BSEB Class 10 Hindi Ch 8 जित-जित मैं निरखत हूँ | Jit-Jit Main Nirkhat Hun Class 10th Solution Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 10 हिन्दी के पाठ 8 ‘जित-जित मैं निरखत हूँ (Jit-Jit Main Nirkhat Hun Class 10th Solution Notes)’ के व्‍याख्‍या और सभी ऑब्‍जेक्टिव प्रश्‍नों के उत्तर को पढ़ेंगे।

Jit-Jit Main Nirkhat Hun Class 10th Solution Notes

8. जित-जित मैं निरखत हूँ
(पंडित बिरजू महाराज से एक साक्षात्कार)

लेखक परिचय
लेखक का नाम- पंडित बिरजू महाराज
जन्म-4 फरवरी 1938 ई0, लखनऊ

यह अपने माता-पिता के अंतिम संतान थे। तीन बहनों के लम्बे अंतराल के बाद इनका जन्म हुआ था।

पाठ परिचय

यह पाठ पंडित बिरजू महाराज की शिष्या रश्मि वाजपेयी से की गई बातचीत का संपादित अंश है और इसका नाम ‘जित-जित मैं निरखत हुँ’ है।

पाठ का सारांश

प्रस्‍तुत पाठ “जित-जित मैं निरखत हूँ” बताता है कि पंडित बिरजू महाराज के जीवन पर साक्षात्कार के माध्यम से प्रकाश डाला गया है। इसमें उनकी कला-प्रेम, नृत्यकला के क्षेत्र में उनकी महान उपलब्धियों पर भी चर्चा हुई है।

बिरजू महाराज 4 फरवरी 1938 को लखनऊ के जफरीन अस्पताल में जन्मे थे। वे अपने माता-पिता के अंतिम संतान थे और जन्म तीन बहनों के बाद हुआ था। उनकी माता की उम्र जन्म के समय 28 वर्ष के करीब थी और बड़ी बहन 15 साल की थी। बिरजू महाराज के पिता भी एक प्रसिद्ध नर्तक थे और वे नृत्यकला के विरासत में थे। वे अक्सर अपने पिताजी के साथ रामपुर के नवाब के दरबार में नृत्य-कार्यक्रम में जाते थे।

बिरजूजी नवाब साहब को छः साल की उम्र में ही उनके प्रिय बन गए थे, इसलिए वह अपने पिता के साथ उनके पास जाना तथा नाचना पड़ता था। उनकी तनख्वाह भी इतनी कम उम्र में ही निश्चित कर दी गई थी। जब उन्हें नौकरी से छुट्टी चाहिए थी, तो नवाब साहब ने एक आदेश जारी किया था – अगर लड़का नहीं रहेगा तो पिता को भी नौकरी से निकाल दिया जाएगा।

पिताजी ने उस आदेश को सुनकर हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया और मिठाइयाँ भी बांटी।
बिरजू महाराज कहते हैं कि उन्हें नृत्य कला की शिक्षा कुछ क्लास में और कुछ लोगों द्वारा सुनकर और देखकर सीखने को मिली। वे अपने पिता के साथ कहीं भी जाते थे और कार्यक्रमों में भी भाग लेते थे।
पिता की मृत्यु 54 साल की उम्र में हुई थी। वे एक सहनशील व्यक्ति थे और अपना दुख किसी से शेयर करना नहीं पसंद करते थे। उन्हें लोगों से बहुत प्यार था।

पिता की मृत्यु के बाद माँ को दुःखी देखकर उदास हो गया, क्योंकि उनके मरते ही खराब दीन शुरु हो गया था। भोजन-वस्त्र का घोर अभाव हो गया था। शम्भू चाचा के शौकिया मिजाज के कारण कर्ज में डुब गए थे। उसी समय चाचा जी के दो बच्चों की मृत्यु भी हो गई थी। बच्चों की इस मृत्यु से हताश होकर वे अम्मा को डाइन कहने लगे थे। इसलिए मैं माँ को लेकर नेपाल चला गया था। उसके बाद मुजफ्फरपुर गया था। फिर अम्मा बाँस बरेली ले गई थी क्योंकि वहाँ नाचेगा तो इनाम मिलेगा।

ऐसी हालत में आर्यानगर में दो ट्यूशन की 50 रुपये में शामिल हो गए। इस तरह 50 रुपये में काम करके किसी तरह पढ़ते रहे। सीताराम नामक लड़के को डांस सिखाते थे और वह उन्हें पढ़ा देते थे। अर्थाभाव में ठीक ढंग से पढ़ाई नहीं हो पाई। नौकरी भी नहीं मिलती थी। पिताजी के समय से ही चाचाजी अलग रहते थे। दादी के साथ उनका अच्छा व्यवहार नहीं था।

चौदह साल की उम्र में फिर से लखनऊ आया और कपिला जी के साथ संगीत भारती में काम शुरू किया। वहाँ निर्मला जी से मुलाकात हुई और उन्होंने कथक नृत्य करने की सलाह दी। मैंने नौकरी छोड़कर भारतीय कला मंदिर में क्लास लगाना शुरू किया। वहाँ पूरे मन से तालीम सीखने का मौका मिला। मेरी तालीम देखकर महाराज की लड़कियों को आकर्षित होने लगा।

ओल बंगाल म्यूजिक कांफ्रेंस, कलकत्ता में मेरा भाग्यशाली हुआ। वहाँ बहुत सी प्रशंसा मिली। सभी अखबारों ने मेरे कार्यक्रम की प्रशंसा की। ईश्वर की कृपा से कलकत्ता, मुंबई और मद्रास में मेरी इज़्जत होने लगी।

27 साल की उम्र में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड मिला। मैं जर्मनी, जापान, हांगकांग, लाओस और बर्मा में घूमा, लेकिन अमेरिका में कुछ जगहों पर कार्यक्रम प्रस्तुत किए थे। वहाँ एक जगह एक आदमी हाँफते हुए मेरे पास आया। मैंने कहा, “क्या तुम मेरे साथ फोटो खिंचाना चाहते हो?” उस व्यक्ति को यह सुनकर बेहोशी सी हो गई। इसी प्रकार पाकिस्तान में एक खातून की आवाज आई थी जिससे मेरे नाच के आशिक बहुत उत्साहित हुए थे। बिरजू महाराज कहते हैं कि उनके लिए मुझे ऊंचाई तक ले जाने में अम्मा का बहुत बड़ा हाथ था। उन्होंने बुजुर्गों की तारीफ करके मुझे उत्साहित किया था। उन्होंने मेरा गुरु और माँ बनाया था।

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जित-जित मैं निरखत हूँ Subjective Questions

प्रश्न 1. बिरजू महाराज कौन-कौन से वाद्य बजाते थे? (Text Book)
उत्तर- बिरजू महाराज विभिन्न वाद्य यंत्र जैसे सितार, गिटार, हारमोनियम और बाँसुरी बजाते थे।

प्रश्न 2. किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला? (Text Book)
उत्तर- शम्भू महाराज, चाचाजी और बाबूजी के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला।

प्रश्न 3. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है? (पाठ्य पुस्तक, 2012A)
उत्तर- बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ में हुआ था। उनका रामपुर में बहुत समय बिता हुआ था जहाँ उन्हें विकास का मौका मिला।

प्रश्न 4. नृत्य की शिक्षा के लिए पहले-पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहाँ किनके संपर्क में आए? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- बिरजू महाराज जी नृत्य की शिक्षा प्राप्त करने के लिए पहले दिल्ली गए और हिंदुस्तानी डांस म्यूजिक से जुड़े, वहाँ उन्हें निर्मला जोशी से मिलने का मौका मिला।

प्रश्न 5. कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? (पाठ्य पुस्तक,2013C)
उत्तर – महाराज जी कलकत्ते के एक कांफ्रेंस में नाचे और उस नाच को कलकत्ते की ऑडियन्स ने प्रशंसा की। उनकी तारीफ तमाम अखबारों में छाई थी जिससे उनके जीवन में एक मोड़ आया और उन्हें निरंतर आगे बढ़ने का अवसर मिला।

प्रश्न 6. बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसको मानते थे? अथवा, बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अपनी माँ को क्यों मानते थे? (Text Book,2018A)
उत्तर- बिरजू महाराज अपनी माँ को अपना सबसे बड़ा जज मानते थे। जब वे नाचते थे और माँ देखती थी तब वे उनसे अपने काम के बारे में पूछते थे। उन्होंने अपने नृत्य के कौशल को और बेहतर बनाने के लिए अपनी माँ से सलाह ली।

प्रश्न 7. संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी? (Text Book)
उत्तर – प्रारंभ में संगीत भारती में 250 रुपए मिलते थे, जबकि वे दरियागंज में रहते थे। हर दिन उन्हें पाँच या नौ नंबर की बस में बैठकर संगीत भारती जाना पड़ता था। उन्हें संगीत भारती में उनका प्रदर्शन कम मिलता था। इसलिए वे दुखी हो गए और नौकरी छोड़ दी।

प्रश्न 8. अपने विवाह के बारे में बिरजू महाराज क्या बताते हैं? (Text Book)
उत्तर- बिरजू महाराज 18 साल की उम्र में शादी कर लिया था। इसे करना उन्हें गलत लगता था। लेकिन उनके पिताजी की मृत्यु के बाद माँ ने जल्दी में शादी कर दी। यह विवाह नुकसानदेह माना जाता है। शादी के बाद भी वे नौकरी करते रहे!

प्रश्न 9. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे? उनका संक्षिप्त परिचय दें। (Text Book,2013A,2014A)
उत्तर- बिरजू महाराज के गुरु उनके बाबूजी थे। वे अच्छे स्वभाव के थे और अपने दुःख को व्यक्त नहीं करते थे। उन्हें कला से बेहद प्रेम था और जब बिरजू महाराज साढ़े नौ साल के थे, तब बाबूजी की मृत्यु हो गई। महाराज को तालीम बाबूजी ने ही दी।

प्रश्न 10. शम्भू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए। (Text Book, 2013C)
उत्तर- बचपन में शंभू महाराज के साथ बिरजू महाराज नाचते थे। बाद में भारतीय कला केन्द्र में उनकी मुलाकात हुई। कला के क्षेत्र में विकास करने के लिए शंभू महाराज के साथ सहायक रूप से काम किया गया। शंभू महाराज उनके चाचा थे और उन्हें बचपन से ही मार्गदर्शन मिलता रहा।

प्रश्न 11. बिरजू महाराज की कला के बारे में आप क्या जानते हैं? (2016C)
उत्तर- बिरजू महाराज नृत्य के क्षेत्र में निपुण थे। उन्हें नृत्य की कला के विवेचक थे। वे नाचने की कला में बचपन से ही लगे रहते थे और कला को सम्मानित करते रहते थे। इस कारण उनका नृत्य देशभर में सम्मानित था। उन्हें सिर्फ कमाई के लिए नहीं नृत्य करना था, बल्कि कला का प्रदर्शन करना उनका सही लक्ष्य था।

प्रश्न 12. रामपुर के नवाब की नौकरी छुटने पर हनुमान जी को प्रसाद क्यों चढ़ाया ? (Text Book)
उत्तर- नवाब साहब की सेवा छोड़ने के बाद हनुमान जी को प्रसाद दिया गया क्योंकि महाराज जी नौ साल की आयु में नवाब साहब के घर में नृत्य करते थे। अम्मा चिंतित थीं और बाबूजी नौकरी छोड़ने के लिए हनुमान जी के प्रसाद की भी मांग करते थे। नौकरी से छुटकारा मिलने से हनुमान जी को प्रसाद दिया गया।

प्रश्न 13. बिरजू महाराज की अपने शार्गिदों के बारे में क्या राय है? (Text Book2014A)
उत्तर- बिरजू महाराज अपने शिष्य रश्मि वाजपेयी को भी अपना शागिर्द बताते हैं जिसे वे शाश्वती कहते हैं। उन्होंने इसके अलावा वैरोनिक, फिलिप, मेक्लीन, टॉक, तीरथ प्रताप, प्रदीप, दुर्गा जैसे छात्रों को भी प्रमुख शागिर्द बताया है। इन छात्रों ने तरक्की की है, प्रगतिशीलता हासिल की है जिसकी भी चर्चा हुई है।

प्रश्न 14. पुराने और आज के नर्तकों के बीच बिरजू महाराज क्या फर्क पाते हैं? (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- पुराने नर्तक कला का प्रदर्शन शौकपूर्ण था। साधन की कमी के बावजूद भी उनका उत्साह बरकरार रहता था। वे छोटे-छोटे मंच की गलतियों को भी ढूंढ़ते हैं ताकि उनमें सुधार कर सकें। आजकल के कलाकार चर्चा के विषय बनते हैं।

प्रश्न 15. बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुःखद समय कब आया? उससे संबंधित प्रसंग का वर्णन कीजिए। (पाठ्य पुस्तक)
उत्तर- महाराज जी के बाबूजी की मृत्यु के बाद उन्हें बहुत दुख हुआ। घर में पैसे की कमी थी जिससे वे दसवाँ करवाने में असमर्थ थे। फिर भी, उन्होंने दो प्रोग्राम किए जिससे 500 रुपये इकट्ठे हुए और उन्हें दसवाँ और तेरहवाँ करवाने में सफल हुए। लेकिन इस दौरान महाराजजी को नाचना और पैसे इकट्ठा करना काफी मुश्किल था जिससे उन्हें दुःख हुआ।

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जित-जित मैं निरखत हूँ Objective Questions

प्रश्न 1. बिरजू कितने साल के थे, जब उनकी पिताजी की मृत्‍यु हुई थी?
(क) आठ   

(ख) साढ़े नौ  
(ग) दस      
(घ) साढ़े दस

उत्तर- (ख) साढ़े नौ

प्रश्न 2. बिरजू ने अपने पिता के साथ आखरी प्रोग्राम कहाँ किया था?
(क) मैनपूरी में   

(ख) जोधपूर में
(ग) जौनपूर में    
(घ) उदयपूर में

उत्तर- (क) मैनपूरी में

प्रश्न 3. जब पंडित बिरजू महाराज को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड मिला तब उनकी उम्र क्या थी?
(क) 27 वर्ष  

(ख) 26 वर्ष
(ग) 25 वर्ष   
(घ) 24 वर्ष

उत्तर- (क) 27 वर्ष

प्रश्न 4. बिरजू महाराज की ख्‍याति किस रूप में है?
(क) शहनाई वादक 

(ख) नर्तक
(ग) संगीतकार       
(घ) तबलावादक

उत्तर- (क) शहनाई वादक

प्रश्न 5. बिरजू महाराज किस शैली का नर्तक हैं?
(क) कथक      
(ख) मणिपूरी
(ग) कुच्‍चीपूरी  
(घ) कारबा

उत्तर- (क) कथक

प्रश्न 6. बिरजू महाराज का संबंध किस घराने से है?
(क) लखनउ    
(ख) डुमराव
(ग) बनारस    
(घ) इनमें कोई नहीं

उत्तर- (क) लखनउ

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प्रश्न 7. पंडित बिरजू महाराज का जन्‍म कब हुआ था?
(क) 4 जनवरी 1938    

(ख) 4 फरवरी 1938
(ग) 4 मार्च 1938       
(घ) 4 अप्रैल 1938

उत्तर- (ख) 4 फरवरी 1938

प्रश्न 8. बिरजू महाराज का संबंध है-?
(क) बाँसुरी वादन से 

(ख) सितार वादन से
(ग) तबला वादन से  
(घ) कत्थक नृत्‍य से

उत्तर- (ग) तबला वादन से

प्रश्न 9. इबादत का अर्थ है?
(क) उपासना  

(ख) इठलाना
(ग) ईंट          
(घ) खाना खाना

उत्तर- (क) उपासना

प्रश्न 10. पंडित बिरजू महाराज लखनऊ घराने के किस पीढ़ी के कलाकार थे?
(क) छठी
(ख) सातवीं

(ग) नौवीं
(घ) आठवीं

उत्तर- (ख) सातवीं

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प्रश्न 11. बिरजू महाराज के चाचा का क्‍या नाम था?
(क) संभु महाराज 

(ख) गोदई महाराज
(ग) श्री महाराज   
(घ) विष्‍णु महाराज

उत्तर-(क) संभु महाराज

प्रश्न 12. शंभु महाराज बिरजू महाराज के कौन थे?
(क) मौसा     

(ख) पिता  
(ग) चाचा    
(घ) मामा

उत्तर-(ग) चाचा

प्रश्न 13. बिरजू महाराज ने ठुमरियाँ किससे सीखीं?
(क) अम्‍मा से  
(ख) बाबुजी से
(ग) चाचा से   
(घ) मामा से

उत्तर- (क) अम्‍मा से

प्रश्न 14. बिरजू महाराज ने कितने प्रोग्राम करके बाबुजी की दसवीं और 13वीं करवाई?
(क) दो     

(ख) तीन    
(ग) चार   
(घ) पाँच

उत्तर- (क) दो

प्रश्न 15. बिरजू महाराज को तालिम किससे मिली?
(क) दादा से

(ख) बाबुजी से
(ग) नाना से
(घ)चाचा से

उत्तर- (ख) बाबुजी से

प्रश्न 16. जित-जित मैं निरखत हुँ पाठ के लेखक कौन है?
(क) यतीन्‍द्र मिश्र 
(ख) महात्‍मा गाँधी
(ग) अमरकांत    
(घ)पंडित बिरजु महाराज

उत्तर- (घ) पंडित बिरजु महाराज

प्रश्न 17. जित-जित मैं निरखत हुँ है-?
(क) कहानी         
(ख) निबंध
(ग) ललित रचना 
(घ) साक्षात्‍कार

उत्तर- (ख) निबंध

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