Class 10 Math Formula Notes : वास्तविक संख्याएँ

1. वास्तविक संख्याएँ

संख्या- जो वस्तु के परिमाण अथवा प्रश्न कितने ? का जवाब देता है, संख्या कहलाता है। जैसे- पाँच किताब, यहाँ पाँच एक संख्या है। आपका वजन कितना है ? उत्तर- 50 किलोग्राम, यहाँ 50 एक संख्या है। पटना कितनी दूर है ? उत्तर- 200 किलोमीटर, यहाँ 200 एक संख्या है।

अंक (digit) – किसी अंकन पद्धति में जिससे संख्या बनाया जाता है, अंक कहलाता है।

अंकन पद्धति में दस अंकों 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, का प्रयोग किया जाता है। अतः अंकों की संख्या दस है।

संख्यांक किसे कहते हैं ?

संख्या को निर्देशित करनेवाले अंकों अथवा संकेतों के समुह को संख्यांक कहते हैं।

संख्यांक (Numerals)-

Latin Numerals-1234567890

Devnagri Numerals- १२३४५६७८९०

अपवर्तक- वे संख्याएँ, जो जिन-जिन संख्याओं से पूरा-पूरा विभाजित हो जाता है, वे संख्याएँ उस संख्या का अपवर्तक कहलाता है। अपवर्तक को ही गुणनखंड कहा जाता है।

जैसे-

      2 का अपवर्तक या गुणनखंड- 1, 2

      6 का अपवर्तक- 1, 2, 3, 6

      15 का अपवर्तक- 1, 3, 5, 15

      50 का अपवर्तक- 1, 2, 5, 10, 25, 50

अपवर्त्य/गुणज- किसी दी हुई संख्या से पूर्णतः विभाजित होनेवाला समस्त संख्याओं को उस संख्या का अपवर्त्य कहते हैं।

जैसे-

     5 का अपवर्त्य- 5, 10, 15, 20, …..

     6 का अपवर्त्य- 6, 12, 18, 24, …..

    10 का अपवर्त्य- 10, 20, 30, 40, …..

    16 का अपवर्त्य- 16, 32, 48, 64, 80, …..

    20 का अपवर्त्य- 20, 40, 60, 80, 100, …..

प्राकृत संख्या (Natural Number)– गिनती की संख्या को प्राकृत संख्या कहते हैं। इसे धन पूर्णांक भी कहते हैं। इसे N से सूचित किया जाता है। जैसे- 1, 2, 3, 4, 5, …..

पूर्ण संख्या (Whole Number)– शून्य सहित प्राकृत संख्या को पूर्ण संख्या कहते हैं। अर्थात् प्राकृत संख्याओं के परिवार में शून्य शामिल करने से प्राप्त संख्याओं के समुह को पूर्ण संख्या कहते हैं। इसे W से सूचित किया जाता है। जैसे- 0, 1, 2, 3, 4,……

पूर्णांक (Integers)– पूर्ण संख्या के संग्रह में ऋणात्मक प्राकृत संख्या को शामिल कर लें तो प्राप्त संख्याओं के संग्रह को पूर्णांक कहते हैं। जैसे- …, -4, -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, 4, …

इसे Z से सूचित किया जाता है।

शून्य (Zero)0 को शून्य पूर्णांक कहते हैं। इसका एक अन्य नाम Nought है। इसलिए a₀ को a Nought पढ़ा जाता है।

  • F0 को F Nought पढ़ा जाता है।
  • B0 को B Nought पढ़ा जाता है।

सह-अभाज्य संख्याएँ- वैसी दो या दो से अधिक संख्याएँ जिनका उभयनिष्ठ अपवर्त्तक (अर्थात म.स.) केवल एक हो, यानी महत्तम समापवर्त्तक केवल 1 हो, सह-अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं।

अर्थात

संख्याओं का ऐसा युग्म जिसका HCF सिर्फ 1 हो, उसे सह-अभाज्य संख्या कहते हैं। सह-अभाज्य संख्याएँ हमेशा जोड़े में होती है।

जैसे- (5,7), (12,25), (8,49) सह-अभाज्य संख्याएँ हैं।

संख्या (Number) का संकेत No क्यों ?- संख्या (Number) लैटिन शब्द Numbero से लिया गया है। जिसका अर्थ ‘संख्या’ (Number) होता है।

चूँकि किसी का संकेत उस शब्द के प्रथम अक्षर अथवा प्रथम और अंतिम अक्षर से किया जाता है।

Numero का पहला अक्षर N और अंतिम अक्षर O है, इसलिए इसका संकेत No होता है।

सभी पूर्णांकां के संग्रह को Z से क्यों सुचित किया जाता है ?- Z जर्मन शब्द “Zahlen” (जेहलीन) से लिया गया है, जिसका अर्थ ‘गिनना’ और “Zahl”(जहल) जिसका अर्थ ‘संख्या’ होता है।

इसलिए पूर्णांक को Z से सुचित किया जाता है।

विशिष्ट पूर्णांक (Specific Number) वह धन पूर्णांक जिसका केवल एक अपवर्त्तक/गुणनखंड हो, विशिष्ट पूर्णांक कहलाता है।

जैसे- ‘1’.

अभाज्य संख्या (Prime Number)- वह संख्या जिसका केवल दो अपवर्त्तक हो, अभाज्य संख्या कहलाता है।

अर्थात

वैसी संख्या जिसका दो गुणनखंड हो, उसे अभाज्य संख्या कहते हैं।

अर्थात

वैसी संख्या जो स्वयं और 1 के अलावा किसी अन्य संख्या से विभाज्य न हो, उसे अभाज्य संख्या कहते हैं।

जैसे- 2, 3, 5, 7, 11, 13, 23, 31, 71 …

भाज्य संख्या (Composite Number)- वह संख्या जिसका दो से अधिक अपवर्तक हो, भाज्य संख्या कहलाता है।

अर्थात

वैसी संख्या, जिसका दो से अधिक गुणनखंड हो, उसे भाज्य संख्या कहते हैं।

अर्थात

जो संख्या स्वयं और 1 के अलावा किसी अन्य संख्या से भी विभाजित हो, उसे भाज्य संख्या कहते हैं।

जैसे- 4, 6, 8, 9, …

सम संख्या (Even Number)- वे संख्याएँ जो दो से पूर्णंतः विभाजित हो, सम संख्याएँ कहलाती हैं।

जैसे- 2, 4, 6, 8, 10, ….

विषम संख्याएँ (Odd Number)- वे संख्याएँ जो दो से पूर्णतः विभाजित नहीं हो, विषम संख्याएँ कहलाती हैं।

जैसे- 1, 3, 5, 7, 9 ….

संपूर्ण संख्याएँ (Perfect Numbers)- वैसी संख्याएँ जिनकी समस्त गुणनखण्डों का योग उस संख्या का दुगुना हो, संपुर्ण संख्याएँ कहलाती हैं। जैसे-

6 → 1 + 2 + 3 + 6 = 12 = 2×6

28 → 1 + 2 + 4 + 7 + 14 + 28 = 56 = 2×28

परिमेय संख्या (Rational Number) –  वैसी वास्तविक संख्या जो P/q के रूप में हो, जहाँ p  और q पूर्णांक हो तथा सह-अभाज्य हो और  हो, उसे परिमेय संख्या कहते हैं। जैसे- 3/5, 7/10, 11/53 इत्यादि।

अपरिमेय संख्या (Irrational Number)– वैसी वास्तविक संख्या जो p/q के रूप में नहीं हो, जहाँ p और q पूर्णांक हो तथा सह-अभाज्य हो और  हो, उसे अपरिमेय संख्या कहते हैं। जैस-√3,√7/10,√11/53 इत्यादि।

वास्तविक संख्या (Real Number)– परिमेय और अपरिमेय संख्याओं के संग्रह को वास्तविक संख्या कहते है। जैसे-√3,√7/10, 3/5, 7/10, 10, 11/53 इत्यादि ।

भिन्न (Fraction)- यदि दो पूर्णांक p और q हों तथा  हो, तो p/q को भिन्न कहते हैं, जिसमें p को अंश तथा q को हर कहते हैं। जैसे- इत्यादि।

नोट : एक भिन्न है, लेकिन परिमेय नहीं है।

जब  लिखते हैं, तो  भिन्न भी है और परिमेय संख्या भी।

यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका : दो धनात्मक पूर्णांक a और b दिए रहने पर ऐसी अद्वितीय पूर्ण संख्याएँ q और r विद्यमान है कि

, जहाँ  है।

भाज्य = भाजक × भागफल + शेषफल

HCF — Highest Common Factor

LCM — Lowest Common Factor

किन्हीं दो संख्याओं के लिए

ल०स० (LCM)  म०स० (HCF)  संख्याओं का गुणनफल

ल०स० =

म०स० =

सांत होने का शर्त- एक परिमेय संख्या    इस प्रकार है कि q का अभाज्य गुणनखंडन  के रूप का है, जहाँ  ऋणेत्तर पूर्णांक है तो    का दशमलव प्रसार सांत होगा।

असांत होने का शर्त- एक परिमेय संख्या    इस प्रकार है कि q का अभाज्य गुणनखंडन  के रूप का नहीं है, जहाँ  ऋणेत्तर पूर्णांक है तो    का दशमलव प्रसार असांत होगा।

अर्थात

वे परिमेय संख्याएँ, जो  के रूप का होता है, उसका दशमलव प्रसार सांत होता है।

वे परिमेय संख्याएँ, जो  के रूप का नहीं होता है, उसका दशमलव प्रसार असांत आवर्ती होता है।

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