुख राज्यों का नाम लिखो।
(1) धान- प० बंगाल, बिहार
(2) गेहूँ- पंजाब, उत्तर प्रदेश
(3) गन्ना- उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र
(4) चाय- असम, प० बंगाल
(5) कपास- महाराष्ट्र, गुजरात
(6) जुट- उत्तर प्रदेश, बिहार
प्रश्न 3. भारत में उपजाए जाने वाले वर्षाधीन फसलों के नाम लिखो।
उत्तर- ज्वार, बाजरा, रागी।
प्रश्न 4. शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद में कृषि के योगदान की चर्चा कीजिए।
उत्तर- शुद्ध राष्ट्रीय आय में भारतीय कृषि का मुख्य योगदान है। देश की 24 प्रतिशत आय कृषि से प्राप्त होती है। अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भी कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय कृषि भारत की विशाल जनसंख्या को भोजन प्रदान करती है। उद्योग धंधों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है।
प्रश्न 5. भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के कारणों को संक्षेप में लिखिए।
उत्तर- भारतीय कृषि की निम्न उत्पादकता के निम्न कारण हैं—
(1) कृषि के परम्परागत तरीकों बैल, हल-कुदाल का प्रयोग होता है।
(2) कृषि के अधिकांश भाग वर्षा पर निर्भर रहता है।
(3) भारत के अनेक भागों में भी कृषि के अत्याधुनिक तकनीक, रासायनिक उर्वरक आदि का अभाव रहता है।
(4) भारतीय परिवेश में अधिक जनसंख्या द्वारा कृषि को अभी भी निर्वाहक पेशे के रूप में अपनाया जाता है।
(5) भुखण्ड के छोटे-छोटे टुकड़े होने से भी उत्पादकता कम होती है।
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प्रश्न 6. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- हमारे देश की कृषि में क्रांतिकारी विकास को हरित क्रांति कहते हैं। इसमें मुख्यतः नए बीजों, खादों और उर्वरकों का प्रयोग तथा सुनिश्चित जलापूर्ति की व्यवस्था के फलस्वरूप कुछ अनाजों की उपज में अधिक वृद्धि हुई। हरित क्रांति से सबसे अधिक लाभ गेहूँ के उत्पादन में हुआ। इस क्रांति की शुरूआत 1960 के दशक में हुआ। इसके फलस्वरूप भारत अनाजों के मामले में आत्मनिर्भर बन गया।
प्रश्न 7. भारतीय कृषि की पाँच प्रमुख विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर- भारतीय कृषि की पाँच प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं—
(1) भारतीय कृषि की अधिकांश भाग वर्षा पर निर्भर हैं।
(2) यहाँ के अधिकांश क्षेत्र में इस कारण एक ही फसल उपजायी जाती है।
(3) कृषि में अभी भी अधिकांश भागों में पांरपरिक तरीके को ही अपनाया जाता है।
(4) जनसंख्या का एक बहुत बड़ा भाग लगभग दो तिहाई जनसंख्या की जीविका कृषि पर ही आधारित है।
(5) विशाल जनसंख्या को भोजन उपलब्ध कराने के साथ ही देश की 24 प्रतिशत आय कृषि से ही प्राप्त होती है।
प्रश्न 8. भारत में उपजाए जानेवाले प्रमुख खाद्य एवं व्यावसायिक फसलों के नाम लिखिए।
प्रमुख खाद्य फसल- धान, गेहूँ, मक्का, दलहन, तिलहन, ज्वार, बाजरा, रागी आदि।
प्रमुख व्यावसायिक फसल- गन्ना, चाय, कॉफी, केला, रबर, आदि।
कारण बाताओं।
प्रश्न 1. कपास की खेती दक्कन प्रदेश की काली मिट्टी में अधिकांशत: होती।
उत्तर- कपास की खेती के लिए लावा निर्मित काली मिट्टी बहुत उपयोग होती है। यह अधिक समय तक नमी बनाए रखती है। धूप कपास के पौधों को बढ़ाने में मदद करती है। इसलिए दक्कन प्रदेश की काली मिट्टी में अधिकांशत: कपास की खेती होती है।
प्रश्न 2. गन्ने की उपज उत्तरी भारत की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक है।
उत्तर- गन्ना एक उष्ण एवं उपोष्ण कटिबंधीय फसल है जिसके लिए 21 डिग्री सेलसियस से 27 डिग्री सेलसियस तापमान और 75 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर वर्षा की आवश्यकता होती है। दक्षिण भारत में इस प्रकार के मौसम अधिक उपलब्ध है। तटीय क्षेत्र होने के कारण आर्द्रता भी अधिक होती है जो अधिक उपज के लिए आवश्यक है। इसी कारण गन्ने की उपज उत्तरी भारत की अपेक्षा दक्षिण भारत में अधिक होती है।
प्रश्न 3. भारत कपास का आयात एवं निर्यात दोनों करता है।
उत्तर- भारत विश्व का एक प्रमुख कपास उत्पादक देश है। कपास उत्पादक का अधिकांश भाग बांग्लादेश में चला गया। भारत में वस्त्रोद्योग काफी अधिक है और वस्त्र निर्माण के लिए अच्छे किस्म के कपास की आवश्यकता पड़ती है। यहीं कारण है कि भारत कपास का आयात एवं निर्यात दोनों करता है।
प्रश्न 4. भारत विश्व का एक अग्रणी चाय निर्यातक देश हैं।
उत्तर- भारत में चाय उत्पादन के लिए अनुकुल भौगोलिक परिस्थितियां मौजूद है जिसके कारण चाय का उत्पादन संतोषजनक है किन्तु इसकी खपत भारत में पूरी नहीं हो पाती है। यहाँ के चाय की माँग भी विश्व बाजार में काफी अधिक है। फलतः भारत चाय के निर्यात में अग्रणी देश है।
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