इस पोस्ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्दी के पद्य भाग के पाठ सात ‘पुत्र वियोग (Putra Viyog class 12th Hindi Solution Notes)’ को पढ़ेंगे।
7. पुत्र वियोग
कवियित्री- सुभद्रा कुमारी चौहान
कवयित्री परिचय
जीवनकाल : 16 अगस्त 1904- 15 फरवरी 1948
जन्मस्थान : निहालपुर, इलाहाबाद उत्तरप्रदेश
माता-पिता : धिराज कुँवर और ठाकुर रामनाथ सिंह
शिक्षा : क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल, इलाहाबाद में प्रारम्भिक शिक्षा। इसी स्कूल में प्रसिद्ध कवयित्री महादेवी वर्मा सुभद्रा कुमारी चौहान के साथ पढ़ी
थी।
9वीं तक पढ़ाई के बाद असहयोग आंदोलन में भाग
कर्म क्षेत्र : समाज सेवा, राजनीति, स्वाधीनता संघर्ष में सक्रिय भागीदारी, अनेक बार कारावास, मध्य प्रदेश में काँग्रेस पार्टी की एम. एल. ए.।
कृतियाँ : मुकुल (कविता संग्रह, 1930) त्रिधारा, बिखरे मोती (कहानी संग्रह), सभा के खेल (कहानी संग्रह)
पुरस्कार :- मुकुल पर 1930 में हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ‘सेकसरिया पुरस्कार’ प्रस्तुत कविता मुकुल से ली गई है।
7. पुत्र वियोग
आज दिशाएँ भी हँसती हैं
है उल्लास विश्व पर छाया
मेरा खोया हुआ खिलौना
अब तक मेरे पास न आया|
प्रस्तुत पंक्तियाँ पुत्र वियोग से लिया है। जिसमें एक मां भावनाओं का वर्णन किया गया है दुनिया आज खुशियों से भरी है, लेकिन मेरे लिए तो वह सब व्यर्थ है, क्योंकि मैंने अपने बेटे को खो दिया है। सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘पुत्र वियोग’ से यह पंक्तियाँ ली गई हैं, जिसमें एक मां की भावनाओं का वर्णन किया गया है जो अपने पुत्र के निधन से व्यथित हैं।
शीत न लग जाए, इस भय से
नहीं गोद से जिसे उतारा
छोड़ काम दौड़ कर आई
‘मा’ कहकर जिस समय पुकारा
प्रस्तुत पंक्तियों में सुभद्रा कुमारी चौहान अपनी कविता ‘पुत्र वियोग’ से उठी हुई माँ की असहनीय दुःख-भरी कहानी का वर्णन करती हैं। उन्होंने अपनी आंखों के सामने अपने पुत्र को याद करते हुए कहा है कि वह शीत लग रहा था लेकिन उसे अपनी गोद से उतारने का दिल नहीं कर रहा था। जब भी उसके पुत्र ने उसे माँ कहा, तब वह उसके पास दौड़ती थी ताकि उसकी जरूरतें पूरी कर सके।
थपकी दे दे जिसे सुलाया
जिसके लिए लोरियाँ गाईं,
जिसके मुख पर जरा मलिनता
देख आँखें में रात बिताई।
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता से ली गई है, जिसमें उन्होंने अपने पुत्र के वियोग से उनके मन की व्यथा को बयां किया है। कवयित्री अपने पुत्र को याद करती हुई कहती है कि वह अपने पुत्र के हर सुख का ख्याल रखा, उसे थपकी देकर सुलाया और उसके लिए लोरियाँ गाई। वहने रात भर जागकर अपने पुत्र का ख्याल रखा और उसके चेहरे पर छाई उदासी को महसूस किया।
जिसके लिए भूल अपनापन
पत्थर को भी देव बनाया
कहीं नारियल दूध, बताशे
कहीं चढ़ाकर शीश नवाया।
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता से ली गई हैं, जिसमें उन्होंने अपने माता के पुत्र को खोने के बाद उसके मन की व्यथा को बयान किया है। वह अपने पुत्र को याद करते हुए कहती हैं कि मैंने उसके लिए अपने सुखों को भूला दिया था। मैंने उसे पत्थर के समान देवता माना, उसे नारियल दूध और बताशे चढ़ाया और उसके लिए देवालयों में शीश नवाया था। लेकिन अब वह मेरे पास नहीं है।
फिर भी कोई कुछ न कर सका
छिन ही गया खिलौना मेरा
मैं असहाय विवश बैठी ही
रही उठ गया छौना मेरा।
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता से ली गई हैं। इस कविता में उन्होंने एक माँ के पुत्र के वियोग के बाद उसके मन की व्यथा का मार्मिक चित्रण किया है। कवयित्री अपने पुत्र को याद करते हुए कहती हैं कि उनकी दुआएं कोई फल नहीं दी, कोई भी उन्हें सहायता नहीं कर सका और उनका हृदय टूट गया। आज वे असहाय और विवश हैं और उनका नन्हा बच्चा भगवान को प्यारा हो गया है।
तड़प रहे हैं विकल प्राण ये
मुझको पल भर शांति नहीं है
वह खोया धन पा न सकूँगी
इसमें कुछ भी भ्रांति नहीं है।
प्रस्तुत पंक्तियाँसुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘पुत्र वियोग’ से ली गई है, जिसमें उन्होंने एक माँ के पुत्र के मृत्यु के बाद उसके दुःख को भावुकतापूर्ण ढंग से व्यक्त किया है। कवयित्री अपने पुत्र को याद करते हुए कहती है कि मेरे प्राण तब भी उसके लिए तड़पते हैं, और मुझे कुछ शांति नहीं मिलती। मैंने जो अनमोल धन खो दिया है, उसे मैं वापस नहीं पा सकती। इसमें कोई भी संदेह नहीं है। Putra Viyog class 12th Hindi
फिर भी रोता ही रहता है
नहीं मानता है मन मेरा
बड़ा जटिल नीरस लगता है
सूना सूना जीवन मेरा।
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘पुत्र वियोग’ से ली गई हैं। इसमें कवयित्री ने अपने पुत्र को खो जाने के बाद उसकी व्यथा का मार्मिक चित्रण किया है। वह अपने पुत्र को याद करती हुई कहती है कि अगर वह उसे अब भी पा लेती तो वह उसे जी भर कर प्यार करती और समझाती कि वह उसकी माँ को यूं छोड़ कर नहीं जाता। लेकिन अब वह उसे पाने का संभव नहीं है।
मेरे भैया मेरे बेटे अब
माँ को यों छोड़ न जाना
बड़ा कठिन है बेटा खोकर
माँ को अपना मन समझाना।
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता है, जो पुत्र वियोग से प्रेरित होकर लिखी गई है। उसने एक माँ के पुत्र को खोने के बाद, उसके मन की व्यथा का मार्मिक चित्रण किया है। कवयित्री अपने पुत्र को याद करते हुए कहती है कि अगर मैं अपने पुत्र को एक पल के लिए भी पा लेती तो मैं उसे यह समझाती कि वह मुझे छोड़कर नहीं जाएगा। माँ के लिए अपने बेटे को खोने के बाद, अपने मन को सांत्वना देना बड़ा ही कठिन होता है।
भाई-बहिन भूल सकते हैं
पिता भले ही तुम्हें भुलावे
किन्तु रात-दिन की साथिन माँ
कैसे अपना मन समझावे |
प्रस्तुत पंक्तियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित कविता ‘पुत्र वियोग’ में उन्होंने एक माँ के पुत्र को खोने के बाद उसकी मन की व्यथा का अत्यंत संवेदनशील वर्णन किया है। कवयित्री अपने पुत्र को याद करते हुए बताती हैं कि भाई-बहन तो उन्हें भूल सकते हैं, पिता भी तो उन्हें भूल जाएँ, लेकिन जो माँ हैं, वो कभी अपने बच्चे को भूल नहीं सकती।
Putra Viyog class 12th Hindi
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