बातचीत कक्षा 12 हिंदी | Batchit Class 12th Hindi Saransh Solution Notes

इस पोस्‍ट में हम बिहार बोर्ड कक्षा 12 हिन्‍दी के गद्य भाग के पाठ एक ‘बातचीत (Batchit class 12 Hindi saransh)’ को पढ़ेंगे।

Batchit class 12 Hindi saransh

1. बातचीत
लेखक परिचय– बालकृष्‍ण भट्ट
जन्म- 23 जून 1844 निधन- 20 जुलाई 1914
निवास- इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश
रचनाएँ:

उपन्यास- रहस्य कथा, नूतन ब्रह्मचारी, सौ अजान एक सुजान, गुप्त वैरी, रसातल यात्रा, उचित दक्षिणा, हमारी घड़ी, सदभाव का अभाव।

नाटक पद्मावती, किरातर्जुनीय, वेणी संहार, शिशुपाल वध, नल दमयंती या दमयंती स्‍वयंवर, शिक्षा दान, चंद्रसेन, सीता वनवास, पतित पंचम, मेघनाथ वध, कट्टर सूम की एक नकल, वहन्नला, इंग्लैंडेश्वरी और भारत जननी, भारतवर्ष और कलि, दो दूरदेशी, एक रोगी और एक वैध, रेल का विकेट खेल, बालविवाह।

प्रहसन- जैसा काम वैसा परिणाम, नई रौशनी का विष, आचार विडंबन इत्यादि ।

निबंध- लगभग 1000 निबंध जिनमें सौ से ऊपर बहुत महत्त्वपूर्ण। ‘भट्ट निबंधमाला’ नाम से दो खंडों में एक संग्रह प्रकाशित।

बालकृष्ण भट्ट एक ऐसे भारतीय साहित्यकार में से एक हैं, जो आधुनिक काल के भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकारों में से एक हैं। वे तेजस्वी लेखन के द्वारा साहित्य सेवा करते रहने वाले समर्पित साहित्यकार थे।

बातचीत निबंध का सारांश

बालकृष्ण भट्ट ने ‘बातचीत’ शीर्षक निबंध लिखा है जो आधुनिक काल के प्रसिद्ध निबंधकार हैं। इस निबंध में लेखक ने वाकशक्ति को ईश्वर का वरदान बताया है। बालकृष्ण जी ने कहा है कि अगर मनुष्य में वाकशक्ति न होती तो इस गूंगी सृष्टि का क्या हाल होता। वे कहते हैं कि बातचीत में वक्ता को स्पीच की तरह नाज-नखरा जाहिर करने का मौका नहीं दिया जाता है।

स्पीच और बातचीत दोनों में वक्तृता होती है। भाषण में मानव पहले संभल-संभल कर बोलता है और फिर कोई चुटीली बात करता है ताकि ताली-ध्वनि से कमरा गूँज उठे। इसलिए, भाषण में वक्ता को ऐसा मौका देना पड़ता है जिससे ताली बज सके।

बातचीत में ताली बजाने का मौका नहीं मिलता और न ही लोगों के हंसी के कहकहे उड़ाने का कोई स्थान होता है। बातचीत में थोड़ी हंसी आ सकती है अगर कोई चुटीली बात आ जाती है। यहां तक ​​कि हँसी का अंतिम सीमा होठों के फड़कने तक होता है। स्पीच का उद्देश्य सुनने वाले में जोश और उत्साह पैदा करना होता है जबकि बातचीत मन को भ्रमण कराने और मनोरंजन करने का तरीका है।

वे कहते हैं कि जिस तरह से आदमी को जीवन को रमणीय बनाने के लिए खाने, पीने, चलने, फिरने जैसी जरूरतें होती हैं, वैसे ही बातचीत भी बहुत जरूरी होती है। इससे मन स्वच्छ और शांत हो जाता है और आनंद का अनुभव होता है। गंदगी और धुआं, जो मन में जमा रहता है, वह भाप बनकर उड़ जाता है।

लेखक दावा करते हैं कि जो लोग बातचीत करने की आदत लगा लेते हैं, वे अपनी भोजन और पेय भी छोड़ देते हैं। लेकिन उन्हें बातचीत का मजा नहीं खोना होता है। लेखक रॉबिंसन क्रुसो के बारे में बताते हैं कि उन्होंने अपने 16 सालों के जीवन में कभी भी इंसान का मुख नहीं देखा था। उनके बाद 16 साल तक वह कुत्तों, बिल्लियों और अन्य जानवरों के साथ रहा। फिर एक दिन उसने एक इंसान के मुख से बात सुनी। उस समय रॉबिंसन को बहुत खुशी हुई, जैसे उसने फिर से इंसान का साथ पाया हो। लेखक दावा करते हैं कि मनुष्य की भाषा में लुभावने की ताकत होती है।

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बेन जॉनसन का कहना है कि मनुष्य का असली साक्षात्कार उसके बोलने से ही होता है। लेखक ने बातचीत के विभिन्न प्रकारों का वर्णन किया है। बातचीत की सीमा दो व्यक्तियों से लेकर जमात, मीटिंग या सभा जैसे स्थितियों तक हो सकती है, जहाँ बातचीत की सामर्थ्य खत्म हो जाती है। एडिसन इस बात पर विश्वास रखते हैं कि दो लोगों के बीच बातचीत सबसे असली होती है, जब दो व्यक्ति होते हैं तो वे अपने दिल की बातें एक दूसरे से साझा कर पाते हैं।

तीन लोगों के बीच बातचीत अंगूठी की नग की तरह होती है जहाँ तीनों की बातें एक दूसरे से कुछ न कुछ दूर हो जाती हैं।

फ़ॉर्मैलिटी वाली बातचीत चार लोगों के बीच होती है, जहाँ खुलकर बातें नहीं होती हैं। इसमें सम्मान और गंभीरता की बात होती है।

जब चार से अधिक लोग बातचीत करते हैं, तो वहाँ हँसी-मजाक होता है जिसे राम-रमौवल कहा जाता है।

दो बुजुर्ग व्यक्ति की बातचीत में आमतौर पर जमाने की शिकायत होती है। वे दादी-नानी के समय से कथाएं शुरू करते हैं जिसमें चार सच और दस झूठ होते हैं। जब उनकी बातचीत का घोड़ा छूट जाता है, तो पहरों बीत जाते हैं लेकिन अंत नहीं होता है।

लेखक बताते हैं कि दो सहेलियों की बातचीत निराली होती है। भाग्य से ही उन्हें एक दूसरे से बातचीत करने का मौका मिलता है। उनकी बातचीत रसभरी होती है।

दो बुढ़ियों की बातचीत में वे अपनी बेटियों या बहुओं से शिकायत करती हैं या उनसे झगड़ा करती हैं। इसके अलावा, उन्होंने बताया है कि स्‍कूल के लड़कों की बातचीत में वे अपने उस्‍ताद की तारीफ या शिकायत करते हैं और अपने सहपाठियों के गुण-अवगुणों पर चर्चा करते हैं। वे बताते हैं कि बातचीत के अनेक प्रकार होते हैं जैसे कि राजकाज, व्यापार संबंधी बातचीत, दो मित्रों के बीच प्रेमालाप आदि।

लेखक का कहना है कि हमारे देश में अशिक्षित लोगों के बीच बातचीत बतकही कहलाती है। जब एक लड़की और एक लड़के एक दूसरे से बिचौलिये होकर विवाह के बारे में बात करते हैं, तो उस दिन से उनके बिरादरीवाले को यह पता चलता है कि विवाह हो गया है और यह रस्म बड़े उत्सव से मनाई जाती है। चंडूखाने में भी बातचीत निराली होती है।

दूसरी ओर, लेखक का कहना है कि यूरोप के लोगों के पास बातचीत का अद्भुत हुनर है, जिसे वे “आर्ट ऑफ कनवर्सेशन” कहते हैं। उम्रवालों की बातचीत में गौरव और अनुभव होता है जो उन्हें सुखद महसूस कराता है। लेकिन कम उम्र के लोगों की बातचीत में गौरव नहीं होता, लेकिन मिठास दस गुना बढ़ जाती है।

अंततः, बालकृष्ण भट्ट कहते हैं कि हमें अपने अंदर ऐसी शक्ति बढ़ानी चाहिए जो हमें अपने आपसे बात करने में सक्षम बनाए और यही बातचीत का सबसे उत्तम तरीका है।

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